आदिम जनजाति बैगा समुदाय को वन अधिकार कानून 2006 के अंतर्गत हैबिटाट राइट्स (पर्यावास अधिकार) दिलाने हेतु इतवारी बैगा के नेतृत्व में 20 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया। इस विषय में जानकारी देते हुए कमेटी सदस्य तथा आदिवासी समता मंच की दयाल सिंह मरावी ने बताया की इस 20 सदस्यीय कमेटी में 10 बैगा पुरुष 10 बैंगीन महिला के अलावा आदिवासी समता मंच की तरफ से उनके अलावा चंदन सिंह ,धुर्वे ,इतवारी , इंदु नेताम, के साथ साथ इंदिरा गांधी ट्राईबल विद्यालय की प्रोफेसर डॉक्टर रंजू हंसिनी साहू समाजिक मानव विज्ञानी डॉक्टर बॉबी लूथरा सिन्हा तथा दिल्ली विश्वविद्यालय में वन अधिकार विषय पर शोध कर्ता राजेश रंजन शामिल है। कमेटी सदस्य चंदन सिंह धुर्वे ने बताया कि कमेटी का मुख्य कार्य हैवीटाट राइट प्राप्त करने की सभी प्रतिक्रियाओ का पालन कर। जिसने क्षेत्र में चर्चा परिचर्चा, शोध, ग्राम सभा प्रस्ताव इत्यादि शामिल है। हैवीटाट राइट का सरकार का सहयोग के साथ आवेदन करना है। साथ ही वन अधिकार के तहत अन्य अधिकार जैसे व्यक्तिगत अधिकार पत्र, समुदायिक अधिकार पत्र,प्रबंधन का अधिकार, तथा वनोपज पर अधिकार प्राप्त करने में क्षेत्र में अन्य जनजाति तथा अन्य आश्रितों को मदद करना है। बैगा समुदाय के श्री लमतूबैगा ने बताया की इस कमेटी का गठन हेतु आज दलदली भोरमदेव अभ्यारण बोड़ला ब्लॉक में बैगा समुदाय के कई मुखिया एकत्रित हुए। तथा जूम ऐप की मदद से छत्तीसगढ़ राज्य शासन के आदिवासी संचालनालय के(एफ,आर,ए, सेल) के मनोहर चौहान तथा कई अन्य जानकारों से रूबरू हुए। तथा शासन तथा जानकारों से प्रक्रिया में मदद करने को कहा और सहमति प्राप्त किया इंटरनेशनल यूनियन आफ एन्थो पोलाजिकल एंड एथनोग्राफिक साइंसेस(आई,यू,ए,यस) की सदस्य तथा सामाजिक मानव विज्ञानी डॉक्टर बॉर्बी लूथरा सिन्हा ने बताया कि हैवीटाट राइट मिलने से क्षेत्र में रह रहे ।सभी बैगा अन्य जनजाति तथा अन्य वन आश्रित समुदाय के लोग अपने परंपरा मान्यताओं के साथ अपने पारंपारिक जीविकोपार्जन के साथ-साथ अपनी सामाजिक-सांस्कृतिक-अध्यात्मिक धरोहर की सुरक्षा तथा संवर्धन कर पाएंगे, जिससे वन, जैवविविधता, आदिवासी, अन्य जनजाति इत्यादि और बेहतर तरीके से सुरक्षित तथा संवर्धन हो पाएगा। कमेटी सदस्य तथा आदिवासी समता मंच की इंदुनेताम ने कहा कि मुझे पूर्ण विश्वास है उन्हें पूर्ण विश्वास है। बैगा समुदाय तथा अन्य जनजाति के लोग तथा संस्था की इस पहल तथा प्रयास से देश में सही मायने में पहला वन अधिकार के तहत हैवीटाट राइट प्राप्त हो पायेगा, जो देश के अन्य 74 पी,वी,टी, जी, समुदाय तथा प्रदेश के अन्य 4 पी,वी,टी,जी, समुदाय को समुदाय को यह अधिकार प्राप्त करने की दिशा में रस्ता साफ करेगा। शोध कर्ता राजेश रंजन ने बताया कि हैवी टाट राइट के माध्यम से बैठाओ के धरोहर को बचाना और उनके संवर्धन के स्थिति पैदा करना बेहद जरूरी है ।क्योंकि यह क्षेत्र के बैगाओ के केवल हैवीटाट को सुरक्षित नही करता बल्कि विश्व तथा भारत के कई समस्याओं के समाधान के दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा क्योंकि बैगा तथा आदिवासी समाज के पारंपरिक ज्ञान, जीवन, यापन पद्धति में उनके उतर छिपे हैं।
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