छत्तीसगढ़

2021 में पहली बार रायपुर में 300 से ज्यादा नए केस मिले, छत्तीसगढ़ में दूसरी बार 800 से ज्यादा संक्रमित

2021 में पहली बार रायपुर में 306 नए मरीज मिले हैं। प्रदेश में दूसरी बार 800 से ज्यादा केस सामने आए हैं। इससे पहले 11 जनवरी को 853 लाेगों की रिपोर्ट सामने आई थी। वहीं, कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच परेशान करने वाली खबर ये है कि फरवरी अंत और मार्च के पहले हफ्ते में जो मरीज अस्पतालों में भर्ती हुए हैं, वे 20-20 दिन में ठीक हो पा रहे हैं।

सितंबर-अक्टूबर में जब कोरोना पीक पर था, अस्पतालों में बेड इसलिए उपलब्ध हो पा रहे थे क्योंकि 7 से 10 दिन के भीतर मरीजों को छुट्टी दी जा रही है। इस नए तथ्य के साथ डाक्टरों में ही यह आशंका गहराने लगी है कि मरीजों की संख्या इसी तरह बढ़ी तो बहुत जल्दी राजधानी के अस्पताल फुल हो जाएंगे। राजधानी रायपुर में फिलहाल अंबेडकर और एम्स अस्पताल में 500-500 और लालपुर केयर सेंटर में 100 बेड ही हैं। रोजाना इसी तरह ढाई-ढाई सौ मरीज आए तो तुरंत नए केयर सेंटर खोलने की जरूरत पड़ सकती है।

पिछले साल ही रायपुर शहर में कोरोना के मामलों में कमी के चलते एक दर्जन में 11 केयर सेंटर धीरे धीरे बंद कर दिए गए थे। रायपुर में अभी एक्टिव मरीजों की संख्या 11 सौ के आसपास है। एक मरीज को ठीक होने में अगर 20 से 21 दिन का वक्त भी लगा, तो ऐसे में अस्पतालों में एक बार फिर मरीजों की संख्या अचानक बढ़ने से बेड फुल होने की आशंका है।

फिलहाल अस्पतालों ने जो अस्थायी तरीका निकाला है, वो यह है कि रायपुर के अस्पतालों से ऐसे मरीज जिनकी हालत गंभीर नहीं है, उन्हें छुट्टी दी जा रही है। राजधानी में पिछले तीन दिन में अस्पताल और होम आइसोलेशन मिलाकर 658 मरीज डिस्चार्ज कर दिए गए हैं। जनवरी के बाद मरीजों को इतनी बड़ी संख्या में पहली बार डिस्चार्ज किया गया है, ताकि गंभीर स्थिति वाले मरीजों को कम से कम अस्पताल का सपोर्ट मिल जाए।

होम आइसोलेशन सिर्फ उन्हें, जिन्हें सांस में दिक्कत न हो
कोरोना से मरीजों की अचानक गंभीर होती हालत को देखते हुए हेल्थ विभाग ने होम आइसोलेशन की अनुमति सिर्फ उन्हें देने की तैयारी कर ली है, जिन्हें सांस में तकलीफ नहीं है। अभी उम्र और गंभीर बीमारियों नहीं होने के आधार पर पॉजिटिव आए लोगो को होम आइसोलेशन की मंजूरी दी जा रही थी।

हाल में ऐसे मामले आए जब युवा मरीजों को होम आइसोलेशन में सांस की तकलीफ अचानक पैदा हुई, उन्हें अस्पताल भेजा गया, लेकिन वे या तो नहीं बचे या काफी दिन वेंटिलेटर में रखना पड़ा। हेल्थ अफसरों ने बताया कि ऐसे मरीज जो घर में इलाज करवा रहे हैं, उनका अब कॉल सेंटर रोज के बुखार और आक्सीजन लेवल का रिकार्ड रखेंगे।

लांग पोस्ट कोविड मरीजों की संख्या में भी हो रहा इजाफा
लांग पोस्ट कोविड मरीज यानी ऐसे मरीज जो पिछले कोरोना से ठीक हो चुके हैं, लेकिन उन्हें कोरोना के बाद आने वाली बीमारियों और दिक्कतों से लंबे समय से जूझ रहे हैं। रायपुर में ऐसे मरीजों की संख्या में भी लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है।

पोस्ट कोविड बीमारियों के इलाज के लिए अस्पताल में आने वाले 100 में से पहले 1 प्रतिशत मरीज ही ऐसे होते थे जो लांग पोस्ट कोविड बीमारियों से पीड़ित थे, अब इनकी संख्या में 2 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हो गई है। यही नहीं, इनमें वो लोग भी शामिल हैं जो तीन महीने पहले ही कोरोना से ठीक हो चुके हैं। दरअसल, कोरोना के बाद बहुत से लोग विभिन्न तरह की परेशानियों जैसे शरीर में अकड़ जकड़न, सांस लेने में दिक्कत का बने रखना, जी घबराना, ब्लड प्रेशर का उतार चढ़ाव, डायबिटीज, स्किन की बीमारियों जैसी दिक्कतों से जूझते रहते हैं।

लगातार बढ़ रहे मरीज
अस्पताल बेड मरीज
अंबेडकर 500 55
एम्स 500 100
लालपुर 100 40
नारायणा 150 25
बालाजी 80 10
एमएमआई 44 25
कुल बेड 1374 255

प्रदेश में 12 मौतें, अब तक 3900 से ज्यादा जानें गईं
प्रदेश में मंगलवार को 12 मरीजों की मौत हुई। इससे मौतों का आंकड़ा 3900 पार हो गया है। रायपुर में डीआरएम के दफ्तर में एक साथ 7 संक्रमित मिलने से खलबली मची है। इसमें आरपीएफ की एक महिला स्टाफ पॉजिटिव आई है।

केस बढ़े पर सितंबर जैसे हालात नहीं, खतरा जरूर: सिंहदेव
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है। हर सौ टेस्ट में से दो पॉजिटिव निकल रहे हैं। यदि सब मिलकर रोकथाम के लिए पहल करें तो इसे बढ़ने से रोका जा सकता है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सितंबर जैसे हालात नहीं हैं। मगर अब हर सौ जांच में से दो की रिपोर्ट पॉजिटिव आने लगी है, जो कि बढ़ता हुआ दिख रहा है।

सिंहदेव ने अपने संदेश में बड़े आयोजनों से बचने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि बड़े आयोजनों से बचने का समय आ गया है। गमी और खुशी में जाने से पहले शारीरिक दूरी बनाए रखना जरूरी हो गया है। मास्क लगाना जरूरी है। सिंहदेव ने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण चल रहा है, लेकिन टीका लगने के 6 हफ्ते बाद तक मास्क व शारीरिक दूरी बनाए रखना जरूरी है, तभी टीका कारगर हो सकता है।

एक्सपर्ट व्यू – गंभीर किस्म के मरीज ज्यादा, यही खतरा
“इन दिनों जिस तरह के मरीज आ रहे हैं, उनमें से ज्यादातर गंभीर किस्म के मरीज हैं। ऐसी स्थिति इसलिए भी बन रही है क्योंकि लोग या तो कोरोना जांच में देरी कर रहे हैं या पॉजिटिव आने के बाद अस्पताल आने में झिझक रहे हैं। घर परिवार में इन दिनों जो बहुत छोटे बच्चे भी संक्रमित हो जा रहे हैं, उसकी वजह भी यही है। दरअसल, होम आइसोलेशन में लोग खुद पर पाबंदी का पालन नहीं कर रहे हैं, कोरोना को हल्के में ले रहे हैं, इसके चलते परिवार के एक भी सदस्य के संक्रमित होने के बाद उसी परिवार में अन्य लोग संक्रमित हो रहे हैं। देरी होने के कारण कोरोना फेफड़े और शरीर के अन्य हिस्सों पर तरह-तरह का नुकसान भी कर रहा है। इसलिए ऐसे मरीज जो हल्के लक्षण वाले भी थे वो भी गंभीर श्रेणी में आ जाते हैं।”
-डॉ. ओपी सुंदरानी, इंचार्ज, डॉ. अंबेडकर अस्पताल

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