कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर के एसडीएम रणबीर शर्मा के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की कार्रवाई को लेकर भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों के एक तबके में अप्रसन्नता के भाव हैं।A section of Indian Administrative Service (IAS) officials are unhappy over the Anti Corruption Bureau (ACB) action against SDM Ranbir Sharma of Bhanupratappur in Kanker district.
कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर के एसडीएम रणबीर शर्मा के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की कार्रवाई को लेकर भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों के एक तबके में अप्रसन्नता के भाव हैं। दिलचस्प यह है कि आईएएस अफसरों का यह तबका इस प्रकरण में न तो रिश्वतखोरी से इंकार कर रहा है और न ही किसी कार्रवाई में बाधक बन रहा है। 2012 बैच के आईएएस अफसर रणबीर शर्मा के खिलाफ हुई इस कार्रवाई पर जहां एक तरफ राज्य के कर्मचारी संगठन इस बात को लेकर उद्वेलित हैं कि पटवारी से अगर रिश्वत आईएएस अफसर के लिए ली जा रही थी तो केवल भृत्य को क्यों जेल भेज दिया गया? कर्मचारी संगठन इसे लेकर अपनी खुलकर नाराजगी भी जाहिर कर रहे हैं। डॉ. आलोक शुक्ला, अनिल टुटेजा और उसके बाद अब रणबीर शर्मा एक के बाद एक जिस तरह से आईएएस अफसर भी एसीबी के निशाने पर हैं, उससे आईएएस अफसरों में खलबली है।
अनेक आईएएस अफसर आपसी चर्चाओं में राज्य प्रशासनिक सेवा से लेकर भारतीय पुलिस सेवा तक के अफसरों के नाम ले-लेकर चर्चा कर रहे हैं कि क्या आईपीएस अफसरों में सबकुछ ठीक चल रहा है? दरअसल इस बार नए वर्ष की शुरुआत ही मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े तेवर के साथ की थी और उसी समय इस बात के संकेत मिलने लगे थे कि भ्रष्टाचार विरोधी कार्रवाइयां केवल छोटे अधिकारी-कर्मचारियों तक ही सीमित नहीं रहेंगी। और यह संयोग ही है कि पिछले सात महीनों में तीन आईएएस अफसर एसीबी का निशाना बन गए। ऐसे में आईएएस अफसरों के एक तबके में अब यह सुगबुगाहट हो रही है कि क्या सारा भ्रष्टाचार केवल आईएएस अफसर ही कर रहे हैं और आईपीएस अफसर बेदाग हैं?
खबर है कि आईएएस अफसरों की यह अप्रसन्नता सरकार के उच्च स्तरों तक भी पहुंची है। रणबीर शर्मा के मामले में एक आईएएस अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि इस अफसर के घर से एसीबी को कुल मिलाकर तीन लाख 40 हजार रुपए की संपत्ति और पांच हजार रुपए नकद मिले हैं। दरअसल एसीबी की कार्रवाई पर सवाल उठाने वाले आईएएस अफसर चाहते तो यह हैं कि रणबीर शर्मा के प्रकरण में एसीबी की रंगेहाथों पकड़ने की कार्रवाई के बजाय उनके खिलाफ मिल रही शिकायतों के आधार पर उच्च अधिकारी उन्हें चेतावनी दे देते। दरअसल ये अधिकारी इस बात से भलीभांति परिचित हैं कि यह मांग करना कानूनसम्मत नहीं कि एसीबी भ्रष्टाचार के मामले में किसी को सिर्फ इसलिए रंगेहाथों न पकड़े कि वह युवा आईएएस अफसर है! संभवतः इसीलिए यह बात उठ रही है कि एसीबी के निशाने पर केवल आईएएस अफसर ही क्यों?
दूसरी तरफ एसीबी से जुड़े एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर सबका संदेश’ से कहा कि एक नजर में आईएएस अफसरों के एक तबके से उठ रही अप्रसन्नता की आवाज जायज भी लग सकती है। लेकिन कुछ आईएएस अफसरों के खिलाफ जिस तरह के मामले व जिस तरह की शिकायतें एसीबी तक पहुंच रही हैं, वे भ्रष्टाचार की चौंका देने वाली कहानियां हैं। एसीबी के इस अधिकारी की मानें तो एसीबी के पास तुलनात्मक रूप से आईपीएस अफसरों की शिकायतें कम हैं। लेकिन यह तो सच है कि रणबीर शर्मा प्रकरण के बाद नौकरशाही में खलबली है और आईएएस-आईपीएस अफसरों के बीच की दरार एक बार फिर से उभर कर आई है।
‘रणबीर शर्मा के प्रकरण के संबंध में आईएएस एसोसिएशन के पास लिखित में अभी कोई शिकायत आई नहीं है। शिकायत आने पर विचार किया जाएगा। आवश्यकता महसूस होगी तो एसोसिएशन इस पर विचार भी कर सकता है। यह विषय वर्तमान में एसोसिएशन के समक्ष विचारधीन भी नहीं है। अभी एसोसिएशन की औपचारिक बैठक नहीं हुई है। यह प्रकरण एसोसिएशन का विषय है या नहीं, इस पर विचार कर आगे निर्णय लिया जाएगा।’
– एन. बैजेंद्र कुमार, अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ आईएएस एसोसिएशन
प्राजल झा की खबर