अब मिट रही रिफ्यूजी की पहचान, जानें शरणार्थियों का दर्द Now the identity of the refugees is being erased, know the pain of the refugees
भोपाल. बंटवारे के बाद पाकिस्तान (Pakistan) में नर्क की जिंदगी जी रहे लोगों का भारत आना शुरू हुआ. 74 साल बाद हजारों शरणार्थी आज भी मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के साथ देश के हर कोने कोने में रह रहे हैं. अब इन्हें भारत की नागरिकता मिलना शुरू हो गई है. प्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal) में 168 शरणार्थी में से अधिकांश को नागरिकता मिल गई है. जबकि 20 नागरिकता के मामले दस्तावेजों की वजह से पेंडिंग है. पुराने शहर और बैरागढ़ में करीब 465 सिंधी विस्थापित रहते हैं. यह लंबे समय से भारत की नागरिकता (Citizenship) के लिए प्रयासरत थे. अधिकांश लोगों को समय-समय पर नागरिकता दे दी गई थी. आइबी की रिपोर्ट के बाद कलेक्टर इन्हें भारत की नागरिकता के सर्टिफिकेट देते हैं. 2017 में राजधानी भोपाल में केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के द्वारा एक शिविर नागरिकता देने को लेकर लगाया गया था. इस शिविर में 168 आवेदन मिले थे. इन आवेदनों को प्रक्रिया के तहत नागरिकता देने के लिए पूरा किया गया.
बीते 5 सालों में धीरे-धीरे लोगों कोऔर तमाम दस्तावेजों के आधार पर भारत की नागरिकता दी गई. कुछ दिनों पहले ही भोपाल के 2 लोगों के साथ 6 लोगों को नागरिकता संशोधन कानून के तहत नागरिकता को गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दिलाई. अभी भी करीब 20 मामले पेंडिंग हैं, जिन्हें कलेक्टर के द्वारा भारत की नागरिकता दी जानी है. इन मामलों में कुछ दस्तावेजों का पेंच फंस रहा है. लेकिन कलेक्टर जल्द ही इन्हें भी नागरिकता प्रदान करेंगे. यानी कुछ महीनों बाद भोपाल में एक भी मामला पेंडिंग नहीं रहेगा.
पाकिस्तानी टैग नेम से थी पहचान
उनकी पहचान पाकिस्तानी या रिफ्यूजी के नाम से ही होती थी. इस पाकिस्तानी टैग नेम से उन्हें लानत जैसा महसूस होता था. वह पाकिस्तानी से भी जलील और प्रताड़ित कर निकाले गए और भारत आकर पांच पुश्तों के बाद भी लबारिश सी जिंदगी जी रहे थे. यहां हज़ारों परिवारों को अपनी पहचान मिलने का इंतजार था. ऐसे हज़ारों लोग हैं जो अब कहीं के नहीं रहे. न वह पाकिस्तान के नागरिक हैं न भारत ने उन्हें नागरिकता दी. ये परिवार ज़ब भोपाल आए तो उन्हें भोपाल के रेलवे स्टेशन के पास बने रिफ्यूजी केम्प में ठहराया गया. जहां बने बैरक में आज भी उनके परिजन रह रहें हैं. फर्क इतना है कि अब यह बैरक इमारतों में तब्दील हो गए. इस बैरक में पांच पीढ़ियों का साथ जीवन कटाने वाले लोगों कों अपनी पहचान मिलने लगी है. कुछ आसपास किराए के मकान में रह रहे हैं. बंटवारे के समय पाकिस्तान से हैदराबाद के सिंध प्रांत होते हुए सेकड़ों परिवार भोपाल आ बसे थे, जहां आज भी वह रिफ्यूजी कैंप मौजूद है.
मामूली बदलाव किए जाते रहे हैं
यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि उन्हें बैरेक के लिए 10 बाय 30 और 40 बाय 50 की जमीन आवंटित की गई थी. यहां पर 14 बैरक हैं, जिनमें 160 से ज्यादा लोग रहते हैं. लोगों ने अब इन बैरक को रहने के साथ अपने रोजगार का जरिया बना लिया है, लेकिन लोगों की अभी यह समस्या है कि कई लोगों को इनके पट्टे नहीं दिए गए. साथ ही कुछ लोगों को भारत की नागरिकता भी नहीं मिली. इस अधिनियम में वर्ष 2019 से पहले पांच बार संशोधन (वर्ष 1986, 1992, 2003, 2005 और 2015 में) किया जा चुका है. नवीनतम संशोधन के बाद इस अधिनियम में बांग्लादेश, अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के छह अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख) से ताल्लुक़ रखने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है. इसी तरह पिछले संशोधनों में भी नागरिकता दिए जाने की शर्तों में कुछ मामूली बदलाव किए जाते रहे हैं.
ये है नागरिकता की व्यवस्था
शरणार्थियों को नागरिकता के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होता है. जिले के कलेक्टर या राज्य सचिव स्तर का अधिकारी आवेदन करने वाले के दस्तावेजों की जांच करते हैं. दस्तावेजों की विश्वसनीयता पर जरा सा भी शक होने पर कलेक्टर जांच के आदेश दे सकते हैं. कलेक्टर या सचिव के नेतृत्व में जांच एजेंसी को केस सौंपा जा सकता है. जांच से संतुष्ट होने के बाद ही कलेक्टर नागरिकता की इजाजत देते हैं.
मुस्लिमों के हितों की रक्षा की
सिंधी समाज से ताल्लुक रखने वाले और बीजेपी नेता दुर्गेश केसरवानी ने बताया कि बंटवारे के दौरान यह तय हुआ था कि पाकिस्तान में हिंदुओं के हितों की रक्षा की जाएगी और भारत में मुस्लिमों को हितों की रक्षा की जाएगी. उन्होंने कहा कि भारत में तो मुस्लिमों के हितों की रक्षा पहले भी की गई थी और आज भी की जा रही. लेकिन पाकिस्तान में हिंदुओं के हितों की रक्षा नहीं की गई. यही कारण है कि वहां से लोग प्रताड़ना सहकर वापस भारत लौटे. उन्होंने कहा कि अब ऐसे लोगों को नागरिकता मिलने से अब उन्हें एक आम नागरिक की तरह अधिकार मिल जाएंगे. वोट डालने से लेकर सरकारी योजना में सभी लोग हिस्सा ले सकेंगे. उन्होंने कहा कि भोपाल में अधिकांश लोगों को नागरिकता समय-समय पर दी गई है. लेकिन अभी कुछ लोग बचे हैं उन्हें भी जल्द सदस्यता दी जा रही है.