कबीर जयंती पर महाप्रभु वल्लभाचार्य महाविद्यालय महासमुंद द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार रखा गया

*कबीर जयंती पर महाप्रभु वल्लभाचार्य महाविद्यालय महासमुंद द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार रखा गया*
शासकीय महाप्रभु वल्लभाचार्य स्नातकोत्तर महाविद्यालय महासमुंद में 24 जून को डॉ ज्योति पांडे प्राचार्य संरक्षक के मार्गदर्शन में एवं डॉ अंशु अग्रवाल डिलीट प्राध्यापक हिंदी विभाग अध्यक्ष हिंदी विभाग के संयोजन में हिंदी विभाग में कबीर जयंती के अवसर पर “कबीर साहित्य की प्रासंगिकता” विषय पर एक दिवसीय ऑनलाइन राष्ट्रीय विभिन्न स्तर का आयोजन किया गया।
ऑनलाइन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर राम नारायण पटेल प्राध्यापक हिंदी विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली एवं मुख्य अतिथि डॉ सुनील कुमार एसोसिएट प्रोफेसर गुरु नानक विश्वविद्यालय अमृतसर सादर आमंत्रित थें ।
कार्यक्रम का शुभारंभ कबीर वाणी से किया गया डॉक्टर या अग्रवाल ने स्वागत भाषण के साथ विषय प्रवर्तन किया । उन्होंने आगे कहा कि कबीर मस्त मौला दुनियादारी के बेपरवाह कबीर व्यक्तित्व सबसे अनूठा है उनका साहित्य संपूर्ण जीवन दर्शन है । जो जीवन जीने की कला सिखाती है कबीर का साहित्य सामाजिक समरसता को बढ़ाता है ।
अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ ज्योति पांडे प्राचार्य ने कहा कि आज के युग में कबीर के जैसा अपने बाप बयानी करने वाला बिरला होता है कबीर सर्वधर्म सम्मान विश्व बंधुत्व के उन्नायक थे कबीर ने ईश्वर से उस रूप में पेश किया ।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर राम नारायण पटेल ने भक्ति काल की राजनीतिक ऐतिहासिक परिपेक्ष में कबीर दर्शन को स्पष्ट किया । कबीर समाज के सच्चे हितैषी थे कबीर ने सत्य की निरंतर खोज की और बताया कि सत्य वही हो सकता है जो शाश्वत है चिरंतर है । कबीर का सत्य शुन्य हैं और उनका शुन्य गगन मंडल है । कबीर के अनुसार आत्म ज्ञान से ही आत्म संयम संभव है , शास्त्र ज्ञान से जो कभी संभव नहीं । कबीर ने सदैव जागृत रहने को कहा कबीर का साहित्य ढकोसला का विरोध है।
विशिष्ट अतिथि डॉ सुनील कुमार ने अपने वक्तव्य में कहा टी कबीर का संपूर्ण जीवन लोक कल्याण हेतु समर्पित रहा कबीर ने स्वयं के परिवर्तन हेतु स्वयं से लड़ा कबीर द्वारा स्थापित मूल्य सार्वदेशीय व सर्वकालीन है। इसलिए मूल्यों की प्यास बुझाने हेतु, कबीर का आश्रय लेना ही होगा कबीर का मूल मंत्र मानवता है कबीर समाज में मनुष्य होने की भावनाओं एवं मन की शुद्धता पर सर्वाधिक बल देते हैं ।
आभार ज्ञापन डॉ दुर्गावती भारतीय सह प्राध्यापक हिंदी विभाग एवं कार्यक्रम संयोजक द्वारा किया गया कार्यक्रम का संचालन श्रीमती सीमा रानी प्रधान प्राध्यापक हिंदी विभाग एवं आयोजन सचिव ने किया
कार्यक्रम में डॉ जया ठाकुर विभागाध्यक्ष समाजशास्त्र , श्रीमती करुणा दुबे विभागाध्यक्ष रसायन , डॉक्टर नीलम अग्रवाल विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र , डॉक्टर मालती तिवारी विभागाध्यक्ष राजनीति विभाग , डॉ रीता पांडे विभागाध्यक्ष इतिहास , डॉक्टर वैशाली गौतम हिरवे विभाग मनोविज्ञान , डॉक्टर चेलक विभाग वनस्पति , श्री मनीराम धीवर विभागाध्यक्ष भौतिक , श्री अजय राजा विभाग वाणिज्य , श्रीमती सरस्वती सेठ विभाग योग एवं महाविद्यालय के समस्त स्टाफ के साथ छात्र-छात्राएं तथा प्रदेश व अन्य प्रदेश से विभिन्न जन इस कार्यक्रम में जुड़े रहे