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अफगानिस्तान से बिना बताए ही रात के अंधेरे में निकल गई थी अमेरिकी सेना, बगराम एयरबेस के नए कमांडर का दावा The US Army had left Afghanistan in the dark of night without informing, claims the new commander of Bagram Airbase

नई दिल्ली. अफगानिस्तान (Afghanistan) स्थित बगराम एयरफील्ड (Bagram Airfield) को अमेरिकी फौज (US forces) ने 20 साल बाद छोड़ दिया, लेकिन बगराम एयरफील्ड से जिस तरह अमेरिका निकला, उसको लेकर अब चर्चा छिड़ गई है. अफगानिस्तान के मिलिट्री अधिकारियों का कहना है कि अमेरिकी फौन रात को बिजली बंद कर चुपचाप बिना बताए निकल गई और अफगानिस्तान के नए कमांडर को इसका पता उनके जाने के दो घंटे बाद चला. अफगान फौज ने सोमवार को बगराम एयरफील्ड को दुनिया के सामने रखा. ये पहली बार था, जब दुनिया ने तालिबान और अल-कायदा आतंकियों के खिलाफ अमेरिकी युद्ध अभियान के केंद्र को देखा.

बीते शुक्रवार को अमेरिका ने ऐलान किया था कि उसने अफगानिस्तान में अपने सबसे बड़े एयरफील्ड को खाली कर दिया है. हालांकि पेंटागन ने कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों के निकलने का कार्यक्रम अगस्त तक पूरा हो जाएगा. बगराम के नए कमांडर जनरल मीर असदुल्लाह कोहिस्तानी ने कहा, “हमें सुबह 7 बजे के करीब अफवाह सुनाई पड़ी कि अमेरिकी बगराम से निकल गए हैं. बाद में हमें समझ आया कि अमेरिकी तो पहले ही निकल गए हैं.” अमेरिकी मिलिट्री के प्रवक्ता कर्नल सोनी लेगेट ने अफगान सैनिकों की उन शिकायतों का कोई जवाब नहीं दिया, जिनमें अमेरिकी सैनिकों के बिना बताए निकलने की बात थी.

अमेरिकी बयान में कहा गया कि अफगानिस्तान से निकलने की प्रक्रिया राष्ट्रपति जो बाइडन की मध्य अप्रैल में की गई घोषणा के बाद से ही चल रही है और अमेरिका अपने बाकी बचे सैनिकों को निकाल रहा है. लेगेट ने बयान में कहा कि अमेरिकी सैनिकों के निकलने को लेकर अफगान नेताओं के साथ चर्चा की गई है. बता दें कि अफगान आर्मी के बगराम एयरफील्ड पर कब्जा हासिल करने से पहले स्थानीय लुटेरों ने एयरफील्ड पर धावा बोल दिया और बैरकों में अतिक्रमण करते हुए कहा कि कई सारी चीजें लूट ली. काबुल से बगराम एयरफील्ड पहुंचने में एक घंटे का समय लगता है.

अमेरिकी सैनिक अब्दुल रउफ ने कहा, “पहले हमें लगा कि तालिबान ने कब्जा कर लिया है.” रउफ के मुताबिक अमेरिकी सैनिकों ने काबुल एयरपोर्ट पहुंचने के बाद फोन किया और कहा कि वे काबुल में एयरपोर्ट पर हैं. कोहिस्तानी ने कहा कि अफगान नेशनल सिक्योरिटी और डिफेंस फोर्स बगराम एयरफील्ड पर कब्जा बरकरार रखने में सक्षम हैं, बावजूद इसके अफगानिस्तान के एक बड़े हिस्से पर तालिबान ने कब्जा जमा लिया है. बगराम एयरफील्ड पर 5 हजार कैदियों के लिए एक जेल भी है, जिनमें ज्यादातर तालिबानी बंद हैं.

बगराम एयरफील्ड पर कभी अमेरिका के एक लाख सैनिक होते थे और तालिबान के खिलाफ अमेरिकी लड़ाई का यह केंद्र हुआ करता था, लेकिन जब अफगानिस्तान से निकलने की बारी आई तो अमेरिकी सैनिकों ने एयरफील्ड के बाहर पहरेदारी कर रहे अफगान सैनिकों को इस बारे में बताया भी नहीं. अफगान सैनिक नईमतुल्लाह ने कहा, “20 साल में कमाई इज्जत को अमेरिकी सैनिक एक रात में गंवा बैठे. अफगान सैनिक एयरफील्ड के बाहर पहरेदारी कर रहे थे, लेकिन अमेरिकी फौज ने उन्हें बताया नहीं.” हेलमंड और कंधार में तालिबान के खिलाफ लड़ने वाले रउफ ने कहा कि अमेरिकी फौज के बगराम से निकलने के 20 मिनट बाद एयरफील्ड पर बिजली बंद कर दी गई और चारों तरफ अंधेरा छा गया.

उन्होंने कहा कि चारों तरफ अंधेरा लुटेरों के लिए एक संकेत था. लुटेरे उत्तरी छोर से घुसे और पहला बैरियर तोड़ते हुए इमारत में तबाही मचा दी. उन्होंने जो कुछ भी मिला लूट ले गए. अमेरिकी फौजों के निकलने के बाद से अफगान सैनिक अब भी कचरा साफ कर रहे हैं, जिसमें बोतलें, कैन और खाली एनर्जी ड्रिंक के डिब्बे हैं. अफगानी जनरल कोहिस्तानी ने कहा कि अफगानिस्तान में 20 सालों तक अमेरिकी और नाटो सैनिकों की तैनाती की प्रशंसा की जानी चाहिए, लेकिन अब समय आ गया है अफगान खुद नियंत्रण हासिल करें. उन्होंने कहा, “हमें अपनी समस्या का समाधान खुद करना होगा. हमें अपने देश की सुरक्षा करनी होगी और एक बार फिर से अपने हाथों इस देश को बनाना होगा.’

 

 

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