खास खबरछत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

लोक जल-स्त्रोत या जलाशय का जल कलुषित करना कानूनन अपराध, To pollute the water of a public water source or reservoir is a crime of law

ऐसा कृत्य करनेपर तीन माह के कारावास से दंडित किया जा सकेगा
दुर्ग /  राजेश श्रीवास्तव जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के निर्देशानुसार ‘‘विश्व जल दिवस’’ के अवसर पर ग्राम- पुरई में विशेष साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। गा्रम पुरई में आयोजित विशेष विधिक साक्षरता शिविर में उपस्थित लोगों को राहूल शर्मा ने बताया कि ’’ हमारे जीवन में जल अमूल्य स्थान रखता है हमारे शरीर का 70 प्रतिशत भाग पानी है इसी से समझा जा सकता है कि पानी हमारे जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है। जल को संरक्षित किया जाना पर्यावरण के लिए आवश्यक है। जल को प्रदूषित नही किया जाना चाहिए। प्रदूषित जल शरीर को नुकसान पहॅॅूचाता है। जल के सरंक्षक स्थान नदी, तालाब में पानी को दूषित नही किया जाना चाहिए। भारतीय दंड संहिता की धारा 277 के अनुसार जो कोई किसी लोक जल-स्त्रोत या जलाशय का जल कलुषित करना कानूनन अपराध है। जो कोई लोक जल स्त्रोत या जलाशय के जल को स्वेच्छया इस प्रकार नष्ट या प्रदूषित करेगा वह उस प्रयोजन के लिए जिसके लिये वह मामूली तौर पर उपयोग मंे आता है, कम उपयोगी हो जाये। ऐसा कृत्य करना अवधि तीन माह के कारावास या जुर्माने से दंडित किया जा सकेगा। जल का संदूूषण या उसके भौतिक/रासायनिक अथवा जैविक गुणों से छेड़-छाड़ या जल óोतों में मल को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मिलाना अथवा बहाना जिससे जल हानिकारक एवं प्राणघातक बन जाये। वह जल प्रदूषण कहलायेगा। जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम 1974 संविधान का अनिवार्य भाग है, जिसकों जल प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण के के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है। इसका उद्वेश्य जल की स्वच्छता को बनाए रखना है। पर्यावरण को सुरक्षित रखने लिए समय-समय पर अधिनियम में संशोधन भी किया गया है। यह भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह प्राकृतिक पर्यावरण का संरक्षण और सुधार करंे। जिसमें वन/झीलें नदी और अन्य जीव सम्मिलित हैं तथा  प्रत्येक जीवधारी के प्रति सहानुभूति-संवेदनशीलता रखे। जल सभी जीवित  प्राणियों के जीवन का आधार है। आधुनिक मानव सभ्यता के विकास के साथ जल  प्रदूषण की गम्भीर समस्या उत्पन्न हो गई है। गा्रम पुरई में आयोजित विधिक जागरूकता  कार्यक्रम में जनमानस को जल के सरंक्षण एवं प्रदूषण नही करने के लिए में समझाईश दी गई ।

Related Articles

Back to top button