भूख से भटकते राहगीर और मानवता की मिस्ट्री The mystery of the passersby and humanity wandering from hunger
*……भूख से भटकते राहगीर और मानवता की मिस्ट्री*
जेब में 20 रूपये और भूख की तलाब,
*बगीचा*. सन्ना से चले थे एक मासूम बच्चा और उसका पिता. यात्रा थी सरगुजा तक की. पैदल चल रहे यह राहगीर विशेष जनजाति कोरवा परिवार से सम्बन्ध रखते हैं . बागीचा के सोनी ढाबे के पास यह राहगीर खाने की कुछ सामग्री के लिए के लिए इधर उधर भटक रहे थे. बच्चा बेहद भूखा था. तभी इलाके के समाज सेवी हलीम फिरदौसी की नजर इन पर पड़ती है. फिरदौसी इन्हे अपने पास बुलाते हैं, और भटकने की वज़ह जानने के साथ पूरी जानकारी भी लेते हैं.
समाज सेवी हलीम फिरदौसी तुरंत इन दोनों के लिए खाने का पैकेट और पानी की बोतल मांगते हैं. और कुछ रकम देकर इन्हे विदा करते हैं. दोनो राहगीर भरपेट भोजन के बाद श्री फिरदौसी का अपनी भाषा में आशीर्वाद अदा करते हैं. उल्लेखनीय है की अक्सर लोगों की मदत करते समाज सेवी हलीम फिरदौसी को देखा जा सकता है……. तस्वीरें..
जशपुर से संतोष कुमार गुप्ता की खास रिपोर्ट
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