श्रीमद्भागवत महापुराण महात्म प्रंसग :- अभिषेक कृष्णन शर्मा
छत्तीसग :- श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के प्रथम दिवस पर संगीत विशारद एवं शिक्षा विशारद पं भाई अभिषेक कृष्णन शर्मा जी ने भागवत कथा के महात्म का सुंदर वर्णन हजारों श्रोताओं को श्रवण कराया। जिसमें कथा के प्रथम दिन हजारों की संख्या में श्रोताओं ने महाराज जी के श्रीमुख से कथा को श्रवणपान किया। आदरणीय महाराज श्री जी ने कथा की शुरूआत करते हुए कहा कि पुरे संसार में बड़े -बड़े पदवान, वैभव वान, धनवान सब कुछ पा लेते है। और सब कुछ पाने के बाद भी बहुत कुछ खो देते है। उसका नाम है परम आनंद दायनी (शांति) और इस पूरे विश्व के किसी भी मार्केट में (शांति) किसी दुकान पर नहीं मिलती भाईयों बहनों मित्रों। जिसे चाहिए परम आनंद दायनी (शांति) उसे इस ठाकुर जी के सत्संग में आना चाहिए। और भगवान की कथा श्रवणपान करना चाहिए। शांति अवश्य ही आपको प्राप्त होगी। हम कीर्तन भजन इस लिए करते है जिससे हमारा मन फिर सत्संग में लग जाएँ, कथा में लग जाएँ । जिससे हमारे भी सब संकट दूर हो जाये। किसी को संसार का वैद्य मिल जाता है किसी को संसार बनाने वाला वैद्य मिल जाता है।
महाराज श्री शर्मा जी ने आगे कहा कि जिनके द्वारा इन सृष्टि का सर्जन होता है इस सृष्टि का पालन होता है उस परम पिता परमात्मा सर्वेश्वर कृष्ण को हम बार – बार नमन प्रणाम करते है। भगवान श्री कृष्ण चंद्र के भक्तो की एक विशेष आदत होती है। वो भगवान की कथाओं में नित्य निरन्तर व्यस्त रहते है। कथाओं में जाने के लिए जो ह्रदय चाहिए जो पवित्रता चाहिए वो हर किसी को प्राप्त नहीं होता है। कथा में जब तक आप समर्थवान हो तब तक नीचे बैठकर सुनो कथा और कोशिश करो कि एक दम मौन रहकर कथा श्रवण करो। भगवान की कथा सुनने में जो कुशल है उसके जीवन में कभी अमंगल नहीं आ सकता। जो सांसरिक नेत्र हमारे पास है उन सांसारिक नेत्रों से उस संसार की रचना करने वाले को हम आसानी से नहीं देख सकते। इसलिए तो गुरु की आवश्यता पड़ती है। वही गुरु कृपा का जब दर्शन कराते अपनी कृपा प्रदान करते है तब जाकर हमें यह सब प्राप्त होता है।
पूज्य महाराज श्री जी ने कथा का वृतांत सुनाते हुए कहा कि एक समय की बात है जब सनकादिक ऋषि और सुत
जी महाराज विराजमान थे तो उन्होंने ये प्रश्न किया की कलयुग के लोगों का कल्याण कैसे होगा ? आप देखिये किसी भी पुराण में किसी और युग के लोगो की चिंता नहीं की पर कलयुग के लोगों के कल्याण की चिंता हर पुराण और वेद में की गई कारण क्या है ? क्योकि कलयुग का प्राणी अपने कल्याण के मार्ग को भूल कर केवल अपने मन की ही करता है जो उसके मन को भाये वह बस वही कार्य करता है और फिर कलयुग के मानव की आयु कम है और शास्त्र ज्यादा है तो फिर एक कल्याण का मार्ग बताया भागवत कथा। श्रीमदभागवत कथा सुनने मात्र से ही जीव का कल्याण हो जाता है महाराज श्री ने कहा कि व्यास जी ने जब इस भगवत प्राप्ति का ग्रंथ लिखा, तब भागवत नाम दिया गया। बाद में इसे श्रीमद् भागवत नाम दिया गया। इस श्रीमद् शब्द के पीछे एक बड़ा मर्म छुपा हुआ है श्री यानी जब धन का अहंकार हो जाए तो भागवत सुन लो, अहंकार दूर हो जाएगा। व्यक्ति इस संसार से केवल अपना कर्म लेकर जाता है। इसलिए अच्छे कर्म करो। भाग्य, भक्ति, वैराग्य और मुक्ति
पाने के लिए भगवत की कथा सुनो। केवल सुनो ही नहीं बल्कि भागवत की मानों भी। सच्चा हिन्दू वही है जो कृष्ण की सुने और उसको माने , गीता की सुनो और उसकी मानों भी , माँ – बाप, गुरु की सुनो तो उनकी मानो भी तो आपके कर्म श्रेष्ठ होंगे और जब कर्म श्रेष्ठ होंगे तो आप को संसार की कोई भी वस्तु कभी दुखी नहीं कर पायेगी। और जब आप को संसार की किसी बात का फर्क पड़ना बंद हो जायेगा तो निश्चित ही आप वैराग्य की और अग्रसर हो जायेगे और तब ईश्वर को पाना सरल हो जायेगा।