छत्तीसगढ़

विधायक का ग्रामीणों को राशन और सब्जियां पहुंचाना प्रशासन की नाकामी का सबूत! -शिवसेना The MLA’s delivery of ration and vegetables to the villagers is proof of the administration’s failure! -Shiv Sena

विधायक का ग्रामीणों को राशन और सब्जियां पहुंचाना प्रशासन की नाकामी का सबूत! -शिवसेना

● विधायक की संवेदनशीलता और सेवा कार्य के लिए उनका साधूवाद

● प्रशासन की ग़लत नीतियों के वज़ह से यह स्तिथी उत्पन्न हुई

जगदलपुर / शिवसेना । शिवसेना के ज़िला अध्यक्ष ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए जगदलपुर के विधायक रेखचंद जैन द्वारा किये जा रहे सेवा कार्य के लिए उनका साधूवाद किया है। गौरतलब होकि इस समय विभिन्न राजनैतिक दल व कई संगठन अपने अपने पहुंच क्षेत्रों में यथाशक्ति सेवा कार्य कर ज़रूरत मन्दो को राशन या सब्जियां इत्यादि उपलब्ध करा रहें हैं।

उन्होंने लिखा हैकि आरंभ से ही वे लगातार शिक़ायत करते आए हैंकि शहरी क्षेत्रों में मीडिया व अनेकों सक्षम विरोध दर्ज़ कराने वाले लोगों के उपस्थित रहने के कारण प्रशासन की स्तिथी अलग है और ग्रामीण क्षेत्रों में इस समय इनकी व्यवस्था में दिक्कत ही दिक्कत है।

उन्होंने चुटकी लेते लगा हैकि उनकी यह शिक़ायत स्वतः ही साबित हो जाती है जब आम नागरिकों और सत्ता विहीन अन्य राजनैतिक दल की ही भांति स्वयं सत्तासीन पार्टी के वरिष्ठ नेता व शहर विधायक व संसदीय सचिव जैसे पद पर आसीन व्यक्ति को ही ग्रामीणों को राहत सामग्री पहुंचाना पड़ रहा है।

उन्होंने आरोप लगाया कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासन की लापरवाही और कसावट ना होने के कारण आम नागरिक ख़ास कर मज़दूर और किसान वर्ग हो प्रतिदिन कमा कर खाने वाले हैं परेशानी में हैं। उनके पास मुप्त राशन के नाम पर केवल चावल है। जबकि शिवसेना द्वारा चावल के साथ ही दाल, गेहूं, शक्कर या गुड़ और नमक इत्यादि सहित मिट्टी तेल भी दिए जाने का आग्रह किया जा रहा है। जिस तऱफ प्रशासन कोई ध्यान नही देता।

जब एक विधायक स्वयं गांव में राशन व सब्जियां उपलब्ध करा रहे हैं वह उनकी संवेदनशीलता है लेकिन इस बात को आम जनता भी समझ चुकी हैकि प्रशासन की असंवेदनशीलता के कारण ही तो यह दिन आया होगा ? यह कहना अतिश्योक्ति नही होगा कि शहरी क्षेत्रों में दिखने वाली प्रशासन ग्रामीण क्षेत्रों में फ़ैल है!

शिवसेना ने यह सवाल खड़े किया हैकि आख़िर प्रशासन ऐसी व्यवस्था क्यों नही कर पाई जिससे राहत सामाग्री पहुंचाने जैसी कोई स्तिथी उत्पन्न ही न हो ?

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