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कोरोना के खिलाफ जंग में तमाम रोड़ों के बावजूद भारत ने कैसे 100 करोड़ लोगों को लगाया टीका?Despite all the obstacles in the war against Corona, how did India vaccinate 100 crore people?

नई दिल्ली. कोविड-19 (Covid-19) के खिलाफ 100 करोड़ डोज लगाने वाले देशों की सूची में चीन के बाद भारत का नाम भी शामिल हो गया है. हालांकि, केवल यही एकमात्र उपलब्धि भारत की झोली में नहीं आई है. आंकड़े बताते हैं कि देश की 75 फीसदी वयस्क आबादी ने टीके की कम से कम एक डोज लगवा ली है. अब सवाल उठता है कि कभी वैक्सीन की कमी, टीकाकरण में देरी, आलोचना और कोरोना की घातक दूसरी लहर (Covid-19 Second Wave) के बीच ऐसा क्या हुआ, जिसने देश को दोबारा मजबूत स्थिति में ला दिया. इसका जवाब है एक एक्शन प्लान, जो महामारी में देश का रक्षक बनकर सामने आया.स्वास्थ्य मंत्रालय और कोविन का डेटा बताता है कि 94 करोड़ में से 71 करोड़ से ज्यादा वयस्कों ने पहला डोज हासिल कर लिया है. इन 71 करोड़ में से 29.5 करोड़ से ज्यादा की वयस्क आबादी को दोनों खुराक दी जा चुकी हैं. मौजूदा स्थिति यह है कि भारत अपनी वयस्क आबादी के पूर्ण टीकाकरण के लिए पूरी तरह तैयार है. कभी कमी के चलते कई केंद्रों पर टीकाकरण कार्यक्रम ठप होने की खबरें सामने आई थी, लेकिन आज देश के पास पर्याप्त भंडार मौजूद है.

हम तैयार नहीं थे, क्योंकि हमे इसकी अपेक्षा नहीं थी
भारत ने इस साल जनवरी में टीकाकरण की शुरुआत की थी. उस समय के डेटा के हिसाब से यह तय किया गया कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन के जरिए चरणबद्ध तरीके से टीकाकरण किया जाएगा. जब ये फैसले लिए जा रहे थे, तब दूसरी लहर का अनुमान नहीं लगाया गया था, क्योंकि तब का डेटा इस प्रकार की किसी भी आशंका के संकेत नहीं दे रहा था. इस दौरान संकोच जैसी परेशानियां सामने आई. केवल 10 महीनों में तैयार हुई वैक्सीन पर सवाल उठने लगे. ऐसे में आबादी का एक बड़ा हिस्सा टीकाकरण के पक्ष में नजर आया.

 

वैक्सीन के ऑर्डर और दूसरा लहर की दस्तक
जनवरी और फरवरी के बीच भारत सरकार ने 3 करोड़ लाभार्थियों के लिए 6.6 करोड़ वैक्सीन डोज का ऑर्डर दिया. इनमें कोविशील्ड की संख्या 5.6 करोड़ और कोवैक्सीन 1 करोड़ थी. मार्च में लाभार्थियों की संख्या बढ़कर 30 करोड़ पर पहुंच गई. 16 लाख 39 हजार 246 डोज प्रतिदिन की औसत के साथ मार्च में 5.08 करोड़ वैक्सीन लगाई गई. उसी महीने सरकार ने 12 करोड़ डोज का ऑर्डर दिया. इस बार कोविशील्ड की संख्या 10 करोड़ थी. जबकि, कोवैक्सीन का आंकड़ा 2 करोड़ था. अप्रैल में अगले चरण की शुरुआत हुई और 34.51 करोड़ और लोगों को भी इसमें शामिल किया गया.

इसी महीने देश में कोविड की दूसरी लहर का कहर भी बढ़ा. अप्रैल में 66 लाख से ज्यादा मामले मिले और 45 हजार 882 लोगों की मौत हुई. इन बढ़ते आंकड़ों के साथ देश में मई में पूरी वयस्क आबादी के लिए टीकाकरण शुरू हो गया.

 

अप्रैल से मई में वैक्सीन के लिए लक्षित आबादी 2.7 गुना तक बढ़ गई थी. जबकि, देश में उत्पादन की क्षमता उतनी ही रही यानि 7 से 8 करोड़ डोज प्रतिमाह. मई में वैक्सीन की कमी के कारण देश की रफ्तार धीमी हुई. कमी को पूरा करने के लिए विदेश का रुख भी किया गया, लेकिन पहले ही बुकिंग होने के कारण वहां भी असफलता मिली.

फिर सुधरने लगे हालात
21 जून से टीकाकरण अभियान की लगाम केंद्र सरकार के हाथ में आ गई थी. इस दौरान निर्माताओं से उत्पादन क्षमता बढ़ाने, कोविन को कई भाषाओं में तैयार करने और केसलोड के हिसाब से वैक्सीन के वितरण समेत कई उपाय किए गए. साथ ही सरकार ने वैक्सीन को निर्यात करने पर भी रोक लगा दी थी. इस बार सरकार ने अमेरिका और यूरोपीय देशों की तर्ज पर काम करना शुरू किया औऱ बड़ी संख्या में वैक्सीन के ऑर्डर देना शुरू किए. इनमें वे टीके भी शामिल थे, जिन्हें मंजूरी नहीं मिली थी. मई में कोविशील्ड और कोवैक्सीन के 16 करोड़ डोज के ऑर्डर दिए गए. मई में यह आंकड़ा 66 करोड़ पर था. ऐसे ही कई प्रयास कारगर साबित हुए.

 

 

 

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