जांजगीर चाम्पा जिले मे गोधन न्याय योजना से ठगे जा रहे महिला समूह दस रूपए का मुनाफा बताकर तीन रूपए चौरानबे पैसे का किया जा रहा भुगतान…..प्रशांत सिंह ठाकुर
जांजगीर. छत्तीसगढ़ शासन की गोधन न्याय योजना अंतर्गत स्थापित गौठान में बड़ी संख्या में महिलाएं गोबर से खाद बनाने के काम में संलग्न है। योजना अंतर्गत गौठान समितियों के द्वारा गोबर की खरीदी की जाती है। खरीदे गए गोबर को गौठान समिति के अधीन काम करने वाली महिला स्व -सहायता समूह को खाद बनाने के लिए दे दिया जाता है । शासन द्वारा 2 रुपया प्रति किलो की दर से गोबर की खरीदी और बने हुए खाद को 10 रुपया प्रति किलो की दर से विक्रय करना तय किया गया था । स्व सहायता समूह से जुड़े लोग इस कार्य में 8 रुपया प्रति किलो लाभ मानकर जुटे थे।1 वर्ष पश्चात जब खाद की बिक्री और उसके भुगतान का समय आया तब उन्हें प्रति किलो 3.94 रुपये की दर से लाभांश दिया जा रहा है। यह स्वसहायता समूह की उम्मीदों पर पानी फेरने जैसा हुआ। समूह से जुड़े सदस्यों ने आर्थिक समृद्धि के उद्देश्य से यह काम शुरू किया था। शुरुआती दौर में उन्हें बड़ा लुभावना सपना दिखाया गया था, पर सच्चाई कुछ और निकली।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य प्रशांत सिंह ठाकुर ने इसे स्व सहायता समूहों के साथ छलावा बताया। उन्होंने कहा कि “महिलाओं को एक प्रकार से ठगा गया है। गोधन न्याय योजना पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन से आगे कुछ भी नहीं है। कागज और पोस्टरों में बहु -प्रचारित इस योजना की जमीनी सच्चाई एकदम उलट है । शासन द्वारा इसकी सफलता के संबंध में जो आंकड़े प्रस्तुत किए जाते हैं, उसमें चालाकी करते हुए महत्वपूर्ण बिंदुओं को छुपा दिया जाता है। कुछ दिनों पूर्व जांजगीर-चांपा जिले के गौठान के संबंध में आंकड़े जारी किये गए थे। इन आंकड़ों में जिले के स्व सहायता समूहों को खाद बिक्री से 6 लाख रुपये आमदनी प्राप्त होना दिखाया गया था। परंतु उक्त लाभांश राशि कितने समूहों के मध्य वितरित की गई यह नहीं बताया गया।”
इस सम्बंध में जमीनी सच्चाई की जानकारी लेने कार्यकर्ताओं के साथ क्षेत्र के गौठान का निरीक्षण किया गया। इस दौरान चौंकाने वाली जानकारी प्राप्त हुई। उन्होंने आगे कहा कि ” महिला स्व -सहायता समूह के सदस्यों ने 1 वर्ष तक कठिन परिश्रम करके खाद बनाया और जब खाद बन गया तब उनके मार्केटिंग और विक्रय के संबंध में समस्या खड़ी थी। ले देकर कुछ स्थानों पर शासकीय विभागों के द्वारा खाद खरीदी की गई ,परन्तु वहां भी भुकतान संबंधी समस्या बनी हुई थी । इन सबके बाद भी शायद समूह की महिलाओं का उत्साह बना रहता है, परंतु उनके पैरों तले जमीन तक खिसक गई जब उन्हें यह पता चला है की खाद विक्रय पश्च्यात प्राप्त राशि में लाभांश के रूप में उन्हें प्रति किलो केवल 3.94 रुपया की दर से भुगतान किया जाएगा। इस हिसाब से किसी भी समूह को 1 वर्ष की अवधि में कुल 10- 12 हजार से ज्यादा लाभांश प्राप्त नहीं हुआ है ।महिला स्व सहायता समूह में सदस्यों की संख्या 10 से अधिक होती है । इसका मतलब प्रति महिला केवल 1000-1200 रुपया वार्षिक लाभांश प्राप्त हुआ, अर्थात उनके एक माह की कमाई केवल 100 रुपया ही है ।जबकि आज कहीं भी मजदूरी की दर प्रतिदिन डेढ़ सौ से दो सौ रुपया होता है। ऐसे में महिला स्व सहायता समूह की सदस्यों को महीने में 100 रुपया का लाभांश दिया जाना ना केवल हास्यास्पद है बल्कि उनके साथ बहुत बड़ा धोखा भी है।
एक वर्ष से आर्थिक समृद्धि की आस लगाए समूह की महिलाओं के विश्वास के साथ यह कुठाराघात छत्तीसगढ़ सरकार को भारी पड़ेगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित उनके तमाम रणनीतिकारों को महिला स्व सहायता समूह से ना केवल माफी मांगनी चाहिए बल्कि उनको हुए नुकसान की भरपाई भी की जानी चाहिए ।यथाशीघ्र शासन को अपने नियमों में संशोधन करते हुए महिला स्व सहायता समूह के लाभांश में न केवल वृद्धि करनी चाहिए बल्कि अनुदान की व्यवस्था भी करनी चाहिए।
गौठान निरीक्षण टीम में भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य प्रशांत सिंह ठाकुर, भाजयुमो प्रदेश मंत्री जितेंद्र देवांगन, भाजपा आईटीसेल प्रदेश प्रतिनिधि अभिमन्यु राठौर, भाजपा सांस्कृतिक प्रकोष्ठ प्रदेश कार्यसमिति सदस्य राहुल सेन शामिल थे।
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