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कोरोना योद्धा के साथ सिस्टम का ये कैसा सुलूक,,,8माह की गर्भवती नर्स की लगाई ड्यूटी,कोरोना पॉजिटिव हुई तो न रेमडीसिविर मिला न वेंटिलेटर, परिजन भटकते रहे आखिर एम्स में हुई मौत

बेमेतरा:- कोरोनाकाल मे स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को ही स्वास्थ्य रक्षक दवाईयां और उपकरण नही मिल पा रहे है।ताज़ा मामला साजा ब्लॉक के नगर पंचायत परपोड़ी में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र(हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर) में पदस्थ 29 वर्षीय नर्स(एएनएम) दुलारी ढीमर का बताया जा रहा है।जिसे कोरोना पॉजिटिव आने पर न तो समय पर रेमडीसिविर इंजेक्शन मिला और न ही वेंटिलेटर।जिसके कारण अल्पायु में उसकी मौत हो गयी।सबसे हृदयविदारक बात यह है कि दुलारी तारक ढीमर आठ महीने की गर्भवती थी।इसके बाद भी मातृत्व अवकाश न देकर अस्पताल में ड्यूटी लगा दी गयी थी।

जानकारी के मुताबिक धमधा के भूषण ढीमर की पत्नी दुलारी ढीमर परपोड़ी के स्वास्थ्य केंद्र में बहुउद्देशीय महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता(ए एन एम) के रूप में पदस्थ थी।दो साल पहले मुंगेली ज़िला के तखतपुर से उसका तबादला परपोड़ी में हुआ था।उसकी तीन साल की एक बच्ची भी है।वह आठ महीने से गर्भवती थी।

चूंकि उसकी डयूटी परपोड़ी स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में थी, जहां पर लगातार कोरोना के मरीन भी आ रहे थे।जिसके चलते वह भी संक्रमित हो गई।जिसमे 17 अप्रैल को उन्होंने अपना कोविड टेस्ट करवाया तो उनका रिपोर्ट पॉजिटिव आया।लेकिन कोविड-19 का लक्षण या सिम्टम्स नही था।एक दिन बाद उसे बुखार आने लगा।लिहाजा बेमेतरा के ज़िला अस्पताल में भर्ती कराया गया।
इस दौरान आठ माह की गर्भावस्था में होने के कारण वहां दो दिन में ही उसकी स्थिति बिगड़ती चली गयी।डॉक्टरों ने परिवार वालों को रेमडीसिविर इंजेक्शन का इंतज़ाम करने कहा।दुलारी के सेठ समयलाल धीवर ने बताया कि बेमेतरा व दुर्ग ज़िले के सभी मेडिकल स्टोर पर चक्कर काटने के बावजूद वह इंजेक्शन परिजनों को नही मिला।बड़ी मुश्किल से इसके दो डोज ब्लैक में मिला।करीब 4000 रुपये के दो इंजेक्शन के लिए 15-15हज़ार रुपये देने पड़े।इंजेक्शन लगने के दो दिन तक ठीक थी।फिर स्थिति खराब होने लगी तो हमने एम्स में रिफर करवाया। लेकिन वहां भी वेंटिलेटर वाला कही बैड नही मिला।दो दिन इंतज़ार करने के बाद बैड मिला।24 अप्रेल को सुबह 7 बजे एम्स के लिए रिफर कर दिया गया था,लेकिन 108 एम्बुलेंस को आते आते चार घण्टे लग गए।जिस दौरान रायपुर एम्स तक पहुंचते 1 बज गए।आखिरकार शाम पांच बजे दुलारी ढीमर का निधन हो गया।
उन्होंने कहा कि देशभर में कोरोना के फ्रंटलाइन वर्करों को विशेष सुविधा देने के गाइडलाइन है।ताकि वे जल्दी स्वस्थ होकर मरीजो की सेवा कर सके।लेकिन दुलारी के मामले में इस तरह का कोई सुविधा समय पर नही मिला और नही प्रशासन ने उसकी ज़रा सी सुध ली।आलम यह रहा कि परिजन उचित इलाज के लिए भटकते रहे और अंततः उनको खो दिये।बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार द्वारा फ्रंटलाइन वर्कर के बीमा कवर का भी लाभ उसे अभी तक नही मिल सका है।

*आखिर क्यों नही मिला मातृत्व अवकाश*
राज्य सरकार में हर सरकारी महिला कर्मचारी को छह महिने का मातृत्व अवकाश देने का प्रावधान है।लेकिन दुलारी ने मार्च में ही इसके लिए आवेदन किया था।पर उसे आठ महीने के गर्भावस्था के दौरान भी अवकाश नही मिला।अप्रैल में भी उसने आवेदन किया। लेकिन प्रशासन ने उसे भी दरकिनार कर दिया। जिसके कारण गर्भवती माँ और उसके गर्भ में पल रहे आठ महीने के शिशु की असमय मौत हो गयी।

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इस सम्बंध में साजा विकासखंड चिकित्सा अधिकारी अश्वनी वर्मा का कहना है कि दुलारी तारक के ईलाज के लिए विभाग ने बहुत प्रयास किया।लेकिन वह नही बच सकी।वह गर्भवती थी।लेकिन अवकाश का आवेदन मिलने की जानकारी मुझे नही है।उसकी ड्यूटी अस्पताल में थी।उसके लिए बीमा क्लेम की प्रक्रिया की जाएगी।

*सीपीएफ खाता भी नही हो सका है ट्रांसफर*
दरअसल नर्स दुलारी की पहली नियुक्ति तखतपुर में थीं। वहाँ पौने दो साल काम करने के बाद पहले ही उसका तबादला परपोड़ी स्वास्थ्य केंद्र में हुआ था।लेकिन आज पौने दो साल का समय बीत जाने के बाद भी उसका सीपीएफ खाता ट्रांसफर नही हो सका है।तखतपुर के बीएमओ को फोन करने पर वे ठीक से जवाब नही देते है।स्वास्थ्य विभाग से अभीतक कोई सुध लेने नही आया है और नही उनके परिवार को किसी तरह नियमानुसार मिलने वाली सुविधा मिली है।तखतपुर के बीएमओ मिथलेश गुप्ता का कहना है कि दुलारी का प्रकरण वित्त शाखा में लंबित है।एकाउंटेंट को सीपीएफ खाता जल्दी भेजने निर्देशित किया हूँ।

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