नस्लभेद के खिलाफ लड़ने वाले डेसमंड टूटू का निधन, PM मोदी ने जताया शोक Desmond Tutu, who fought against apartheid, died, PM Modi expressed grief

केप टाउन. नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाले दक्षिण अफ्रीका के डेसमंड टूटू का निधन (Archbishop Desmond Tutu don die) हो गया है. वो 90 साल के थे. आर्चबिशप टूटू का निधन केप टाउन में हुआ. उन्होंने जीवन भर नस्लभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ी. टूटू एक प्रतिष्ठित आध्यात्मिक नेता और वैश्विक मानवाधिकार प्रचारक थे. इस साल अक्टूबर में उन्होंने अपना 90वां जन्मदिन मनाया था. इस मौके पर दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने उन्हें राष्ट्रीय खजाना और ग्लोबल आइकन कहा था.
1990 के दशक में टूटू को प्रोसटेट कैंसर हो गया था. हाल के दिनों में उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. रंगभेद के अहिंसक विरोध के लिए 1984 में टूटू को नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था. डेसमंड टूटू को भारत में भी गांधी शांति पुरस्कार से नवाजा जा चुका है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा है, ‘आर्चबिशप डेसमंड टूटू विश्व स्तर पर अनगिनत लोगों के लिए एक मार्गदर्शक थे. मानवीय गरिमा और समानता पर उनका काम हमेशा याद किया जाएगा. मैं उनके निधन से बहुत दुखी हूं और उनके सभी प्रशंसकों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं. भगवान उसकी आत्मा को शांति दे.’रंगभेद विरोधी प्रतीक नेल्सन मंडेला के साथ-साथ टूटू भी लगातार संघर्ष करते रहे. वो 1948 से 1991 तक दक्षिण अफ्रीका में अश्वेतों के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ते रहे. वे नस्लीय अलगाव और भेदभाव की नीति को समाप्त करने के आंदोलन के पीछे प्रेरक शक्तियों में से एक थे. रंगभेद व्यवस्था को खत्म करने के संघर्ष में उनकी भूमिका के लिए उन्हें 1984 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.