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लॉकडाउन के आड़ में सरदा फिर बना अवैध शराब तस्करी का सुरक्षित ठिकाना

*बेरला::–* महामारी कोरोना संकटकाल के दूसरे दौर में लॉकडाउन लगते ही ज़िले में अवैध शराब तस्करी का मामला बढ़ने लगा है।जिसका ताज़ा प्रमाण ज़िला मुख्यालय से करीब दस किलोमीटर दूर एवं बेरला थाना क्षेत्र का गाँव सरदा में देखा जा सकता है।जहां पर लॉकडाउन लगने के बाद से फिर ज़िले के अवैध शराब तस्करों व कोचियाओं के फिर सुरक्षित ठिकाना व अड्डा बनता नज़र आ रहा है।सूत्रों की माने तो यहां प्रातः काल सुबह से लेकर देर रात तक अवैध व कच्ची शराब बनाने वाले लोगों के यहां रोजाना शराब तस्करों, माफियाओं और मदप्रेमियों की जमघट लग रही है।लिहाजा ज़िले सहित क्षेत्रभर में गाँव की छवि फिर खराब हो रही है।चूंकि अवगत हो कि सरदा में लंबे अरसे से महुआ, गुड़, व यूरिया की कच्ची शराब अवैधानिक रूप से बनाने व खपाने की खबरे देखने-सुनने को मिल रहा है।जहां पर समय समय पर पुलिस की टीम द्वारा कार्यवाही भी की जाती रही है।इसके अलावा पुलिस प्रशासन द्वारा कई दफा इस कार्य मे संलिप्त लोगो को समझाने की कोशिश भी की गई।लेकिन इसके बावजूद गाँव मे कुछ परिवारों द्वारा चंद पैसा कमाने के एवज में कच्ची शराब बनाने व बेचने की आदत नही सुधर पाई है।आलम यह है कि सरदा में अवैध शराब के कारोबार रोकने के लिए जिम्मेदार अफसर अभीतक नाकाम साबित हुए है।लॉकडाउन लगते ही धड़ल्ले से शराब बनाकर क्षेत्र खपाया जाना कही न कही राजनीतिक संरक्षकों की ओर संकेत कर रही है।क्योंकि ज़िला मुख्यालय से सटे सरदा में लगातार गैरकानूनी गतिविधियों का होना बड़ी बात है।विदित हो कि बेरला थाना क्षेत्र में स्थित यह सरदा गाँव प्रतिबंधित गांजे का अन्तर्ज़िला हॉटस्पॉट बना हुआ है।जहाँ खुफिया तंत्र की माने तो सरदा के रास्ते पूरे जिलेभर के तस्करो को प्रतिबंधित गांजे की सप्लाई होती है।जो राजधानी रायपुर के रास्ते पड़ौसी उड़ीसा से होकर आता है।परिणामस्वरूप सरदा बस्ती अब अवैधानिक कारोबारों व गैरकानूनी कार्यों के लिए सुरक्षित गढ़ बन रहा है।जो ज़िला प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगा रहा है।

*नशाखोरी व शराबबंदी को लेकर प्रशासन की जागरूकता शिविर असफल*
ज्ञात हो कि कुछ महीनों पूर्व बेरला अनुविभागीय पुलिस एवं बेरला थाना स्टॉफ के द्वारा संयुक्त रूप से गांव में अवैध शराबबंदी को लेकर जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया था।जिसमे ग्रामवासियों व युवाओ को ऐसे गैरकानूनी कार्यों एवं धंधों से दूर रहने की सलाह पुलिस अफसरों द्वारा दी गयी थी।यह कार्यक्रम युवाओं को नशाखोरी रोकने एवं ज़िले में गांव की छवि सुधारने के मकसद से किया गया था।इसके बावजूद आज कुछ महीनों के बाद पुनः शराब बनाने व बेचने का कारोबार धड़ल्ले से शुरू हो चला है, जो कि पुलिस व आबकारी विभाग के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।

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