छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष आलेख

भिलाई इस्पात संयंत्र ने 56 लाख से अधिक किया है वृक्षारोपण

पर्यावरण के प्रतिकूल प्रभाव को नियंत्रित करने में सफल हुई है बीएसपी

भिलाई। भिलाई इस्पात संयंत्र एक जिम्मेदार कारपोरेट नागरिक के रूप में मानवीय स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा करते हुए उसकी गुणवत्ता में सुधार और उसे सुरक्षित रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। संयंत्र ने प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण प्रणालियों को लागू करने, अपशिष्ट में कमी लाने तथा रिसाइकिल और रियूज़ नीतियों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के विभिन्न उपायों को लागू किया है। इन्हीं प्रयासों के परिणाम स्वरूप संयंत्र प्रबंधन ने अपने कर्मचारियों और अपने आसपास के क्षेत्रों में निवास करने वाले जनसामान्य के स्वास्थ्य पर पडऩे वाले पर्यावरण के प्रतिकूल प्रभाव को नियंत्रित करने में काफी हद सफल हुआ है।

इसके अलावा भिलाई इस्पात संयंत्र, टाउनशिप और आसपास के क्षेत्रों में भी हरियाली और स्वच्छ वातावरण को सतत् विस्तार देने के लिए प्रतिबद्ध है। संयंत्र का यह मानना है कि व्यावसायिक सफलता और पर्यावरण संबंधी जिम्मेदारी एक दूसरे के पूरक ही हैं। पर्यावरण की बेहतरी और सुरक्षा के लिए संयंत्र द्वारा बीते वर्षों में अनेक उपाय किए गए हैं जिसके परिणाम स्वरूप संयंत्र हर क्षेत्र में प्रगति और विकास करते हुए नई ऊँचाइयों को प्राप्त कर रहा है वहीं पर्यावरण को भी हरा-भरा बनाए रखने के अपने प्रयास में पूरी तरह कामयाब भी हुआ है।

पर्यावरण की सुरक्षा हेतु संयंत्र ने प्लांट के भीतर, टाउनशिप एवं माइंस में लगभग 56 लाख से अधिक वृक्षारोपण किया है। इसके अतिरिक्त हरियर छत्तीसगढ़ अभियान में भाग लेते हुए भिलाई एवं इसके आसपास के सडक़ों के 310 किलोमीटर लम्बाई को कवर करते हुए रोड साइड में लगभग 6.2 लाख पौधे लगाये गये हैं। 30 एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के माध्यम से संयंत्र के टाउनशिप में रिसाइकलिंग सीवेज सिस्टम का निर्माण किया गया है इस संसाधन से बहुमूल्य जल का संरक्षण और पुन: उपयोग किया जाता है। इसके अलावा पीसीबी आधारित ट्रांसफार्मर ऑइल के सुरक्षित निपटान के लिए यूनिडो एवं एमओईएफसीसी की भागीदारी में परसिसटेंट अरगोनिक पोलुटेंट ;च्व्च्ेद्ध नामक विषाक्त रसायनों के प्रभाव से प्रकृति की सुरक्षा के लिए परियोजना कार्य जारी है।

संयंत्र द्वारा समग्र सस्टेनेबिलिटि प्रयासों के लिए कार्मिक और शालेय बच्चों के बीच सजगता को विस्तारित करना एक महत्वपूर्ण पहलू है। इस दिशा में संयंत्र के विभिन्न विभागों के साथ ही इस्पात नगरी के विभिन्न शालाओं में विश्व वेटलैंड्स दिवस (02 फरवरी), विश्व पृथ्वी दिवस (22 अपै्रल), विश्व पर्यावरण दिवस (05 जून) और ओजोन दिवस (16 सितम्बर) का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा एक विशिष्ट पहल के रूप में शालेय बच्चों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से पॉलिथिन के उपयोग को रोकने तथा स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर उसके विपरीत प्रभाव की जानकारी प्रदान देने हेतु कार्यक्रम भी चलाये जाते हैं।

भिलाई इस्पात संयंत्र ने वर्षों से ग्रीन टेक्नोलॉजी और हरित परम्पराओं को अपनाने की दिशा में कई उल्लेखनीय प्रयास किया है। प्रारंभ से ही पर्यावरण प्रबंधन के अनुकूल जिम्मेदारी का निर्वहन बीएसपी भली-भाँति करता आ रहा है। इसी उद्देश्य से भिलाई इस्पात संयंत्र ने अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए सुरक्षित लैंडफिल के निर्माण हेतु नवीनतम परियोजना की शुरुआत की है।

वर्ष 2016 में भारत सरकार के (एमओईएफसीसी) पर्यावरण, वन एवं क्लाइमेट चेंज मंत्रालय द्वारा अधिसूचित नियमों (मैनेजमेंट एवं हैंडलिंग) के अनुसार नवीनतम खतरनाक अपशिष्टों का निपटान प्रक्रियाओं के अन्तर्गत वर्तमान में भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा सभी खतरनाक अपशिष्टों का निपटान या तो रीसाइकलिंग अथवा प्राधिकृत रीसाइकलर्स को विक्रय कर किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि भिलाई इस्पात संयंत्र अपने जारी आधुनिकीकरण एवं विस्तारीकरण कार्यक्रम के तहत क्लीन एवं ग्रीन टेक्नोलॉजी के अन्तर्गत पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सदैव अग्रणी रहा है। संयंत्र, पर्यावरण संरक्षण की दिशा में पहले से ही बेहतर रहा है इन उपायों की सहायता से संयंत्र आधुनिकीकरण के पश्चात्, वैश्विक स्तर पर इस दिशा में अपना विशिष्ट स्थान बनाने में सफल होगा।

पर्यावरण प्रबंधन, बीएसपी के सम्पूर्ण प्रबंधन प्रणाली का एक एकीकृत भाग है। भिलाई इस्पात संयंत्र पार्टिकुलेट इमिशन, एफ्लूएंट डिस्चार्ज, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, वॉटर कंजरवेशन, रॉ-मटेरियल कंजरवेशन, एनर्जी कंजम्पशन और कॉर्बन डाईऑक्साइड इमिशन आदि वर्तमान और भविष्य से भी जुड़े पर्यावरणीय संरक्षण के प्रति भी जागरूक है।

उल्लेखनीय है कि 05 जून, विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर संयंत्र के पर्यावरण प्रबंधन विभाग एवं नगर सेवाएँ विभाग के अन्तर्गत जनस्वास्थ्य विभाग द्वारा पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन से संबंधित विभिन्न आयोजन किये जायेंगे।

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