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लोकबाबू के उपन्यास बस्तर बस्तर का आलोचक राजेश्वर सक्सेना ने किया विमोचन Rajeshwar Saxena, the critic of Lokbabu’s novel Bastar Bastar, released

भिलाई/ कथाकार लोकबाबू का उपन्यास  बस्तर बस्तर यह अरण्य तो दण्ड का है महाराज का विमोचन आभासी माध्यम से छग प्रगतिशील लेख संघ भिलाई व बिलासपुर में एक साथ किया गया । मु्ख्य अतिथि सुप्रसिद्ध  आलोचक डॉ राजेश्वर सक्सेना  ने इस उपन्यास का विमोचन किया और कहा- यह उपन्यास बस्तर की  परिस्थितियों को चित्रित करता है।
प्रलेस द्वारा कॉफी हाउस सेक्टर 10 में आयोजित विमोचन समारोह में उपन्यास विमोचन के अवसर पर आलोचक प्रो. सियाराम शर्मा ने कहा कि  यह उपन्यास आदिवासियों के दमन और विस्थापन को बड़ी संवेदनशीलता से रेखांकित करता है । आदिवासियों के जीवन की लय को उनके संसाधनों की लूट के चलते कैसे तोड़ा जा रहा है, यह भी दिखाता है । यह उपन्यास विश्वविख्यात लेखक हेमिंग्वे के उपन्यास शस्त्र बिदाई और मारिया वर्गीस व ल्योसा की नोबल पुरस्कार से पुरस्कृत कृति द स्टोरी टेलर के समकक्ष है ।

समीक्षक प्रो. जयप्रकाश ने कहा कि बस्तर के आदिवासियों के उत्पीडऩ पर लिखना साहस का काम है ,लोकबाबू ने आदिवासी जीवन को मानवीय दृष्टि से जिस यथार्थ ,समग्रता,और वैचारिकता के साथ प्रस्तुत किया,ऐसा पहले किसी कलमकार ने नहीं किया । सेवानिवृत्त प्रचार्य डॉ. कोमल सिंह सार्वा ने कहा कि आदिवासियों की उपलब्धियों को सोहर की तरह गाया जा रहा है लेकिन विकास के बीच नक्सली कैसे बढ़ते चले गए, इस पर विचार नहीं किया गया ।
प्रो.सुधीर शर्मा ने कहा-यह उपन्यास शोधपरक है और जीवंत पात्रों के माध्यम से बस्तर की सच्चाई को उजागर करने वाला है। सच्चाई यह है कि नक्सली समस्या से न हुक्मरान, पूंजीपति निजात पाना चाहते हैं इस समस्या की आड़ में सभी अपना-अपना उद्योग चला रहे हैं। लोकबाबू का यह उपन्यास बहुत सराहनीय प्रयास है।
छग हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष रवि श्रीवास्तव ने कहा-लोकबाबू ने साढ़े चार साल की कड़ी मेहनत से यह उपन्यास लिखा है, जो उन्हें बड़े उपन्यासकारों की अग्रिम पंक्ति में खड़े करता है ।  छग प्रलेसं के संगठन सचिव परमेश्वर वैष्णव ने कहा- लोकबाबू का यह उपन्यास वर्तमान में पुस्तक व पाठकों के बीच सम्बंधित दुरूहता के मिथक को तोड़ता है इस उपन्यास में आरम्भ से अंत तक पाठक को बांधने की जादुई सहजता है। भाषा बेहद सरल लोकजन्य है।

प्रलेसं भिलाई दुर्ग सचिव विमल शंकर झा, शमशीर सिवानी, थानसिंह वर्मा ,मुमताज,योगेंद्र शर्मा, सुखदेव सिंह आजाद, आलोक चौबे के अलावा वर्चुअल रूप से छत्तीसगढ़ प्रलेसं के महासचिव नथमल शर्मा,सत्यभामा अवस्थी,कपूर वासनिक, मधुकर गोरख,उषा आठले,शोभित वाजपेयी,हबीब खान,योगेंद्र,जगदीश चन्द्र दास, वेदप्रकाश अग्रवाल,प्रितपाल सिंह ,मृदुला सिंह,आदि छत्तीसगढ़ के साहित्यकारों और कलाकारों ने भागीदारी की। भिलाई नगर के आयोजन का संयोजन परमेश्वर वैष्णव व बिलासपुर के आयोजन का संयोजन सचिन शर्मा ने किया। अंत में उपन्यासकार लोकबाबू ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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