IAS परीक्षार्थी बढ़ाई गई तिथि को लग्जरी न समझें, तैयारी बेहतर करें IAS aspirants do not consider extended dates as luxury, improve preparation

मैं इस बात के लिए संघ लोक सेवा आयोग की प्रशंसा करना चाहूंगा कि उसने समय से काफी पहले प्रारंभिक परीक्षा की तिथि बढ़ाने की घोषणा कर दी. इस तिथि को लेकर परीक्षार्थी काफी कशमकश में थे. कोरोना के कारण मन में उत्पन्न डर और आशंका तथा उनके दिमाग पर पड़ने वाले तनाव और दबाव ने उन्हें बहुत ही ज्यादा विचलित कर दिया था. मेरे पास रोजाना इस तरह के कई-कई मेल्स आने लगे थे कि ”सर, ऐसे माहौल में हम क्या करें? अब संघ लोक सेवा आयोग ने इसका उत्तर दे दिया है.
अब 10 अक्टूबर की तारीख घोषित की गई है, जो अपने पूर्व निर्धारित तारीख से लगभग साढ़े तीन महीने बाद की है. पिछले साल भी बढ़ाये गये दिनों का अन्तर लगभग इतना ही था. पिछले साल प्रारम्भिक परीक्षा 4 अक्टूबर को हुई थी. इसके बाद जनवरी के पहले सप्ताह में मुख्य परीक्षा आयोजित की गई, लेकिन दुर्भाग्य से कोरोना के अचानक हुये इस विस्फोट के कारण साक्षात्कार शुरू ही नहीं किये जा सके. अभी दिल्ली की जो स्थिति दिख रही है, उससे नहीं लगता कि जून मध्य से पहले इन्टरव्यू की शुरूआत हो सकेगी. इन्टरव्यू के सत्र को पूरा करने में लगभग डेढ़ महीने का समय लगता है. ऐसी स्थिति में जाहिर था कि यदि प्रारम्भिक परीक्षा निर्धारित तिथि को ली जाती, तो संघ लोक सेवा आयोग पिछले साल की परीक्षा का फायनल रिजल्ट घोषित नहीं कर पाता.
हालांकि आयोग इस बात के लिए बाध्य नहीं है कि प्रारम्भिक परीक्षा से पहले वह अंतिम परिणाम घोषित करे ही. लेकिन उसकी अब तक की परम्परा लगभग ऐसी ही रही है. जबकि राज्य लोक सेवा आयोगों में यह देखने को नहीं मिलती.
इस दृष्टि से कहा जा सकता है कि निश्चित तौर पर जिस प्रकार वैक्सीन कारगर सिद्ध हो रही है, उसे देखते हुए अक्टूबर तक स्थिति पूरी तरह नियंत्रित हो जायेगी. इसका अर्थ यह हुआ कि, हालांकि आयोग ने मुख्य परीक्षा की तिथि घोषित नहीं की है, लेकिन वह जनवरी के मध्य के आसपास होनी चाहिए. अक्टूबर 2021 से पहले इन्टरव्यू आयोजित करके अंतिम परिणाम घाषित कर दिये जायेंगे. साथ ही अगले साल के चक्र को भी सही कर लिया जायेगा. इस प्रकार तिथि के बढ़ाये जाने को एक विवेकपूर्ण, दूरदर्शी निर्णय कहा जा सकता है.
अब बात आती है कि परीक्षार्थी क्या करें. मैं उनके लिये स्पष्ट रूप से यह सलाह देना चाहूंगा कि वे इस बढ़ाई गई तिथि को लग्जरी के रूप में कतई न लें. हर साल पाँच लाख युवा बैठते हैं. प्रारम्भिक परीक्षा में इनमें से दस हजार का चयन होता है. कंडीडेटस् को यह मानकर चलना चाहिए कि बैठने वाले पाँच लाख केंडीडेटस् में से दस-पन्द्रह हजार को ऐसे गंभीर परीक्षार्थी होंगे ही, जो इस समय का इस्तेमाल अपने तैयारी को और अधिक बेहतर बनाने में करेंगे. जाहिर है कि ऐसे में समय का इस्तेमाल न करने वाले युवा पिछड़ जायेंगे.
कुछ उम्मीदवार यह भी सोच लेते हैं कि चूंकि कोरोना के कारण तैयारी ठीक से नहीं हो पा रही है, इसलिए प्री का कटआफ मार्क्स कम हो जायेगा. पिछले साल का रिजल्ट बताता है कि ऐसा कुछ नहीं होता. इसलिए इस तरह के गलत और अपने लिये सुविधाजनक विचारों को अपने दिमाग में जगह कतई नहीं देनी चाहिए. लेखक डॉ. विजय अग्रवाल पूर्व सिविल सर्वेन्ट एवं afeias के संस्थापक हैं.