छत्तीसगढ़

देवू द्वारा अधिग्रहित जमीन को किसानों को वापस करें सरकार : किसान सभा, माकपा दल ने एक्सीवेटर से खुदाई जारी रहना पाया Government should return the land acquired by Daewoo to the farmers: Kisan Sabha, CPI-M party found excavation continued from excavator

*छत्तीसगढ़ किसान सभा (CGKS)*
*(अ. भा. किसान सभा – AIKS से संबद्ध)*
*नूरानी चौक, राजातालाब, रायपुर, छग*

*देवू द्वारा अधिग्रहित जमीन को किसानों को वापस करें सरकार : किसान सभा, माकपा दल ने एक्सीवेटर से खुदाई जारी रहना पाया*

छत्तीसगढ़ किसान सभा ने भूमि अधिग्रहण कानून के प्रावधानों के तहत कोरबा जिले में पावर प्लांट के लिए दक्षिण कोरिया की कंपनी देवू द्वारा अधिग्रहित जमीन को मूल भूस्वामी किसानों को वापस करने की मांग की है। भूमि अधिग्रहण कानून में प्रावधान है कि यदि कोई कंपनी भूमि अधिग्रहण के पांच सालों के अंदर अपना उद्योग लगाने में असफल रहती है, तो अधिग्रहित जमीन मूल खातेदार को लौटा दी जाएगी।

आज यहां जारी एक बयान में छग किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि अपने-आपको दिवालिया घोषित करने के बाद देवू का इस जमीन पर कोई स्वामित्व नहीं रह गया है और जमीन का सीमांकन कराने का उसका आवेदन ही अवैध है। उन्होंने कहा कि कोरबा जिला प्रशासन को सीमांकन का आदेश हाई कोर्ट से नहीं मिला है, लेकिन देवू के आवेदन के पक्ष में जिला प्रशासन की सक्रियता से यह स्पष्ट है कि वह कॉर्पोरेट कंपनियों के दलाल की तरह काम कर रहा है, जबकि कोरबा जिले में सीमांकन के हजारों प्रकरण सालों से लंबित पड़े हुए हैं।

आज ही माकपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस क्षेत्र का दौरा किया तथा प्रभावित ग्रामीणों से बातचीत की। इस प्रतिनिधिमंडल में माकपा जिला सचिव प्रशांत झा, किसान सभा के अध्यक्ष जवाहरसिंह कंवर व सीटू नेता एस एन बेनर्जी व भुवनेश्वर चंद्रा आदि शामिल थे। ग्रामीणों ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि जिस जमीन का मुआवजा 27 साल पहले केवल 8.50 करोड़ रुपये दिया गया था, आज उसकी कीमत 850 करोड़ रुपयों से ज्यादा है। प्रशासन द्वारा एक्सीवेटर से जमीन की खुदाई करने से स्पष्ट है कि मामला केवल सीमांकन का नहीं है, इसका मूल मकसद भूमि पर काबिज किसानों को बेदखल करने का है, ताकि दिवालिया कंपनी इस जमीन का उपयोग रियल एस्टेट व्यापार के लिए कर सके। प्रतिनिधिमंडल ने पाया कि एक्सीवेटर से खुदाई आज भी जारी है।

किसान सभा ने राज्य सरकार से अपील की है कि आदिवासियों के जल-जंगल-जमीन पर नैसर्गिक अधिकारों की रक्षा के पक्ष में वह आगे आएं और जिस तरह बस्तर के आदिवासियों की टाटा के लिए अधिग्रहित जमीन को वापस किया गया है, कोरबा जिले के इस मामले में भी आदिवासियों को जमीन वापसी की प्रक्रिया को शुरू करें।

*संजय पराते*, अध्यक्ष
(मो) 094242-31650
*ऋषि गुप्ता*, महासचिव
(मो) 094062-21661

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