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कोरोना का खौफ, सूर्योदय होते ही गांव खाली कर जंगल में चले जाते हैं ग्रामीण, रात को लौटते हैं Awe of Corona, as soon as the sunrise, the villagers evacuate and go to the forest, the villagers return at night

झालावाड़. मध्यप्रदेश की सीमा से सटे राजस्थान के झालावाड़ जिले के ग्रामीणों में कोरोना का खौफ (Fear of Corona) इस कदर समा गया है वे घर छोड़कर जंगलों (Forests) में पलायन करने लग गये हैं. आपदा के समय में पुरानी मान्यताओं का हवाला देकर ग्रामीण दिनभर जंगलों में रह रहे हैं. वे वहीं पर खाना बनाते हैं और खाते हैं. ग्रामीण रात को वापस गांव लौटते हैं. इससे पहले दिन में किसी को भी गांव में आने और जाने की इजाजत नहीं है.

कोरोना की दूसरी लहर में झालावाड़ जिला भी लगातार जबर्दस्त तरीके से संक्रमण की चपेट में आ रहा है. जिले में मंगलवार को 505 नए कोरोना पॉजिटिव लोग सामने आए हैं. वहीं रोजाना कई कोरोना पीड़ित इस महामारी के कारण अकाल मौत के शिकार हो रहे हैं. इससे ग्रामीण इलाकों में लोग दहशत में हैं.

जंगल में दिनभर हवन, यज्ञ और पूजा अभिषेक करते हैं 

जानकारी के अनुसार जिले के डग इलाके के ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना से बचाव के लिए ग्रामीण अब उपचार के अलावा दूसरे कई अनूठे उपाय कर कोरोना को भगाने का जतन कर रहे हैं. इसके तहत अलग-अलग गांवों के ग्रामीण पूरा गांव खाली कर बाहर जंगल में रहते हैं. वहीं वे खाना बनाते हैं और खाते हैं. जंगल में दिनभर हवन, यज्ञ और पूजा अभिषेक के कार्यक्रम करते हैं. ये ग्रामीण सूर्योदय से पहले गांव से जंगल के लिये निकल जाते हैं और सूर्यास्त के बाद वापस लौटते हैं.

गांवों की सीमा पर बिठा देते हैं पहरा
ग्रामीणों ने बताया कि इन सारे अनूठे प्रयोग करने के लिए उन्हें ‘माताजी’ के द्वारा निर्देश दिए गए हैं. इन सभी आयोजन के दौरान ना तो गांव में किसी को आने की इजाजत होती है और ना ही किसी को जाने की. इसके लिए खास तौर पर गांव के युवा लोग गांव की सीमा के बाहर लाठियों के साथ पहरेदारी करते हैं. कोरोना काल में गांव के बाहर मंदिरों में भी हवन और यज्ञ कर वैदिक मंत्रोचार के बीच आहुतियां दी जा रही है. गांव की महिलाएं जंगल में खाना बनाती है. जंगल में भजन कीर्तन कर कोरोना को भगाने की प्रार्थना की जा रही है

 

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