अन्य विभागों जैसी सुविधाएं पत्रकारों को भी मिले मात्र फ्रंटलाइन वारियर्स से खुश नही Facilities like other departments are available to journalists too, not happy with frontline warriors
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अन्य विभागों जैसी सुविधाएं पत्रकारों को भी मिले मात्र फ्रंटलाइन वारियर्स से खुश नही
सबका संदेश अजय शर्मा ब्यूरो चीफ व संभाग प्रमख
जांजगीर अभी कोरोना काल में पत्रकार लोग अपनी जान की बाजी लगाकर कार्य कर रहे हैं स्वास्थ्य विभाग, पुलिस विभाग और पत्रकारों की अहम भूमिका रही है जिस तरह फ्रंटलाइन वारियर्स का दर्जा पुलिस प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर्मचारियों को दिया गया है उसी तरह का दर्जा पत्रकारों को भी मिलना चाहिए। क्योंकि इस महामारी में कई पत्रकार संक्रमित होकर अपनी जान गवा चुके हैं तो कई पत्रकार जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं सभी जानते हैं 80 फ़ीसदी पत्रकार केवल श्रमजीवी है जिनका और परिवार का गुजारा काफी मुश्किलों में होता है फिर भी कलम के सिपाही होने के कारण तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए वे अपने कर्तव्य में डटे रहते हैं हालांकि वर्तमान दौर की पत्रकारिता में कुछ गंदगी आ गई है जिसके लिए सरकार की ठोस रणनीति वह मापदंड नहीं होना ही सबसे बड़ा जिम्मेदार है लेकिन आज की पत्रकारिता क्षेत्र में गांव से लेकर शहरों तक और जिला से लेकर राज्य और पूरे देश में कई ऐसे पत्रकार हैं जिनकी जिंदगी का एक ही मकसद है पत्रकारिता का फर्ज अदा करना ऐसे पत्रकार कोरोना की इस जंग में पूरी तरह असहाय है क्योंकि कोरोना महामारी से बचने के लिए जब सभी अपने अपने घरों में सुरक्षित हैं तो भी वह फ्रंटलाइन वारियर्स बनकर मैदान में डटे हैं और पल-पल की जानकारी शासन प्रशासन सहित आप सभी को अवगत करा रहे हैं। कोरोना की इस लड़ाई में हमारे कई पत्रकार शहीद हो गए तो वहीं कई पत्रकार संक्रमित हैं जो जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं। जांजगीर-चांपा जिले की बात करें तो बम्हनीडीह का एक नौजवान पत्रकार रोनक सराफ की कोरोना से मौत हो गई अब उसका पूरे परिवार रोजी रोटी के लिए दर-दर भटक रहे हैं उसके परिवार में पत्नी दो बच्चे के अलावा बूढ़े माता-पिता है जो बेटे के इस तरह साथ छोड़ देने से परिवार सदमे से उबर नहीं पा रहे हैं ऊपर से बच्चों का भविष्य और पत्नी सहित उनके बूढ़े मां बाप का अब कोई सहारा नहीं है। इसी तरह जांजगीर का एक और पत्रकार कुंज बिहारी साहू की भी कोरोना से मृत्यु हो गई और पूरे प्रदेश में ऐसे कई पत्रकार जिनका इस कोरोना महामारी से मृत्यु हो गई है कुंज बिहारी परिवार में भी यही सवाल उठ रहा है उसके परिवार का बुरा हाल है अब क्या होगा उसके परिवार का ऐसे उन तमाम पत्रकारों के परिवार के सामने बड़ा सवाल है जिन्होंने अपने पत्रकार बच्चों को खोया है इसमें भी सहारा यदि पत्रकारों को महज टीकाकरण के लिए ही फ्रंटलाइन वारियर्स मानती है तो ऐसा फ्रंटलाइन वारियर्स किस काम का है। छत्तीसगढ़ सरकार ने अन्य वर्गों के साथ पत्रकारों को भी फ्रंटलाइन वारियर्स का दर्जा देते हुए उन्हें वैक्सीनेशन में प्राथमिकता दिया है जिसका पत्रकारों ने स्वागत किया है लेकिन सिर्फ वैक्सीनेशन के लिए फ्रांटलाइन वारियर्स का दर्जा दिया जाना कहां तक उचित है। इसको लेकर पत्रकारों की लंबी बहस चली जिसमें इस निर्णय पर पत्रकारों ने अपनी नाराजगी व्यक्त की सभी जानते हैं कि इस जंग में अन्य विभागों की तरह पत्रकारों को भी दर्जा मिलनी चाहिए छत्तीसगढ़ सरकार का जब यह आदेश जारी हुआ तब जांजगीर के पत्रकारों ने व्हाट्सएप के जरिए अपने नाराजगी व्यक्त की है सभी पत्रकारों का यही कहना है कि सरकार को यदि वाकई पत्रकारों की चिंता है तो उन्हें भी पुलिस प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर्मचारी की तरह पत्रकारों को भी फ्रंटलाइन वारियर्स का दर्जा दिया जाए क्योंकि अपना फर्ज निभाते हुए यदि कोई पत्रकार संक्रमित हो जाता है तो उसके पूरे इलाज का खर्च सरकार उठाए इसके अलावा यदि किसी प्रकार की संक्रमित होने के बाद मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार का भविष्य सुरक्षित हो जाए यदि सरकार ऐसा कदम जब पत्रकारों के लिए उठाएगी तब सही मायने में पत्रकारों को फ्रंडलाइन वारियर्स दर्जा मिलेगा।