छत्तीसगढ़

जिले की कोरोना व्यवस्था पर मेरा एक कडुवा सवाल- लालू गबेल I have a bitter question on the corona system of the district – Lalu Gabel

*जिले की कोरोना व्यवस्था पर मेरा एक कडुवा सवाल- लालू गबेल*
समय पर सही सुविधा और उचित कार्यवाही क्यों नही किया जाता जांजगीर चाम्पा जिला में।
कोविड सेन्टरों की दुर्दशा और कोरोना उपचार संसाधनों पर इतनी बड़ी विडंबना शायद ही कही देखने को मिलेगा।
जांजगीर चाम्पा जिला में सभी दलों के कद्दावर नेताओं की है भरमार, फिर भी प्रशासनिक व्यवस्था बेकार।
जांजगीर चाम्पा- जिले के मालखरौदा ब्लॉक मुख्यालय के सामाजिक कार्यकर्ता लालू गबेल ने बहुत ही सच और इतना सच कि कितनो के लिए यह एकदम कडुवा सवाल साबित होगा।
कोरोना को लेकर जिले की व्यवस्था पर सामाजिक कार्यकर्ता लालू गबेल ने जिले के तमाम दलों के कद्दावर नेताओं और शासन प्रशासन के सामने बहुत बड़े सवाल खड़े किया है। जिसमे कोविड सेन्टरों की बदहाली और कोरोना उपचार संसाधनों पर जिला प्रशासन द्वारा बरती गई बड़ी लापरवाही सामने है।
सवाल यह है कि देश से लेकर प्रदेश सरकार तक कोरोना की दूसरी लहर आने से पहले उसका संकेत सभी जिलों को अलर्ट कर कोरोना से निपटने सभी तरह की जिम्मेदारी और निर्णय लेने का अधिकार जिला प्रशासन को दिया गया था तो क्यों समय से पहले कोविड सेन्टरों को दुरुस्त नही किया गया था और यहाँ तक कि कोविड सेन्टरों में संसाधनों का जायजा भी समय पूर्व नही लिया गया था जिसमे क्या उपकरण उपलब्ध है और कौन कौन से सामान गायब है। कोरोना से लोगो की सुरक्षा करने क्या व्यवस्था है क्या नही है इस पर समय रहते ध्यान क्यों नही दिया गया जिसके कारण जिले में लांसो की बाढ़ सी आ गई थी। जिले से लेकर विकास खण्ड स्तरों में बने कोविड सेन्टरों में मरीजों के लिए जगह नही तो कही संसाधन ही गायब जिसका जीता जागता उदाहरण मालखरौदा विकासखण्ड के वीर शहीद दीपक भारद्वाज के ग्राम पिहरीद में बने सौ बिस्तर कोविड सेंटर है। जिसमें से अधिकांश बेड,चादर, गद्दा, गीजर, फ्रिज, पंखा आदि संसाधन शरू से ही गायब है जहाँ कोरोना की दूसरी लहर के लिए लोगो को बचा पाने कोई व्यवस्था नही थी अधिकांश संसाधन गायब है।
जिसे कोविड केयर कमेटी मालखरौदा के नाम एक सर्वदलीय मंच के सहारे मुश्किल से बचे 30-35 बेड में लोगो को जैसे तैसे सुविधा मिल पाया, जहाँ प्रशासन के रिकॉर्ड में आज भी सौ बिस्तर अपडेट होता है और वास्तविक में उतना है नही।
कोविड सेंटर की दुर्दशा और समान गायब होने की जानकारी स्वयं तत्कालीन जिला कलेक्टर यशवंत कुमार ने पिहरीद कोविड सेंटर में आकर निरीक्षण कर जानकारी लिया और त्वरित एफआईआर और उचित कार्यवाही करने के लिए साथ मे उपस्थित जिला चिकित्साधिकारी से लेकर विभाग को निर्देशित भी किया गया जहां उपस्थित क्षेत्रीय विधायक से लेकर अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी इस मुद्दे पर जल्द कार्यवाही की मांग किये थे और इस तरह की बड़ी लापरवाही पर कड़ी नाराजगी भी जताएं थे। और क्षेत्र के जनप्रतिनिधि आज भी लगातार कार्यवाही की मांग कर रहे। लेकिन कोरोना की इस भयानक महामारी में इतने बड़े गंभीर मामले पर अभी तक कोई कार्यवाही नही होना चिंतनीय है। साथ ही कोरोना मरीजों के लिए जिले से लेकर जिले के अन्य स्थानों में बने कोविड सेन्टरों में जगह नही होने के कारण मरीज भटक भटक कर जान गवाएं है। साथ ही अधिकांश कोविड सेन्टरों को आयुष, चिरायु और त्रिवर्षीय डॉक्टरों के भरोसे भी चलाया जा रहा जिनको ईलाज का अनुभव भी सही नही और न ही जिला स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा कोविड सेन्टरों का सतत निरीक्षण किया गया।
वही दूसरा सवाल यह है कि जब कोरोना से निपटने लोगो की जान बचाने आधुनिक संसाधनों की आवश्यकता थी तो समय पर क्यो नहीं खरीदा गया जिसमें करोड़ो के संसाधन उस समय में खरीदा गया जब मरीजो की संख्या नही के समान हो गई मतलब आखरी समय मे कोरोना के नियंत्रण होने की स्थिति में। कोरोना की दूसरी लहर आने वाली थी सबको पता था जिले के कोविड सेन्टरों में उचित और पर्याप्त व्यवस्था नही सबको पता था। कोरोना की दूसरी लहर भयानक खतरनाक होगी इसके लिए भी लगतार संकेत मिल रहे थे फिर भी जिला प्रशासन हाथ पे हाथ धरे रह गई और न जाने कितनों के घर उजड़ गए, कितने बच्चे अनाथ हो गए, कितनों माता बहनों के जीवन वीरान हो गया। कोविड सेन्टरों में जगह नही भटक भटक कर लोग मरते रहे उस समय ये सभी व्यवस्था करने किसी को सुध नहीं आया और जब कोविड सेन्टरों के लिए विभिन्न संगठनों, अनेक समाजसेवी लोगो के अपार सहयोग से जिला में कोरोना का प्रकोप कम हो गया तब जिला में 8-10 वेंटिलेटर मशीन खरीदा गया काफी मात्रा में ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर मशीन खरीदा गया। कोरोना अस्पतालों के सुने या काफी कम मरीजों के कमरों में टीवी लगवाया गया और ना जाने क्या क्या जिला प्रशासन द्वारा जिला के डीएमएफ से लेकर आदि मद से खरीदा गया अगर ये सभी आधुनिक संसाधनों को समय रहते खरीद लिए गए होते तो आज न जाने कितने लोगों की जान बच गई होती। कोरोना की दूसरी लहर की शुरुवाती दौर में ही लोगो को बेहतर सुविधा मिली होती। लेकिन ये सभी सुविधाएं आखरी आखरी में खरीदी गई वो भी जब जिला में फेर बदल होना था।
इन सभी पर जिले के तमाम कद्दावर नेताओं को भी कोई सुध नही। जहाँ सिस्टम के जिम्मेदार महामारी को भी अवसर में बदल रहे वहाँ नही किसी का ध्यान है ना मतलब।

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