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माघी पूर्णिमा पर डुबकी का है विशेष महत्व, इस दिन भगवान विष्णु भी लगाते हैं गंगा में डुबकी

माघी पूर्णिमा पर शनिवार को गंगा, यमुना, विलुप्त सरस्वती के संगम में देश के कोने-कोने से आए संत-भक्त पुण्य की डुबकी लगाएंगे। इसी केसाथ शिविरों में कीर्तन, कथाओं, यज्ञ, अनुष्ठानों की पूर्णाहुति हो जाएगी। साथ ही कामनाओं, संकल्पों की पूर्ति के लिए संगम की रेती पर मास पर्यंत कल्पवास पूरा हो जाएगा। इसी के साथ कर संत-भक्त विदा हो जाएंगे। स्नान पर्व को देखते हुए मेला प्रशासन ने संगम समेत गंगा के आठ घाटों पर तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है। माघी पूर्णिमा स्नान का शास्त्रों और पुराणों में विशेष महत्व है। मान्यता है कि भगवान विष्णु स्वयं इस दिन गंगा में डुबकी लगाते हैं।

समस्त पापों का नाश करने वाली पुण्यदायिनी माघी पूर्णिमा शुक्रवार की दोपहर बाद 2.47 बजे ही लग जाएगी। जबकि, शनिवार की दोपहर 1.27 तक पूर्णिमा का योग मिलेगा। ऐसे में उदया तिथि न मिलने की वजह से शनिवार को ही पुण्य की डुबकी लगेगी, लेकिन व्रत शुक्रवार को ही आरंभ हो जाएगा। ज्योतिषाचार्य पं ब्रजेंद्र मिश्र के अनुसार कर्क राशि में चंद्रमा और मकर राशि में सूर्य के आने पर माघ पूर्णिमा का योग बनता है। इस बार माघी पूर्णिमा का यह योग श्लेषा नक्षत्र में 27 फरवरी को है,लेकिन व्रत शुक्रवार को ही रखा जाएगा।

पुराणों के अनुसार माघी पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु खुद गंगा स्नान करते हैं। ऐसे में मान्यता है कि गंगा जल के स्पर्श से मनसा, वाचा और कर्मणा हर तरह के पापों का शमन हो जाता है। इस पावन पर्व पर सूर्य और चंद्रमा से युक्त दोषों से भी मुक्ति मिल जाती है। इस बार जो भी श्रद्धालु माघी पूर्णिमा का व्रत पहली बार प्रारंभ करना चाहते हैं, वह शुक्रवार को आरंभ कर सकते हैं।इस दिन संगम स्नान से विशेष फल प्राप्ति होगी। इस पर्व पर डुबकी लगाकर जीवन में आई नकारात्मकता से भी मुक्ति पाई जा सकती है।

माघी पूर्णिमा स्नान पर्व के तहत मेला क्षेत्र में तीन दिनों के लिए वाहनों का प्रवेश वर्जित कर दिया गया है। यह व्यवस्था 26 की सुबह 10 बजे से 28 फरवरी को रात्रि 12 बजे तक लागू रहेगी। इस दौरान प्रशासनिक/ चिकित्सीय वाहनों को छूट रहेगी।

श्रद्धालुओं के वाहन प्लाट नं0 17,  पांटून पुल वर्कशाप, गल्ला मंडी दारागंज, हेलीपैड व दोपहिया वाहनों केलिए काली सड़क पर यातायात पुलिस लाइन के सामने व बगल में बनी पार्किंग में खड़े होंगे। श्रद्धालु जीटी जवाहर से प्रवेश कर काली सड़क आकर काली रैम्प से होते हुए संगम अपर मार्ग से संगम तक जा सकेंगे। वापसी में उन्हें त्रिवेणी मार्ग से हर्षवर्धन चौराहे से भेजा जाएगा।

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