कवर्धा। सर्वविदित हो कि जवाहर लाल उत्कर्ष चयन परीक्षा हेतु .07.03.21 को परीक्षा हुआ था, जिसके परिणाम कुछ दिनों पहले ही आया है। पर इस परिणाम से अभ्यर्थियों के परिजन संतुष्ट नहीं है ।
शुभम सिंह लहरे ,पिता बेदराम लहरे जिनका प्राप्तांक 76.25 है, किन्तु परिजन इस प्राप्तांक से संतुष्ट नहीं हैं,जिसके लिए उन्होंने पुनः मूल्यांकन के लिए आवेदन लगाया था, पर इस भी संतुष्टि जनक परिणाम नहीं मिला, बल्कि किसी दूसरे बच्चे का 10.% एक्स्ट्रा अंक बढ़ाकर परिणाम निकाला गया है।
इस परीक्षा में जिन बच्चों के माता पिता सरकारी नौकरी में है,उनको परीक्षा में बैठने का पात्रता नहीं दिया जाता है, परंतु सुमेधा भास्कर ,जिनकी माता शिक्षिका है,उनको पात्र माना गया है।
जवाहर उत्कर्ष चयन परीक्षा 2021-22 परीक्षा से लेकर चयन सूची तक अनेकों संदेह से भरा हुआ
अपात्र अभ्यर्थी को परीक्षा में शामिल करना।परिणाम सूची में अपात्र विद्यार्थी का नंबर सर्वाधिक होना।
पुनर्गणना में 11से 12अंक तक प्राप्तांको का बढ़ जाना।
दावा आपत्ति के निराकरण में कोचिंग कराने वाले टीचर को पालक के स्थान पर बैठाकर निराकरण करना।
निराकरण तिथि से पहले जाकर पालक और ट्यूशन टीचर का अधिकारियों से मिलना।
65 नंबर पाने वाले अभ्यर्थी का अंक बढ़कर 76.5 अंक हो जाना।
ये सभी घटनाएं कहीं न कहीं अनेक सन्देह को जन्म देती है। ये हुआ कि पात्र अभ्यर्थी चयन सूची से बाहर हो गया।उपरोक्त घटनाक्रम से पालक और बालक अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहें हैं। गरीब माता-पिता और बच्चे का मनोबल टूट सा गया है। रो- रो इनका बुरा हाल है। उन्होंने प्रशासन से निष्पक्ष जांच कर दोषियों के ऊपर कडी़ कार्यवाही करने की मांग की है। चयन सूची को रद्द कर पुनः परीक्षा आयोजित करने की गुहार लगाई है।
,गरीब बच्चों के लिए लागू इस योजना का लाभ लेने वेतनभोगी कर्मचारी और आयकर दाता भी कतार में खड़े हुए हैं।