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भारत में बनाई जा रही जिस वैक्सीन पर है दुनिया के 92 गरीब देशों का हक, उस पर नजर गड़ाए बैठे अमीर देश

भारत दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान (Vaccination Program) चला रहा है. इसकी रफ्तार बढ़ाने के लिए भारत (India) ने दूसरे देशों को वैक्सीन निर्यात पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी थी. इस पर दुनिया के कई देश भारत पर आरोप लगा रहे हैं कि इससे दुनिया के करीब 92 गरीब देशों में टीकाकरण अभियान पर असर पड़ेगा. हालांकि भारत पर आरोप लगाने वाले देशों के पास वैक्सीन (Vaccine) की बड़ी मात्रा पहले से मौजूद हैं.

गरीब देशों को वैक्सीन भेजने पर अस्थायी रोक लगाने के लिए ब्रिटेन भारत पर निशाना साध रहा है जबकि सच्चाई कुछ और है. द गार्डियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन अपनी कुल आबादी के करीब आधे वयस्कों को टीके एक कम से कम एक डोज दे चुका है जबकि भारत टीकाकरण की रेस में अभी काफी पीछे और उसने अभी तक कुल आबादी के सिर्फ 3 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन लगाई है. इसके बावजूद ब्रिटेन भारत से 50 लाख वैक्सीन मांग रहा है.

गरीब देशों के लिए वैक्सीन

दुनिया के कुछ अमीर देश जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब, कनाडा जैसे देशों को करोड़ों की संख्या में वैक्सीन मिल चुकी है. भारत में सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा बनाई जा रही वैक्सीन पर इन देशों का कोई हक नहीं है. इसका निर्माण दुनिया के 92 गरीब देशों के लिए किया जा रहा है. कुछ दिनों पहले कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए इसके निर्यात पर रोक लगा दी गई थी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने शुक्रवार को कहा कि भारत ने कोरोना वैक्सीन के निर्यात पर किसी प्रकार का कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है. साथ ही कहा कि अब तक भारत ने दुनियाभर के 80 से अधिक देशों में वैक्सीन उपलब्ध कराई है.

एक साल पहले हुई थी डील

एक साल पहले ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के जेनर इंस्टीट्यूट ने घोषणा की थी कि वो किसी भी वैक्सीन निर्माता को कहीं भी एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के निर्माण का अधिकार दे सकते हैं. इसके बाद सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (जो कि दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता है) ने एक करार किया और वैक्सीन निर्माण का लाइसेंस हासिल किया.

एक महीने बाद गेट्स फाउंडेशन के कहने पर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने मल्टीनेशनल फार्मा ग्रुप एस्ट्राजेनेका के एक समझौते पर साइन किए, जिसके बाद सीरम इंस्टीट्यूट को भी फार्मा कंपनी के साथ नई डील साइन करनी पड़ी. नई डील के तहत सीरम इंस्टीट्यूट को GAVI वैक्सीन संधि के तहत गरीब देशों के लिए वैक्सीन निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई. इसमें दुनिया के 92 गरीब देश शामिल हैं.

50 फीसदी का इस्तेमाल घरेलू टीकाकरण के लिए

हालांकि बाद में एक अघोषित व्यवस्था के तहत यह तय हुआ कि सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा निर्मित वैक्सीन की 50 फीसदी खुराक का इस्तेमाल घरेलू टीकाकरण और 50 फीसदी का इस्तेमाल निर्यात के लिए किया जाएगा. सीरम इंस्टीट्यूट से दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील जैसे बड़े देश भी वैक्सीन खरीद चुके हैं लेकिन ब्रिटेन जैसे अमीर देश जिनके पास पहले से वैक्सीन की बड़ी मात्रा मौजूद है, की भारत से उस वैक्सीन की मांग उचित नहीं है, जो गरीब देशों के लिए बनाई जा रही है.

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