नारायणपुर जिले के किसान करेंगे रायपुर एवं दुर्ग जिले के गौठानों का भ्रमण
नारायणपुर जिले के किसान करेंगे रायपुर एवं दुर्ग जिले के गौठानों का भ्रमण
भ्रमण दल को कलेक्टर ने दिखाई हरी झंडी
नारायणपुर 17 मार्च 2021-प्रदेश की महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना के अंतर्गत नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी का संरक्षण एवं संवर्धन किया जा रहा है। जिले के किसानों को गौठानों का भ्रमण कराते हुए यहां किसानों और महिला समूहों को मिल रहे लाभ, उन्नत कृषि एवं उद्यानिकी की तकनीकों को अपनाने के उद्देश्य से रायपुर एवं दुर्ग जिले के गौठानों का भम्रण कराया जा रहा है। आज नारायणपुर जिले के दल को कलेक्टर श्री धर्मेश कुमार साहू ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। रवाना करते समय कलेक्टर ने बताया कि जिलों के ग्रामीणों को कृषि गतिविधियों में नवाचार अपनाने, गोधन न्याय योजना को बेहतर ढंग से समझाने तथा उन्नत कृषि को अपनाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से गौठान भ्रमण कराने दल को भेजा जा रहा है। जिले के 25 किसानों का दल दुर्ग जिले के पाटन एवं रायपुर जिले के गौठानों का भ्रमण करेंगे। साथ ही इंदिरा गांधी कृषि विष्व विद्यालय रायपुर में कृषि संग्राहालय का भ्रमण, सूक्ष्म सिंचाई योजना का अवलोकन, वर्मी कम्पोस्ट, बाड़ी, मषरूम उत्पादन, गमला, दिया, जाली-तार, अगरबत्ती निर्माण के संबंध में भी जानकारी लेंगे। उल्लेखनीय है कि बस्तर क्षेत्र में पशुओं को खुला रखने की परंपरा है। गौठान निर्माण होने से यहां भी खेती किसानी के साथ सड़क सुरक्षा में मदद मिल रही है। साथ ही साथ बस्तर क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण ईकाईयों, औद्योगिक एवं लघु कुटीर उद्योगों की अपार संभावनाएं है का भी विकास हो रहा है।
उप सचंालक कृषि श्री बी.एस. बघेल ने बतया कि गौठानों के लाभों को ग्रामीणों तक पहुंचाने एवं इस क्षेत्र के गौठान समितियों के सदस्यों को मध्य क्षेत्र में गोधन न्याय योजना के तहत संचालित गौठानों के सफलतापूर्ण निर्वहन किये जा रहे कार्यों के अवलोकन एवं भ्रमण हेतु गौठान भ्रमण कार्यक्रम तैयार किया गया है। यह भी उल्लेखनीय है कि गोधन न्याय योजना का क्रियान्वयन हरेली पर 20 जुलाई 2020 से प्रारंभ किया गया है। इसके क्रियान्वयन से जैविक खेती बढ़ावा, ग्रामीण एवं शहरी स्तर पर रोजगार के नये अवसर, गौपालन एवं गौ-सुरक्षा का प्रोत्साहन साथ-साथ पशुपालकों, महिला स्व-सहायता समूहों को स्वावलंबी बनाया जा रहा है। गोधन न्याय योजना के अंतर्गत गौठान समितियों के माध्यम से गोबर क्रय करते हुए इससे वर्मीकम्पोस्ट एवं अन्य उत्पाद भी तैयार किए जा रहें हैं।