छत्तीसगढ़

गर्व और घमण्ड ने सफलता के चरम पर पहुँचने वालों को भी पतन के कगार पर धकेला है क्री और घमण्ड ने सफलता के चरम पर पहुँचने वालों को भी पतन के कगार पर धकेला है

*गर्व और घमण्ड ने सफलता के चरम पर पहुँचने वालों को भी पतन के कगार पर धकेला है।*
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▫️ सुवर्ण नगरी लंका के अधिपति रावण की महासभा में पहुँच कर हनुमान जी को बड़ा आश्चर्य हुआ। उनके आश्चर्य का कारण यह था, कि वैभव के शिखर पर बैठा रावण यदि चाहता तो न जाने कितनों का कल्याण कर सकता था, कितनों को प्रत्यक्ष लाभ दे सकता था, परन्तु सफलता के मद में चूर वह अपने सभी ऐश्वर्य एवं सम्पदा का उपभोग स्वार्थ, अहंकार एवं अनीति व अत्याचार में नियोजित करने लगा।
उनकी दुर्बुद्धि ने ही तो जगन्माता सीता को हरण करने की कुचेष्टा की। सफल होना, सफलता के चरम को उपलब्ध करना और उसका सुनियोजन एवं सार्थक उपयोग करना कठिन एवं चुनौतीपूर्ण कार्य है, परन्तु असम्भव नहीं है।

▫️ इतिहास गवाह है कि सफलता के चरम पर पहुँचकर गर्व एवं घमण्ड ने कितनों को पतित किया है एवं पतन के कगार पर धकेला है।
रावण, जरासंध, कंस, दुर्योधन, शिशुपाल आदि अनेक ऐसे व्यक्ति हुए, जो सफलता को पचा न सके और उसका उद्धत प्रदर्शन करने लगे। विपुल वैभव, ऐश्वर्य के बावजूद सुनिश्चित रूप से उनका पतन हुआ और इसे कोई रोक ना सका।

▫️ *इतिहास में इस चुनौती को स्वीकारने वाले शूरमाओं की भी कमी नहीं है, जिन्होंने सफलता पाई उसके चरम को उपलब्ध किया, परन्तु फिर भी वैसे ही विनम्र, सहज एवं शान्त बने रहे। अहंकार और स्वार्थ उनके पास तक नहीं फटक सका।*
ऐसे लोग ही सही मायने में सफल व्यक्ति कहलाते हैं *जो काल के सङ्ग दिव्य प्रकाश स्तम्भ के समान खड़े होकर औरों को प्रकाशित होने का प्रयास करते रहते हैं।*

▫️ ध्रुव, प्रहलाद, बुद्ध, महावीर, शिवाजी, महाराणा प्रताप, चाणक्य, स्वामी विवेकानन्द, महर्षि अरविन्द, महर्षि रमण, महात्मा गाँधी आदि ऐसे अनगिनत नाम हैं, जो अ बपने क्षेत्र की बुलन्दियों को पाने के बावजूद *अति विनम्र एवं सहज* बने रहें।

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