जानिए LJP कोटे से मोदी कैबिनेट का हिस्सा बनने जा रहे पशुपति कुमार पारस के बारे में सबकुछ Know everything about Pashupati Kumar Paras who is going to be a part of Modi cabinet from LJP quota

पटना. पीएम मोदी (PM Modi) आज अपने कैबिनेट का विस्तार (Cabinet Expansion) करने जा रहे हैं. मोदी कैबिनेट (Modi Cabinet) में जिन नए चेहरों की एंट्री होगी, उसमें एक चेहरा एलजेपी (LJP) के संस्थापक और दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) के भाई पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) का भी है. अब यह तय हो गया है कि पशुपति कुमार पारस मोदी मंत्रिमंडल का हिस्सा बनने जा रहे हैं. बीते कुछ दिनों से मोदी कैबिनेट में शामिल होने को लेकर बिहार से कई नामों की चर्चा हो रही थी, लेकिन बुधवार को यह साफ
हो गया है कि एलजेपी कोटे से पशुपति पारस ही कैबिनेट मंत्री बनेंगे. एलजेपी में वर्चस्व को लेकर पशुपति कुमार पारस और रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान में जंग शुरू हो गई है. पशुपति पारस के केंद्रीय कैबिनेट में शामिल होना चिराग पासवान के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है. ऐसे में जानना जरूरी है कि आखिर पशुपति पारस कैसे और किस तरीके से बिहार कैबिनेट से लेकर केंद्रीय कैबिनेट का हिस्सा बने.
पारस इस तरह रामविलास पासवान के साथ साये की तरह रहते थे
रामविलास पासवान के छोटे भाई पारस का जन्म 06 जून 1957 में हुआ. करीब से जानने वाले कहते हैं, ‘पशुपति कुमार पारस हमेशा अपने भाई रामविलास पासवान के साथ एकदम साये की तरह रहते थे. रामविलास पासवान की तरह पशुपति कुमार पारस की गिनती भी बिहार की राजनीति में दलित चेहरे के रूप में होती है. पशुपति पारस ने रामविलास के आशीर्वाद से ही राजनीति शुरू की और उनके साथ ही राजनीति के गुर भी सीखें. पारस लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे हैं. पशुपति पारस और रामविलास पासवान के एक और भाई रामचंद्र पासवान भी एलजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे हैं. रामविलास पासवान और रामचंद्र पासवान अब इस दुनिया में नहीं है.
रामविलास की कर्मभूमि हाजीपुर से हैं सांसद
पशुपति कुमार पारस पहली बार रामविलास पासवान की कर्मभूमि हाजीपुर से लोकसभा सांसद चुने गए हैं. इससे पहले वह अपने पैतृक जिला खगड़िया के अलौली विधानसभा सीट से पांच बार विधायक भी चुने जा चुके हैं. साल 2019 में नीतीश मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे कर पारस हाजीपुर लोकसभा का चुनाव लड़ा और फिर जीत कर संसद पहुंचे. पारस पहला विधानसभा चुनाव साल 1985 में लड़ा और उसके बाद इसी सीट से पांच बार विधायक रहे.
नीतीश मंत्रिमंडल का भी हिस्सा रह चुके हैं
साल 2019 लोकसभा चुनाव से पहले पारस नीतीश मंत्रिमंडल के हिस्सा थे. बिहार में जब वह नीतीश सरकार में मंत्री बने थे तो उस समय वह किसी सदन के सदस्य नहीं थे. नीतीश कुमार ने बाद में उन्हें विधान पार्षद बनाया. पारस बिहार सरकार में पशुपालन और मतस्य विभाग के मंत्री के साथ-साथ लंबे समय तक एलजेपी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
एलजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं पारस
साल 2000 में जब रामविलास पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना की तो पशुपति भी अपने भाई का साथ देते हुए लोक जनशक्ति पार्टी में आ गए. पारस साल 2019 में लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर हाजीपुर से 17वीं लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. रामविलास पासवान अपने भाइयों को बहुत प्यार करते थे. रामचंद्र पासवान की मौत के बाद वह पारस से उनकी निकटता और गहरी हो गई. लेकिन, 8 अक्टूबर 2020 को रामविलास पासवान की मृत्यु के कुछ दिन बाद ही चाचा-भतीजा में ठन गई. हालांकि, उससे पहले ही रामविलास पासवान ने अपने बेटे चिराग पासवान को लोक जनशक्ति पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त कर दिया था. पार्टी के सभी फैसले चिराग ही लेते थे. यह बात रामविलास पासवान कई मौके पर बोल चुके थे
चाचा-भतीजे की लड़ाई में किसका हुआ नुकसान?
एलजेपी के एक बड़े नेता के मुताबिक, ‘पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान के बीच दरार बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद शुरू हो गई. पारस चिराग के अकले चुनाव लड़ने के फैसले के खिलाफ थे, लेकिन पारिवारिक मजबूरियां उन्हें सार्वजनिक मंच से चिराग का विरोध करने से रोक रही थी. लेकिन, बीते कुछ महीनों से जब चिराग पासवान का व्यवहार और उनके कुछ मित्रों की वजह से पार्टी में काम करने का तरीका बदल गया. इसके बाद आखिरकार पारस ने चिराग को सबक सिखाने की ठान ली. पार्टी के सभी पांचों लोकसभा सदस्यों को अपने पाले में कर पारस ने बगावत कर दी.’
कुलमिलाकर अब पुशपति कुमार पारस का मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद वर्चस्व की यह लड़ाई लंबी चलने वाली है. हालांकि पारस गुट के द्वारा लगातार कहा जा रहा है कि चिराग अपना व्यवहार बदल लें तो वही एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहेंगे.
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