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आयोग की समझाइश पर नशेड़ी पति ने नशा मुक्ति केंद्र में इलाज कराना मंजूर किया,On the advice of the Commission, the intoxicated husband approved to undergo treatment at the de-addiction center

पत्नी के गहने धोखे से हड़पने वाले पति को समझा इस दिया गया कि स्त्री धन वापस करें
2 मामलों में 10,000 रुपये भरण-पोषण राशि आयोग द्वारा तय किया गया
महिला आयोग में मामला लगते ही 4 मामले में तत्काल समझौता
कामधेनु विश्वविद्यालय के उच्च शिक्षित प्रोफेसर का मामला आयोग के समक्ष रखा गया जिसमें दोनों पक्षों को अपने विस्तृत दस्तावेज एवं साक्ष्य प्रस्तुत करने आयोग द्वारा कहा गया
दुर्ग /  22 मार्च 2021/छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डाॅ. किरणमयी नायक ने आज जिला पंचायत के सभा कक्ष में दुर्ग जिले से प्राप्त प्रकरणों की सुनवाई की। एक प्रकरण में आवेदिका के द्वारा प्रकरण वापस लेने की बात रखने पर पति-पत्नी को साथ रहने के निर्देश दिए गए। इस मामले में निगरानी के लिए एक अधिवक्ता को अधिकृत किया गया, 6 महीने तक अधिवक्ता इसकी निगरानी करेंगे। शांतिपूर्ण रहने पर मामला नस्तीबद्ध किया जाएगा। इन प्रकरणों की निगरानी एवं सुलह के लिए अधिवक्ताओं को जिम्मेदारी दी गई है।
इसी तरह जिन प्रकरणों में और साक्ष्य दस्तावेज संलग्न किया जाना हो उनमें संबंधित पक्षकारों को सभी संबंधित दस्तावेज अगली सुनवाई के पूर्व जमा करने कहा है। एक प्रकरण में पति पत्नी के बीच अनबन के मामले में सुनवाई की गई जिसमें आवेदिका पत्नी ने बताया कि उसका पति उसपर चोरी का आरोप लगाकर घर से निकाल दिया है। आवेदिका ने कहा कि वह अपने पति के साथ नहीं रहना चाहती है। पिछले 6 साल से वह अपने पति के साथ समझौता के तौर पर रह रही है और वह आगे उनके साथ रहने को तैयार नहीं है। इस पर आयोग ने सुनवाई करते हुए कहा कि आवेदिका को अन्यत्र रहने के लिए किराये पर एक मकान के व्यवस्था अनावेदक पति के द्वारा किया जाए साथ ही भरण पोषण के लिए प्रतिमाह 10 हजार रुपए देगा। 6 माह दोनों की निगरानी नियमित रूप से की जाएगी। 6 माह पश्चात संबंध नहीं सुधरने पर आवेदिका चाहे तो तलाक के लिए न्यायालय में आवेदन कर सकती है।
इसी तरह की एक अन्य मामले में आवेदिका पत्नि के द्वारा आयोग को शिकायत किया गया है कि अनावेदक पति के द्वारा उनके पूरे गहनें को धोखे से अपने कब्जे में लेकर दुरूपयोग किया गया है। अनावेदक के द्वारा कोई काम नहीं करने के साथ ही पत्नी सहित बच्चों को भी मानसिक प्रताड़ित किया जाता है। इस पर सुनवाई करते हुए कहा गया कि वह दो महिने तक 10 हजार रूपए आवेदिका को दे साथ ही अपनी पत्नी के गहनों को लौटाए अथवा प्लाट को उसके नाम पर करे। एक अन्य प्रकरण में आवेदिका के द्वारा वर्ष 2005 में अनावेदक से जमीन की खरीदी की गई थी। वर्ष 2020 में पता चला कि उक्त जमीन का ले-आउट गलत है। इससे आवेदिका को जमीन संबंधी कार्य के लिए परेशानी हो रही है। इस पर दोनों पक्षकारों को सभी आवश्यक दस्तावेज एकत्र कर अगली सुनवाई के पूर्व जमा करने कहा गया है।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक बहुत ज्यादा नशा का आदि है और मेरे कारोबार और घर से भी पैसा छीनकर ले जाकर शराब पीता है। जिसके कारण मेरा जीवन दुरभर हो गया है, जिससे मैं तलाक चाहती हूं। अनावेदक का कथन है कि वह अपना नशे का आदत छोडने के लिए इलाज करवाने को तैयार है और इसके लिए अनावेदक को 3 माह का समय दिया जाता है कि वह अपना नशे के मुक्ति के लिए स्वयं के व्यय पर इलाज हेतु नशा मुक्ति केन्द्र में भर्ती हो जिसकी सूचना आवेदिका को भेजेगा । नशा मुक्ति उपचार के दौरान आवेदिका अपने बच्चों के साथ जाकर बात कर सकेगी। इस 3 माह के दौरान अनावेदक आवेदिका के घर, कार्यस्थल पर नहीं जायेगा और किसी भी तरह से आवेदिका को परेशान नहीं करेगा। यदि अनावेदक इस शर्त का उल्लंघन करता है तो आवेदिका अनावेदक के खिलाफ थाना में लिखित शिकायत दर्ज करा सकेगी। और अनावेदक के खिलाफ तलाक का मामला दर्ज करा सकती है। आज की सुनवाई में 24 प्रकरण आयोग के समक्ष रखे गए थे जिसमे 17 प्रकरणों में पक्षकार उपस्थित रहे जिसमे से 7 प्रकरणों को नस्तीबद्ध किया गया। डाॅ. नायक ने पक्षकारों की मौजूदगी में प्रकरणों के तथ्य और दोनों पक्षकारों के बयानों व अभिमत को सुना, उन्होंने समझौता योग्य प्रकरणों में दोनों पक्षकारों की सहमति पर नस्तीबद्ध किया। दुर्ग में यह चीज विशेष रूप से देखने में आई है कि महिला आयोग की पहली नोटिस मिलने से ही अनावेदक गणों ने शिकायतकर्ता महिलाओं से तत्काल से समझौता किया।

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