एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है
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जांजगीर-एक फेमस पुरानी कहावत है कि एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है ,इसमे अगर दो और तीन हो जाये तो पक्का यकीनन पूरे क्षेत्र में महामारी फैला देगी, यहाँ मछली की परिभाषा जांजगीर के उन फर्जी और ब्लैकमेलिंग करने वाले तथाकथित अपने को पत्रकार की स्वयं ही उपाधि लिये आफिसों और पंचायतो के आसपास जीभ लबलबाते घूमने वाले वही दो से हैं कि कोई तो हड्डी का टुकड़ा डाल दें ,हद तो यहाँ तक है कि फेके टुकड़े नही मिलने पर ये झप्पटा मारने में भी नही चूकते हैं ,जांजगीर में ऐसे भी पत्रकारों की कमी नही जिनके कलम बोलते हैं और इनके इन्ही कलम की वजह से पत्रकारिता में लगातार नित नये अध्याय आने वाली पीढ़ियों के लिये मिल का पत्थर साबित होंगे। ,
हाँ तो बात फिर वही पर आकर रुक जाती हैं देखा जा रहा है विगत कुछ समय से जांजगीर क्षेत्र मे कुछ दो युवकों के कारनामे से पत्रकारिता में जख्म देने का कार्य किया जा रहा है, इन लोगों का लिखने पढ़ने से कोई मतलब नहीं है इनका काम केवल विभिन्न हथकंडे अपनाते सामने वाले से भीख मांगना नही तो ब्लेकमेलिंग करना एक मात्र है ,हालांकि ये कुछ कलमकारों के नजर में आ गये है ।जानकारी के अनुसार आधी अधूरी जानकारी, शिक्षा, शरीर लिए अपने भूखे परिवार के लिये हड्डियां जुटाने घसीटने मजबूर है , लेकिन प्रश्न ये हैं कि अगर इस तरह का काम करना है तो पत्रकारिता का ही चोला क्यों? जानकारी तो यह भी मिली हैं कि कुछ माह पूर्व इनके द्वारा लगातार प्रताड़ित करने की वजह से एक पंचायत के रोजगार सहायक की आकस्मिक मौत की भी खबर है वही स्थानीय कुछ पत्रकारों की माने तो पूरे जांजगीर में इन लोगों के फैलाई जा रही गंदगी की जानकारी होने की वजह से ही इनको कही पर भी खड़े होने का स्थान नही मिल पाया है, यहाँ दो -तीन बड़ी पत्रकारों की संगठन है जिनमे इनकी एंट्री तक वर्जित बनी हुई बताई जा रही हैं ,पर प्रश्न अभी भी वही है कि इस तरह के लोगों को जांजगीर के निष्पक्ष पत्रकारिता में वरिष्ट जनों द्वारा कब तक अनदेखा किया जाता रहेगा, दूसरी ओर अपनी पूरी पत्रकारिता में अपनी पूरी उम्र झोकने वाले कलमकारों की इतने वर्षों की तपस्या का क्या ? मैं अब भी प्रणाम करता हूँ उन कलमकारों को जिन्होंने अपनी कलम से समाज को सही दिशा देता आ रहा है ।
जांजगीर में उन तीन तथाकथित पत्रकारों के द्वारा ब्लेकमेलिंग की वजह से पत्रकारिता में दिया जा रहा नितनये घाव …आडियो और वीडियो का अपने हिसाब से उपयोग -क्षेत्र के कलमकारों की चुप्पी आखिर कब तक