छत्तीसगढ़

भ्रष्टाचार अब शिष्टाचार नहीं बल्कि अत्याचार हो चुका Corruption is no longer a courtesy, but it has been tortured *

*भ्रष्टाचार अब शिष्टाचार नहीं बल्कि अत्याचार हो चुका*

रायपुर :
वैसे तो सर्वविदित है कि भाजपा के 15 साल के कार्यकाल में स्कूली शिक्षा विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग में सफलतापूर्वक जो चर्चा थी, उसके अनुसार 30% से 35% कमीशन में घटिया किस्म के फर्नीचर प्रदेश के स्कूलों के लिए खरीदा गया, उसी समय महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा बर्तन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए साड़ियां एवं बच्चों के लिए यूनिफॉर्म भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ते रहे हैं।

यह असंवैधानिक कार्य कांग्रेस सरकार में भी बदस्तूर जारी है, प्रमाणित इससे भी होता है कि महासमुंद के महिला एवं जिला भी बाल विकास अधिकारी द्वारा भ्रष्टाचार के जो आरोप लगाए गए हैं और उसकी जांच की मांग के लिये अनशन प्रारंभ किया गया, जिसे आईएएस महिला बाल विकास विभाग के संचालक श्रीमती दिव्या मिश्रा ने जूस पिलाकर उनका अनशन समाप्त करवाया और जांच समिति भी सरकार ने गठित कर दी है‌।

अब चर्चा यह है कि प्रदेश में स्कूल बंद है और महिला बाल विकास विभाग 8.88. करोड़ों रुपए के बच्चों के लिए स्कूल यूनिफार्म खरीदने का निर्णय लिया है, यह राशि बजट में स्वीकृत है, महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों के यहां और मंत्रियों के यहां सफलतापूर्वक वही चेहरे आपको नजर आने लग गए हैं, जिनकी गिद्द नजर उपरोक्त सामग्री के सप्लाई पर है। मामला शायद कमीशन पर टिका हुआ है, बहुत जल्दी इसका भी निगोसिएशन होने वाले हैं और फिर सामग्री सप्लाई के आदेश भी हो जायेंगे। ये सारे विभाग, सबसे बड़ा भ्रष्टाचार का अड्डा बने हुए हैं, जिसे सरकार ने अनाधिकृत मान्यता भी दी है।

सीएसआईडीसी यह उपरोक्त विभागों में कॉन्ट्रैक्ट आधार पर जो माल सप्लाई करती है, उसका यह विभाग रेट कॉन्ट्रैक्ट करता है। बाजार रेट से 30 से 40% अधिक में यह रेट तय करता है, सरकार की नजर इस पर क्यों नहीं पड़ती। कौन इस भ्रष्टाचार को संरक्षण दे रहा है, इस पर भी सरकार को भूपेश बघेल मुख्यमंत्रीजी को एवं मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन को इसे संज्ञान में लेना चाहिए। भ्रष्टाचार रुकना चाहिए, यह करीब प्रदेश है।

यहां विकास के लिए जो राशि बजट में स्वीकृत की जाती है और अरबों रुपए की राशि केंद्र सरकार अनुदान के रूप में देती है, विभिन्न विभागों को वह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है। इस पर रोक लगे। कांग्रेस सरकार को इस दिशा में कदम आगे बढ़ाना चाहिए। नहीं तो यह माना जाएगा गांधी जी की जो इच्छा है वही होगा।

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