खूबसूरती की खनक, और ‘लाख’ समेट कर दो जून की रोटी जुटाने की कशमकश
कसक
*’खूबसूरती की खनक, और ‘लाख’ समेट कर दो जून की रोटी जुटाने की कशमकश…..*
‘दिनभर चिन्दी – चिन्दी जुटाने के बाद 10-15 रूपए किलो बिकता है, इनका लाख’
*बगीचा*. ब्लॉक के घोघर गांव के पहाड़ी कोरवा परिवार के दो सदस्य पूरे दिन लाख जुटाने की जद्दोजहद में जुटे रहते हैँ. स्थानीय भाषा में वे इसे लाख कहते हैँ. हम इसे कुछ ऐसे समझा सकते हैँ, दरअसल पेड़ों की टहनियों में गोंद की तरह एक मटेरियल निकलता है. जिसे हम लाख का रा मटेरियल कहा सकते हैँ. लाख के इस मटेरियल के लिए यह ग्रामीण पूरे दिन पेड़ों की खाक छानते हैँ. बेर या अन्य पेड़ के छोटी छोटी टहनियों से यह चाकू के सहारे खुरच कर लाख एकत्रित करते हैँ. पहाड़ी कोरवा परिवार के यह दो सदस्य बताते हैँ की पूरे दिन वह लाख की तलाश में रहते हैँ. और कई दिनों की मेहनत के बाद एक या दो किलो लाख एकत्रित कर लेते है. वह बताते हैँ. की एकत्रित लाख बेचने पर उन्हें 10 से 15 रूपए पर किलो के हिसाब से पैसे मिल जाते हैं…… ❗झलक…..