*कोरोना काल मे मनाया गया अक्षय तृतीया का पर्व*
◆(नए मटके से पानी भर कर देवी देवता में चढ़ाया जल, पुतला-पुतली की शादी व खेतों में धान बोने की शुभारंभ)*
*◆(लाकडाउन के कारण सार्वजनिक आयोजन नहीं)*
*बेमेतरा:-* ज़िलेभर के ग्रामीण क्षेत्र में अक्षय तृतीया(अक्ति)पर्व पर देवी देवता में जल चढ़ाते नजर आए।लॉकडाउन के कारण सार्वजनिक आयोजन में दिखे कमियां।अक्ती पर्व पर नए मटके से पानी भर कर देवी-देवता में जल चढ़ाया गया।बताया जाता है कि इस दिन नए मटके से ठंडे पानी के आंनद लिया जाता है। जो कि फ्रीजर से भी आनंदित होते है। वहीं इस दिन शादी करने के लिए काफी शुभ माना जाता है। दूसरी ओर गुड्डा-गुड़िया का ब्याह पूरे रीति-रिवाज से किया गया। पिछले साल की तरह इस बार भी कोरोना महामारी के कारण लाकडाउन लगा हुआ है।जिनके कारण से ईस वर्ष भी अक्ति पर्व में फीका फीका नजर आया। ऐसे में इस बार भी यह त्योहार औपचारिक तौर पर मनाया गया। इस दिन मुहूर्त में किसी भी तरह के नए व्यवसाय का शुभारंभ, गृह प्रवेश, सगाई, शादी, नामकरण, जनेऊ संस्कार करने से वह फलदायी होता है। इस प्रकार समूचे ज़िले के ग्रामीण क्षेत्र में काफी धूमधाम से मनाने की उत्साह नही दिखे। गांव-गांव अलग तरह रस्म अदायगी किया गया। जैसे- ग्रामीणों के मुताबिक आम का पेड़ का विवाह रचना। साथ ही गुड्डा-गुड़िया का ब्याह रचाते समय दोनों पक्ष के लोग तालाब से चूलमाटी लेने। देवी-देवता को प्रतिष्ठापित कर आम पत्ता, डूमर पेड़ के पत्तों से मंडपाच्छादन यानी मंडल भी सजाया जाता है। इसके बाग गुड्डा-गुड़िया को तेल, हल्दी चढ़ाने की रस्म निभाया जाता है। एक तरह से अक्ती पर्व पर विवाह का रस्म पूरी तरह से अदायगी की जाती है। वही खरीफ फसल बोवाई शुरू आमतौर गांवों में इस दिन ठाकुर देव या गांव प्रमुख देवी-देवता के सामने धान दौने पर धान रखकर पूजा किया गया। इसके बाद इसी धान से खरीफ फसल की बोआई किये। यह बड़ी महत्व भी है।