भाजपा शासनकाल में बृजमोहन को दिखाई नही दिया बस्तर में चला धर्मांतरण , Brijmohan was not seen during the BJP rule, the conversion went on in Bastar
धर्म में राजनीति भाजपाईयों की पुरानी आदत
भिलाई। धर्मांतरण के मामले में पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के बयान पर निशाना साधते हुए भिलाई विधायक एवं पीसीसी प्रवक्ता देवेंन्द्र यादव ने कहा है कि भाजपा के रायपुर में बैठे नेता आखिर बस्तर कब जाते हैं। श्री अग्रवाल बताए कि आखिरी बार वे बस्तर दौरे पर कब गए थे। कब आदिवासियों से मिले। ये अंदर की इनपुट उन्हें मिलती कहाँ से है। दरअसल, भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ में मुद्दाविहीन और चेहराविहीन पार्टी हो चुकी है। इनके नेताओं को नागपुर से ट्रेनिंग मिली हुई है कि जब कोई मुद्दा न हो तो धर्म को मुद्दा बनाओ। अब इनके निशाने पर बस्तर सरगुजा के सीधे सादे आदिवासीजन हैं। स्वयं बृजमोहन अग्रवाल जी छत्तीसगढ़ के सांस्कृति मंत्री रहे हैं और रमन सिंह के 15 साल के कार्यकाल में इन्हें जोर-शोर से चले धर्मांतरण नहीं दिखाई पड़े। अब जब छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार द्वारा मूल निवासियों को वनोपज से लेकर वन अधिकार तक, तेंदूपत्ता के समर्थन मूल्य से लेकर सुदूर अंचलों में स्वास्थ्य व्यवस्था से लेकर रोजगार में काम कर रही है। यही नहीं आदिवासियों की परंपरा और रीतिरिवाजों को सहेजने मुख्यमंत्री द्वारा घोटुल निर्माण के लिए 10 लाख और देवगुड़ी हेतु 5 लाख देने की घोषणा की है तो आज इनके पेट में दर्द हो रहा है और धार्मिक मुद्दे खड़े कर तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं। यदि श्री अग्रवाल को बस्तर के आदिवासियों की इतनी ही चिंता है तो वे खुद एक बार बस्तर दौरा करके आ जाए और खुद देख लें कि अब छत्तीसगढ़ के आदिवासियों ने रमन सिंह और भाजपा के विकास के मॉडल को रिजेक्ट कर दिया है। अब वे भाजपा के ऐसे किसी भी षडयंत्र में नहीं फंसने वाले, रही बात सुकमा एसपी के पत्र लिखे जाने की बात तो एक कथित शिकायत में ही एक उच्चाधिकारी द्वारा मामले को त्वरित संज्ञान में लेते हुए पत्र लिखकर प्रशासन की मुस्तैदी और संवेदनशीलता का परिचय दिया है। उस पत्र से यह साफ होता है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार आदिवासियों की जल-जंगल.जमीन और उनकी मौलिक अधिकारों की स्वतंत्रता बनाये रखने प्रतिबद्ध है।