केशकाल विधानसभा के कौंदकेरा में 45 लाख की पानी टँकी नहीं बुझा पा रही ग्रामीणों की प्यास

कागजो तक ही सिमट कर रह गई हैं नलजल की योजनाएं
कोण्डागांव। केशकाल विधानसभा क्षेत्र के ग्राम कौंदकेरा में 45 लाख 32 हजार की लागत से बनी पानी टँकी महज शो पीस बनकर रह गयी हैं, ग्रामीणों को इस टंकी से पानी नही मिल पा रहा है और पानी के लिए भटकना पड़ रहा है। टंकी से पानी सप्लाई ना होने की शिकायत करने पर जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों से कोई सकारात्मक परिणाम सामने नही मिला है।
ज्ञात हो कि आम जनता को पीने का स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से केंद्र व राज्य की सरकारें विभिन्न योजनाओं में करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रही है, लेकिन हालात यह है कि इनमें से अधिकांश योजनाएं सिर्फ कागजों में दौड़ रही है। जिसका ही परिणाम है कि बूंद-बूंद पानी को मोहताज ग्रामीण आज भी पुराने हैंडपंप व कुएं से अपनी प्यास बुझाने को मजबूर नजर आ रहे हैं। ऐसा ही एक मामला संतराम नेताम के विधानसभा क्षेत केशकाल के कौंदकेरा से सामने आया है। एक ओर जहाँ केशकाल विधायक संतराम नेताम घर घर चलो यात्रा निकालकर समस्या का समाधान करने की बात कर रहे हैं, वहीं उनके ही इलाके में इस तरह का मामला सामने आना सोचनीय विषय है।
45 लाख 32 हज़ार टंकी और पाइपलाइन पर खर्च फिर भी नहीं मिल रहा पानी
स्वच्छ पेयजल के लिए वर्ष 2013 में लगभग 45 लाख 32 हजार रुपये की लागत से पीएचई विभाग कोण्डागांव के द्वारा ग्राम पंचायत कौंदकेरा में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करने के उद्देश्य से पानी टँकी व मोहल्ले में पाइप लाइन का विस्तार कर घर घर में नल कनेक्शन दिया गया। पर लगभग 6 साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी नलजल योजना का लाभ ग्रामीणजनों को नहीं मिल पा रहा है। ग्राम के महिला व पुरुष हेण्ड पम्प और कुआं से पानी लाने को मजबूर हैं। ग्रामीणों ने कई बार ग्राम पंचायत, पीएचई, केशकाल विधायक संतराम नेताम से शिकायत करने की बात कही है। पर आज तक ग्रामीणों की शिकायत का किसी ने सुध नहीं ली, न ही पानी टँकी को ही सुधारने की कोशिश की। वहीं पूछे जाने पर एक ग्रामीण ने बताया कि जब पानी टँकी बनी और घर घर नल कनेक्शन दिया गया तो बहुत खुशी हुई कि चलो अब घर के आंगन में ही पानी की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी, पर खुशी कुछ ही दिनों की थी, कुछ दिन नल से पानी आया फिर बंद हो गया।
कई बार की जा चुकी हैं शिकायत फिर हासिल शून्य
ग्रामीणों का कहना है शिकायत तो कई दफा की पर हासिल शून्य ही मिला। ग्रामीण चंपाबाई कहती है कि पानी के लिए बहुत ज्यादा तकलीफ होती है पर सुनने वाला कोई नहीं सरपंच, सचिव मात्र कहने के लिए गांव में हैं। जनप्रतिनिधियों से भी शिकायत कर चुके हैं, जनप्रतिनिधि जल्द ही सुधार करने की बात कहते हैं पर अभी तक कोई सुधार नहीं हुआ है, अब तो हेण्ड पम्प पर ही पूरा गांव निर्भर है। ऐसे ही सुखमति, रमूला आदि ने बताया कि 6 से 7 साल पहले गांव में पानी टंकी बनाकर पाइप लाइन विस्तार तो किया गया है, और शुरू में कुछ दिन ही पानी मिल पाया और उसके बाद से आज तक ग्रामीणों को पानी नही मिला, पानी टंकी महज शो पीस के रूप में बना है।
मीडिया के माध्यम से मिली हैं जानकारी, एक सप्ताह में सुधार किया जाएगा- माहला
वहीं पूछे जाने पर पीएचई विभाग के ईई जेएल माहला ने बताया कि इस बात की जानकारी मीडिया के माध्यम से मिली है, सप्ताह भर में सुधार कर दिया जाएगा। जिससे साबित हो जाता है कि उनके विभाग के अधिकारी-कर्मचारी किस बात की तन्ख्वाह ले रहे हैं। उनके विभाग द्वारा सात साल पूर्व लाखों रुपए खर्च कर बनवाई गई पानी टँकी से पानी की सप्लाई हो रहा है या नहीं इसकी जानकारी यदि विभाग को नहीं है तो प्रश्न यह उठता है कि क्या विभाग केवल एक ठेकेदार को रोजी-रोटी देने के लिए गांव-गांव में पानी की टंकियां लाखों रुपए खर्चकर बनवा रही है, इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि सरकार के द्वारा चलाई जाने वाली विभिन्न योजनाओं से मिलने वाले पैसे का उपयोग कर पैसे समाप्त कर दिया जाए। बाद में उक्त योजना धरातल पर चालू रहे या ना रहे इससे विभाग को कोई मतलब नहीं। शिकायत मिलती रहे हम बहाना बनाते रहें, आज पीएचई विभाग यही काम करती नजर आ रही है। अब देखने वाली बात यह है कि लगभग 45 लाख 32 हजार की लागत से स्वच्छ पेयजल का लाभ एक सप्ताह में ग्रामीणजनों को मिलना कब शुरू हो पाता है।
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