कौन कर रहा कांग्रेस के दिग्गज नेता की छबि को ख़राब करने की कोशिश
दुर्ग से शमशेर खान की रिपोर्ट दुर्ग –
दुर्ग / यह कहना गलत नहीं होगा कि स्वर्गीय मोतीलाल वोरा जी के कारण दुर्ग की पहचान पूरे देश में हुई है, कांग्रेस के इस दिग्गज नेता का पूरा जीवन अविवादित रहा है दुर्ग कांग्रेस को मोतीलाल वोरा के कारण पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान मिली है, देश भर के सभी दल के राजनेताओं की नजर में स्वर्गीय मोतीलाल वोरा जी की छवि एक निर्मल मधुर सहृदय और मिलनसार व्यक्तित्व की रही है, मोतीलाल जी बोरा के देहांत के बाद दुर्ग कांग्रेस आज भी अपने आप को अधूरा महसूस करता है जिसकी भरपाई शायद ही कभी हो पाएगी, राष्ट्रीय स्तर के इस नेता की छवि आज कुछ चाटूकारो के चलते धूमिल होती नजर आ रही है जिस नेता ने अपने जीवन काल में सभी विवादों से सफलतापूर्वक दूरी बनाए रखी, आज उसी महान नेता स्वर्गीय मोतीलाल जी बोरा के निर्माणाधीन समाधि स्थल को लेकर विवाद गहराता नजर आ रहा है
आपको बता दें कि स्वर्गीय मोतीलाल वोरा जी का अंतिम संस्कार दुर्ग के शिवनाथ नदी तट पर स्थित मुक्तिधाम में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया था क्योंकि यह मुक्तिधाम हिंदू धर्म के मानने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है जहां आम जनता अपने परिजनों के मृत देह का अंतिम संस्कार करती है, लेकिन इसी मुक्तिधाम में वर्तमान में स्वर्गीय मोतीलाल जी बोरा के समाधि स्थल का निर्माण निगम के द्वारा किया जा रहा है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस निर्माण की अनुमति ना ही निगम प्रशासन दुर्ग के द्वारा दी गई है और ना ही जिला प्रशासन के द्वारा दी गई है बावजूद इसके निगम के इंजीनियरों संरक्षण में भिलाई के किसी ठेकेदार द्वारा निर्माण कार्य किया जा रहा है इस बारे में जब हमारे संवाददाता ने निगमायुक्त हरेश मंडावी से चर्चा की तो भी इस मामले से किनारा करते नजर आये !निगम आयुक्त ने किसी प्रकार की जानकारी नहीं होने की बात कही है, जबकि इस गंभीर विषय पर आम आदमी पार्टी के मेहरबान सिंह द्वारा लिखित में शिकायत की भी गई थी क्योंकि मामला देश के दिग्गज नेता स्वर्गीय मोतीलाल जी बोरा से संबंधित है, इसके बावजूद निगमायुक्त का इस से कन्नी काटना कई तरह के संदेह को जन्म देता है, जबकि शिकायत में यह भी जिक्र किया गया है, कि अवैध निर्माण किसी आम जनता से संबंधित नहीं वरन कांग्रेस के दिग्गज नेता स्वर्गीय मोतीलाल वोरा जी का नाम लेकर किया जा रहा है, वह भी उस क्षेत्र से जिस क्षेत्र में विधायक स्वर्गीय मोतीलाल वोरा जी के पुत्र अरुण वोरा जी विधायक हैं और मौजूदा महापौर स्वर्गीय मोतीलाल वोरा जी के बेहद करीबी धीरज बाकलीवाल है बावजूद इसके निगमायुक्त द्वारा मामले में जानकारी ना होने की बात करना चिंता का विषय है । जिस शहर में जिलाधीश डॉक्टर नरेंद्र भूरे अवैध प्लाटिंग पर सख्त से सख्त कार्यवाही की बात कर रहे हैं उसी जिला मुख्यालय में दुर्ग के बाबूजी के नाम से मशहूर शख्सियत आदरणीय स्वर्गीय मोतीलाल जी वोरा की समाधि स्थल पर हो रहे अवैध निर्माण पर मौन है, क्या यह मौन शासन की मूक रजामंदी का परिचायक है क्या सभी कायदे कानून सिर्फ आम और गरीब जनता के लिए ही है आज अगर एक गरीब व्यक्ति दो वक्त की रोटी की जुगत में सड़क किनारे दो गज की जगह पर चाय की दुकान खोल लेता है तो वहा पूरी प्रशासन उसे अवैध कब्जा करार देती है और हटाने के लिए पूरी प्रशासन लग जाती है, ऐसा ही एक नजारा 2 दिन पहले देखने को मिला जिला न्यायालय के सामने दो वक्त की रोटी के लिए ठेला लगाकर व्यापार करने वाले गरीबों को निगम द्वारा बलपूर्वक हटा दिया गया, क्या स्वर्गीय मोतीलाल वोरा जी के समाधि स्थल पर हो रहे अवैध निर्माण पर जिला प्रशासन और जिला के कलेक्टर नरेंद्र भूरे संज्ञान लेकर कार्यवाही करेंगे, क्या शहर के विधायक अरुण वोरा अपने बाबूजी के समाधि स्थल में बिना अनुमति के हो रहे निर्माण पर रोक लगाकर अपने प्रिय बाबूजी और शहर के आदरणीय बाबूजी के नाम से मशहूर शख्सियत स्वर्गीय मोतीलाल वोरा जी के मरणोपरांत छवि पर लगने वाले हर दाग को मिटायेंगे ! वैसे इस समाधी स्थल को देखने किसी भी एंगल से देखा जाए तो ये गलत है, अगर विधायक अरुण वोरा के द्वारा निर्माण कराया जा रहा है तो ऐसा निर्माण अतिक्रमण में नहीं होना चाहिए क्योकि स्वर्गीय मोतीलाल वोरा जी वो शख्सियत है जहा प्रतिवर्ष बड़े बड़े दिग्गज राजनेता उनको श्रधांजलि देने वहा जमा होंगे, क्या अरुण वोरा यह चाहेंगे की उनके बाबूजी को कोई राजनेता श्रधांजलि देने पहुचे और वो समाधि शमशान घाट से लगी है । बता दे कि निर्माणाधीन समाधि स्थल से ही लग कर राज्य सभा सांसद डॉ सरोज पाण्डेय की निधि से अंतिम संस्कार के लिए शेड भी बन रहा है । समाधि स्थल के दोनों तरफ अंतिम संस्कार के लिए जगह आरक्षित है । सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिस स्थान पर समाधि स्थल बन रहा वहां पर भी राज्य सभा सांसद निधि से मुक्ति धाम संधारण का कार्य होना था किंतु चाटुकारों के इस निर्माण से यह संधारण भी अधूरे प्लान के साथ पूरा हो रहा और शासन मौन है । इसके अलावा भी अगर कोई अन्य भी स्वर्गीय मोतीलाल वोरा जी के नाम से अतिक्रमण कर रहा है तो क्या अरुण वोरा को अपने बाबूजी की छबि को ख़राब होने से रोकने के लिए आगे नहीं आना चाहिए !