समन्वय का भाव मानव जाति के विकास का मूलमंत्र है……आचार्यश्री” पं राजेन्द्र दुबे

समन्वय का भाव मानव जाति के विकास का मूलमंत्र है……आचार्यश्री” पं राजेन्द्र दुबे
बिलासपुर —
सबका संदेश रतनपुर
श्रीमद्भागवत महापुराण रतनपुर करैहापारा में आज छठे दिवस भगवान श्री कृष्ण जी की विवाह रुकमणी से संपन्न किए गए जिसमें विधि विधान से द्वारिकाधीश का विवाह रुक्मणी के साथ किए वही बारातियों का स्वागत मोहल्ले के लोगो द्वारा किया गया उनजिस तरह से विवाह में एक कन्या का पिता करते हैं अपनी पुत्री का विवाह भगवान श्री कृष्णा और रुकमणी कराया गया एवं रुकमणी को दहेज में द्रव्य एवं नाना प्रकार की सामग्री अर्पित किए गए तथा विवाह संपन्न होने के पश्चात द्वारकाधीश एवं माता रुक्मणी की आरती करके लोगों ने आशीर्वाद प्राप्त किया तथा “आचार्यश्री” पं राजेन्द्र दुबे जी ने कथा में बताया कि – . समन्वय का भाव मानव जाति के विकास का मूलमंत्र है। हमें रूढ़िवादी नहीं परंपरावादी व समन्यवादी होना चाहिए। हमारा शैक्षणिक काल चाहे अंग्रेजी माध्यम से हो, परंतु हमारे संस्कारों में भारतीय संस्कृति व धर्म तथा आचरण में सद्भाव व सेवा होना चाहिए। बड़ों के प्रति सम्मान व धर्म की आस्था के साथ समाज व हर वर्ग में समन्वय, सद्भाव और सहकार भारतीय संस्कृति का मूलमंत्र है। सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह, तप व त्याग की विवेचना करते हुए पूज्य “आचार्यश्री” जी ने मनुष्य को अपने जीवन में संस्कारों को उतारने की प्रेरणा दी अभिमानवश होकर हमें मानवता, संस्कार व कर्तव्य को भूलना नहीं चाहिए।