छत्तीसगढ़

पति की दीर्घायु की कामना के लिए 108 फेरे के साथ वट सावित्री व्रत रख महिलाओं ने की वट वृक्ष की पूजा ..108 फेरे के साथ वट सावित्री व्रत महिला ने वट वृक्ष की पूजा ..

पति की दीर्घायु की कामना के लिए 108 फेरे के साथ वट सावित्री व्रत रख महिलाओं ने की वट वृक्ष की पूजा …..

 

रतनपुर -भारतीय संस्कृति में वर्ष भर अनेको त्योहार मनाने की परंपरा अति प्राचीन है जिसका निर्वहन आज भी बड़े ही विधि विधान और भक्ति भाव से किया जाता है जो धार्मिक आस्था को दृढ़ करने के साथ साथ पारिवारिक प्रेम, सद्भाव और एकता को बनाये रखता है जिनमे भाई बहन, माँ बेटा, व पति पत्नी के आपसी प्रेम को प्रकट करने के विभिन्न त्योहार है, जिनमे पति पत्नी के प्रेम को दृढ़ करने का पर्व त्योहार तीजा और वट सावित्री व्रत पूजा प्रमुख है इसी कड़ी में आज धर्म नगरी रतनपुर की पावन भूमि में वट सावित्री पूजा में नवीन परिधानों से सुसज्जित सोलह श्रृंगार किये सुहागिन महिलाओं की इंद्रधनुषी छटा देखने को मिली।
जैसा कि इस व्रत के नाम और कथा से ही ज्ञात होता है कि यह पर्व हर परिस्थिति में अपने जीवनसाथी का साथ देने का संदेश देता है। इससे ज्ञात होता है कि पतिव्रता स्त्री में इतनी ताकत होती है कि वह यमराज से भी अपने पति के प्राण वापस ला सकती है। वहीं सास-ससुर की सेवा और पत्नी धर्म की सीख भी इस पर्व से मिलती है। मान्यता है कि इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु, स्वास्थ्य और उन्नति और संतान प्राप्ति के लिये यह व्रत रखती हैं।
भारतीय पञ्चाङ्ग अनुसार वट सावित्री अमावस्या की पूजा और व्रत इस वर्ष 10 जून गुरुवार को मनाया जा रहा है। इस वर्ष विशेष बात यह है कि वट सावित्री व्रत के दिन वृषभ राशि में सूर्य, चंद्रमा, बुध और राहु विराजमान रहेंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शुक्र को सौभाग्य व वैवाहिक जीवन का कारक माना जाता है। इस दिन वृषभ राशि में चतुर्ग्रही योग बनना बेहद खास माना जा रहा है। चार ग्रहों के एक राशि में होने पर चतुर्ग्रही योग बनता है। मान्यता है कि इस योग से वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है और कष्टों से मुक्ति मिलती है।वट सावित्रि व्रत में वट यानि बरगद के वृक्ष के साथ-साथ सत्यवान-सावित्रि और यमराज की पूजा की जाती है।

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