छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

नालों के जीर्णोद्धार का दिख रहा असर, नालों के किनारे बसे ग्रामीण ले रहे गेंहू चना की फसल:There is a visible effect of the renovation of the drains, the villagers who are taking the wheat gram crop along the banks of the drains

– पाटन ब्लाक में 9 नालों में डिसेल्टिंग, चेक डेम तथा बोल्ड चेक डेम आदि के काम का दिखने लगा जमीनी असर
दुर्ग /मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की नरवा योजना भूमिगत जल को रिचार्ज करने की महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना के अंतर्गत पाटन ब्लाक में भी 9 नालों का चुनाव किया गया है तथा इन्हें विकसित करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।  जिला पंचायत सीईओ श्री सच्चिदानंद आलोक ने बताया कि कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे के मार्गदर्शन में जिले में नरवा योजना के अंतर्गत नालों को ट्रीटमेंट के लिए चयनित किया गया है। पाटन ब्लाक में लिये गये 9 गाँवों के प्रभाव में 40 गाँव आते हैं। इनमें स्थानीय जरूरतों के मुताबिक नरवा के परंपरागत स्ट्रक्चर विभाग द्वारा तैयार किये गए हैं। यह संरक्षण रिज टू वैली सिद्धांत के आधार पर किया जा रहा है। रिज टू वैली पानी की हर बूँद को बचाने वाला सिद्धांत है। रिज अर्थात ऊंचा हिस्सा और वैली अर्थात घाटी। स्वाभाविक रूप से पानी का प्रवाह ऊपर से नीचे की ओर तेजी से होता है इसके चलते नीचे पानी रिसने की संभावना कम हो जाती है। रिज टू वैली ट्रीटमेंट में इसी बात का ध्यान रखा जाता है। छोटे-छोटे स्ट्रक्चर बनाकर पानी की गति धीमी कर दी जाती है इससे पानी रिसने की संभावना बढ़ जाती है और भूमिगत जल का स्तर बढ़ता है। ग्राउंड वाटर रिचार्ज का यह तरीका इसलिए सबसे अधिक कारगर और उपयोगी है कि यह किसी तरह से जगह नहीं घेरता।
डिसेल्टिंग का काम पूरा- अरसे से नालों में गाद जम जाने की वजह से इनकी जलधारण क्षमता कमजोर होती है। सभी 9 नालों में डिसेल्टिंग अर्थात गाद हटाने का काम व्यापक रूप से किया गया। इसका स्वाभाविक असर नालों के जीर्णोद्धार पर पड़ा है। नालें पुनर्जीवित हुए हैं। इसके साथ ही स्थानीय जरूरतों के मुताबिक ढाँचे तैयार किये गए हैं। पाटन ब्लाक में 30 नग बोल्डर चेक डेम कम डाइक, 26 चेयक डेम, लूज बोल्डर चेक डेम 31 नग, सिल्ट ट्रैप 8 नग एवं एक ट्रैंच का निर्माण इन गांवों में किया गया है। यह कार्य 15 करोड़ 35 लाख रुपए की राशि से किया गया। मनरेगा के माध्यम से हुए इन कार्यों में बड़ी संख्या में लोगों को मजदूरी मिली। इस तरह से रोजगार के अवसरों को भी बढ़ावा मिला और जल के परंपरागत स्रोतों का पुनरूद्धार भी हुआ।
नाले से लगे खेतों में उगा रहे चना, सरसों और गेंहूँ- नालों के ट्रीटमेंट से जमीन में नमी बढ़ गई है। जलस्तर भी ऊँचा हुआ है। इसका अच्छा असर दिख रहा है। नालों के किनारे लगे खेतों में किसान गेंहूँ, चना, सरसों और सब्जी का भरपूर उत्पादन कर रहे हैं। नरवा ट्रीटमेंट के 334 कार्य पाटन ब्लाक में स्वीकृत किये गए हैं। इनमें 241 कार्य पूर्ण हो चुके हैं। सभी कार्यों के पूर्ण हो जाने के पश्चात भूमिगत जल स्तर में और इजाफा होगा।

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