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स्टडी का दावा- कोरोना रोधी वैक्सीनेशन से अस्पताल में भर्ती होने की संभावना 94% कम Study claims- 94% less chances of hospitalization due to anti-corona vaccination

कोरोनावायरस संक्रमण (Coronavirus In India) के चलते दुनिया भर में लोग परेशान हैं. मौतों और नए मामलों की संख्या रुक नहीं रही है. इन सबके बीच वैक्सीनेश का काम तेजी से जारी है. वैक्सीनेशन को लेकर एक अमेरिकी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वैक्सीन लगवाने के बाद कोरोना संक्रमितों में अस्पताल में भर्ती होने की तादाद कम हो जाती है साथ ही मौत का खतरा भी कम हो जाता है.

वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार बुधवार को जारी किए गए फेडरल स्टडी में कहा गया है कि कोरोना संक्रमण महामारी के दौरान अमेरिका में फाइजर और मॉर्डेना की जो वैक्सीन लगवाई जा रही है, वह वृद्ध वयस्कों को अस्पताल में भर्ती होने ने रोकने के लिए प्रभावी है.

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने कहा कि यह आश्चर्य की बात नहीं है बल्कि परिणाम इस को लेकर आश्वस्त कर रहे हैं. दोनों कोविड रोधी टीके संक्रमण से पैदा होने वाली गंभीर बीमारी को रोकने में मददगार हैं. सीडीसी के अनुसार, स्टडी में पाया गया कि पूरी तरह से टीकाकरण किए गए 65 और उससे अधिक उम्र के लोगों में संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती  होने की संभावना उन लोगों के मुकाबले 94% कम थी, जिनको टीका नहीं लगा है. जिन लोगों टीके की एक डोज लगी है, उनमें टीका न लगवाने वालों के कंपैरिजन में अस्पताल में भर्ती होने की आशंका 64% कम  पाई गई.

 

गंभीर बीमारी का जोखिम उम्र के साथ बढ़ता है. वृद्ध वयस्कों में सबसे अधिक जोखिम है, ऐसे में सीडीसी ने उन्हें टीकाकरण के लिए प्राथमिकता दी. डेटा के अनुसार 65 साल और उससे ज्यादा उम्र के लोगों में  लगभग 68 % यानी  37 मिलियन से अधिक लोगों ने पूरी तरह से वैक्सीनेशन करा लिया है.

टीके की एक खुराक कोविड-19 की संचरण दर को आधा करती है : ब्रिटिश अध्ययन 

 

वहीं ब्रिटेन की पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (पीएचई) के एक नए अध्ययन के मुताबिक, यह पाया गया है कि ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका या फाइजर/बायोएनटेक टीकों की एक खुराक भी कोविड-19 की संचरण दर को आधा कर देती है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) द्वारा फिलहाल चलाए जा रहे टीकाकरण कार्यक्रम के तहत जो लोग एक टीका लगवाने के तीन हफ्तों के अंदर संक्रमित हो गए थे उनसे टीका नहीं लेने वाले लोगों के संक्रमित होने की आशंका 38 से 49 प्रतिशत के बीच कम रही.

पीएचई ने यह भी पाया कि टीकाकरण के 14 दिनों बाद कोविड-19 से सुरक्षा देखी गई और उम्र और संपर्कों का इस संरक्षण पर कोई असर नहीं दिखा. ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने कहा, “एक नया अध्ययन दिखाता है कि टीके की एक खुराक घरेलू संचरण के खतरे को 50 प्रतिशत तक कम कर देती है. यह इस बात को फिर से प्रमाणित करता है कि टीका आपको और आपके आसपास रहने वालों को बचाता है. जब आपको टीका लगवाने के लिये फोन आए, टीका लगवाएं.”

बुधवार को सामने आए इन नए अध्ययन की अभी विशेषज्ञों द्वारा पूर्ण समीक्षा की जानी बाकी है. इस अध्ययन के दौरान 24000 घरों के 57000 से ज्यादा लोगों से संपर्क किया गया जहां प्रयोगशाला से पुष्ट कोविड-19 का कम से कम एक मरीज था, जिसे टीके की एक खुराक दी जा चुकी थी, इन लोगों की तुलना टीका नहीं लगवाने वाले करीब 10 लाख लोगों से की गई.

घर में टीका लगवा चुके व्यक्ति के संक्रमित होने के बाद दो से 14 दिनों में उसके संपर्क में आए किसी व्यक्ति को कोरोना वायरस संक्रमण होने पर उसे द्वितीयक मामले के तौर पर परिभाषित किया गया. अध्ययन में शामिल अधिकांश लोगों की उम्र 60 साल से कम थी. पूर्व के अध्ययनों में यह पाया गया था कि दोनों में से किसी भी टीके की एक खुराक लेने के चार हफ्ते बाद संक्रमित होने का खतरा 60-65 प्रतिशत तक कम हो जाता है

पीएचई में टीकाकरण की प्रमुख डॉ. मैरी रेमसे कहती हैं, ‘हमारे सामान्य जीवन की तरफ लौटने में मदद करने के लिये टीके महत्वपूर्ण हैं. टीके न सिर्फ बीमारी की गंभीरता को कम करते हैं बल्कि रोजाना हजारों मौतें रोकते हैं. हम अब देख रहे हैं कि वह दूसरों में कोविड-19 के प्रसार के जोखिम को कम करने में भी मददगार

 

 

 

 

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