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माकपा के प्रयास से भू-विस्थापित महिलाओं को एसईसीएल में नौकरी देने का आदेश हुआ जारी, Due to the efforts of CPI(M), order issued to give jobs to land-displaced women in SECL

कोरबा/ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और छत्तीसगढ़ किसान सभा के प्रयासों से खनन प्रभावित बरकुटा गांव के विस्थापन से प्रभावित निरूपा बाई समेत पांच महिलाओं को स्थायी नौकरी देने के लिए कल एसईसीएल ने आदेश जारी किया। नौकरी पाने वालों में चार आदिवासी महिलाएं हैं। एसईसीएल में मध्यप्रदेश की पुनर्वास नीति के तहत विवाहित महिलाओं को नौकरी देने का यह पहला मामला है। इन नियुक्तियों से माकपा और किसान सभा द्वारा भूविस्थापितों के पुराने लंबित रोजगार प्रकरणों की मांग को लेकर चलाये जा रहे आंदोलन को काफी बल मिलेगा।

उल्लेखनीय है कि कुसमुंडा खदान के लिए ग्राम बरकुटा की लगभग 300 एकड़ जमीन का तत्कालीन मध्यप्रदेश में वर्ष 1996 में अधिग्रहण किया गया था, जिसके चलते पूरा गांव उजड़ गया है और विस्थापन प्रभावित परिवार पिछले 25 सालों से पुनर्वास के लिए भटक रहे हैं। इस गांव के 100 से ज्यादा लोगों को रोजगार देने के प्रकरण अभी तक लंबित है। इससे आक्रोशित भूविस्थापितों द्वारा माकपा और किसान सभा के साथ मिलकर ओवर बर्डन काम कुछ दिनों पहले रोक दिया गया था, जिसके बाद प्रबंधन द्वारा  आंदोलनकारियों से बातचीत के बाद कल निरूपा बाई समेत पांच भूविस्थापितों को स्थायी नौकरी देने के लिए आदेश जारी किया । एसईसीएल प्रबंधन के साथ बातचीत में माकपा जिला सचिव प्रशांत झा तथा किसान सभा नेता जवाहर सिंह कंवर व दीपक साहू भी शामिल थे। बैठक के बाद एसईसीएल के जी एम ऑपरेशन दिनेश चंद कुंडू और स्टाफ ऑफिसर लैंड एंड रेवेन्यू के एस चौहान ने निरूपा बाई को नौकरी के लिए स्वीकृति आदेश की कॉपी दी, जिसे माकपा द्वारा मीडिया के लिए जारी किया गया है। इस आदेश में निरूपा बाई, इंदु बाई, अनिता कंवर, नीलिमा और विभूति भावना को भी नौकरी देने का उल्लेख है। इन सभी परिवारों की 28 डेसीमल से लेकर 5.52 एकड़ तक जमीन अधिग्रहित की गई थी।

माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने इस सकारात्मक पहलकदमी के लिए एसईसीएल प्रबंधन का आभार व्यक्त किया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि माकपा और किसान सभा द्वारा भूविस्थापितों के लिए पुनर्वास, मुआवजा एवं पुराने लंबित प्रकरणों में रोजगार और वैकल्पिक रोजगार की लड़ाई को और तेज किया जाएगा।

 

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