रूपा तिर्की कांड में सीबीआई से जांच होने से सच्चाई सब सामने आ पायेगा – पूरन सिंह कश्यप
जगदलपुर। सर्व आदिवासी समाज प्रदेश युवा मीडिया प्रभारी एवं आदिवासी युवा छात्र संगठन सचिव पूरन सिंह कश्यप ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि रूपा तिर्की कांड में सीबीआई जांच होने से सच्चाई सामने आ पायेगा, सीबीआई जांच से ही रूपा तिर्की को न्याय मिल पायेगा। क्योंकि झारखंड साहेबगंज महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की के मौत का तस्वीर देख कर कुछ सवाल खड़ा होता है जिसमे ये शुरुआत में हत्या की तरफ इंगित कर रहा है । गौर करने वाले कुछ सवाल उठते हैं – रस्सी कँहा से आई तहकीकात होनी चाहिए, ऐसी रस्सी घरों में नही होती है, गले पर रस्सी के दो निशान हैं। ऊपरवाला निशान फांसी पर लटकने से पड़ता है क्योंकि बॉडी लटकी होती है गर्दन के सहारे और रस्सी चेहरे के नीचे आ कर फंसती है। नीचे वाला निशान गला घोंटने से पड़ता है क्योंकि कोई सामने से या लिटा के ज़ोर लगा रहा होता है । बहुत अलग किस्म की रस्सी से फांसी लगाई गई। आत्महत्या अमूमन जोश में या डिप्रेशन में की जाती है। और चुन्नी या साड़ी से होती है। ऐसी रस्सी घरों में नहीं होती। रस्सी का मतलब है प्लानिंग से की गई। साहेबगंज छोटा सा शहर है, रस्सी की दुकानों पर तहकीकात करके पता लगाया जा सकता कि क्या इस महिला एस आई ने ऐसी रस्सी खरीदी थी या नही। लड़की की टांगों पर क्लोटिंन जैसा है। दबाव से, जैसे किसी ने देर तक पकड़ा हो, से ऐसा होता है। पर ऊपरी हिस्से पर कोई स्ट्रगल का निशान नहीं है। कपड़ा और बाल अस्त व्यस्त नहीं हैं, व्यवस्थित हैं। पर कमर पर तौलिया बंधा था। तौलिया बांधना थोड़ा ओड है। मरते हुए शरीर छुपाने की सोचना कुछ तालमेल नहीं बिठाता। दूसरी बात दम घुटने पर हाथ पैर हिलाते हैं लोग छटपटाहट में, तो तौलिया खुल सकता था। सिर्फ चेहरा काला है जो फांसी से भी हो सकता है या किसी जहर से भी। जैसे कि रूपा ने मां को फोन पर कहा था कि तीन बजे उसने जो पानी पीया है उसका स्वाद मे कुछ दवाई होने की आशंका जताई थी। रेप होता तो ऊपर भी निशान होता, लड़की तगड़ी है, जबरदस्ती करना मुश्किल होता (रेप का पोस्टमार्टम से सच्चाई पता चलेगा) फिर भी इस अंदेशा को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है क्योंकि रुपा के अंतिम संस्कार करने से पहले उसके शरीर में अनेक दाग होने का दावा उनके परिवार वालों ने किया है। लड़की के गले मे रस्सी के दो निशान हैं,कोई दो बार रस्सी से फांसी नही लगा सकता है, रस्सी कँहा से आया और किसने खरीदा ये पता लगाने से पता चल जाएगा। तथाकथित आत्महत्या में किसी ने यह खुलासा नहीं किया है कि दरवाजा अंदर से बंद था या खुला था।लड़की पढ़ने में बहुत तेज थी, ज़ेवियर से शिक्षा लेने के बाद बैंकिंग में सेलेक्शन, उसके बाद 2018 में सब इंस्पेक्टर पद पर सेलेक्शन, उसके बाद महिला थानाप्रभारी बनना, मतलब सब उसका अच्छा चल रहा था ऐसे में आत्महत्या का कोई नही सोचेगा। इसका पोस्टमार्टम का वीडियो बनना चाहिए, विसरा रिपोर्ट का जांच सही से होने से पता चल जाएगा। क्या पुलिस ने ऐसा किया है। पुलिस द्वारा आत्महत्या का एफआईआर लिखना दुर्भाग्यपूर्ण है,निर्धारित समय सीमा और न्यायिक निगरानी में जांच होने से या सीबीआई से जांच होने से सच्चाई सब के सामने आ पायेगा नही तो सब लीपापोती हो जाएगा और सच्चाई दब जाएगा। पुलिस का रवैया को देखकर कुछ ऐसा ही लग रहा है क्योंकि इस कांड के साजिश में विभाग के लोगों और बालू माफियाओं के मिलीभगत को भी नकारा नहीं जा सकता है।एक युवा महिला आदिवासी एस आई आत्महत्या करें, ये बहुत दुख की बात है। और अगर हत्या हुई तो बहुत गुस्से और शर्मिंदगी की बात है। मृत लड़की आदिवासी है, वँहा के पुलिस अधीक्षक अनुरंजन किस्पोट्टा आदिवासी हैं,राज्य के प्रधानसचिव राजीव अरुण एक्का आदिवासी हैं, राज्य में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ मंत्री रामेश्वर उरांव आदिवासी हैं,भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी आदिवासी हैं, झारखंड से केंद्र में मंत्री अर्जुन मुंडा आदिवासी हैं, राज्य की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू आदिवासी हैं, और सबसे ऊपर राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आदिवासी , उम्मीद हैं रुपा को न्याय कब मिलेगा ।लेकिन इन सभी का चुप्पी मन में बहुत सारे संदेह पैदा कर रही है।