शहरी गौठान में पशुओं के उत्तम चारा के लिए यशवंत घास का किया जा रहा है रोपण,
सब्जियों की उन्नत खेती सहित गोबर से बने अन्य उत्पाद बनेंगी आय का स्रोत
भिलाई। नगर पालिक निगम भिलाई क्षेत्र अंतर्गत निर्मित शहरी गौठान में पशुओं के उत्तम चारा के लिए यशवंत घास एवं नेपियर ग्रास लगाने का कार्य स्व सहायता समूह की महिलाओं के द्वारा किया जा रहा है, लगभग 1/2 एकड़ क्षेत्रफल में घास लगाया जा चुका है! पशुओं के लिए पौस्टिक माने जाने वाले यशवंत घास की खासियत एवं गुणवत्ता को देखते हुए इसे रोपित किया जा रहा है! मांग के अनुसार सब्जियों का उत्पादन महिलाओं द्वारा छत्तीसगढ़ में प्रचलित भाजी एवं सब्जियों का उत्पादन मांग के अनुरूप किया जा रहा है! एक फसल पूर्ण होने के उपरांत अब महिलाओं ने दूसरी फसल लेने की तैयारी प्रारंभ कर दी है! छत्तीसगढ़ में प्रचलित चना भाजी एवं अन्य भाजी का उत्पादन महिलाएं करेंगी इसके लिए उन्होंने लेआउट तैयार कर लिया है! जगह का पूरा-पूरा उपयोग करने के लिए फलदार पौधे रोपित किए जाएंगे, बाजार में आने से पूर्व वाली फसल का भी चयन किया जा रहा है! फूलदार पौधों में गेंदा इत्यादि का उत्पादन किया जाएगा! उल्लेखनीय है कि शहरी गौठान में सब्जियों की जैविक खेती की जाती रही है, क्रेता स्वयं यहां पहुंच कर सब्जी क्रय करते हैं!
वर्मी टैंक बनाने जोन क्षेत्रों में तेजी से हो रहा काम
आयुक्त श्री ऋतुराज रघुवंशी ने सभी जोन कमिश्नरों को हर दिन गोबर खरीदी और इसके पेमेंट की स्थिति की नियमित मानिटरिंग करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उन्होंने वर्मी टैंक बनाने के काम में तेजी लाने के निर्देश भी जोन कमिश्नरों को दिए हैं ताकि गोबर की आवक के मुताबिक वर्मी टैंक तैयार रहें। भिलाई के शहरी गौठान में हर दिन हितग्राही लगभग सात हजार किलोग्राम के आसपास गोबर का विक्रय कर रहे हैं। यहां स्वसहायता समूहों की महिलाएं वर्मी कंपोस्ट बनाने में जुट गई हैं। गोबर की तेजी से आ रही आवक को देखते हुए वर्मी टैंक बनाने की कार्यवाही भी तेजी से की जा रही है। यहां कार्य कर रही आर्य समूह की सुशीला जंघेल ने बताया कि जिस प्रकार से गोबर की तेजी से आवक हो रही है, उससे बड़े पैमाने पर वर्मी कंपोस्ट के लिए कच्चा माल तैयार हो रहा है। हम लोग इसे प्रोसेस करने में लगे हैं। सुशीला ने बताया कि गोधन न्याय योजना में तेजी से भुगतान होने का बड़ा सकारात्मक असर दिखा है। पशुपालकों के लिए सरकार की यह योजना आर्थिक अवसर लेकर आई है। इससे लोग पशुधन को सहेजेंगे भी और पशुपालन को बढ़ावा भी मिलेगा! उल्लेखनीय है कि भिलाई में जिन जगहों पर गोबर की खरीदी की जा रही है वहां पर अतिरिक्त वर्मी कंपोस्ट बनाये जा रहे हैं। गोबर की आवक की संभावना के दृष्टिकोण से इन्हें तैयार किया जा रहा है।
आय के स्रोत बढ़ाने महिलाओं को मिल रहा है प्रशिक्षण शहरी गौठान में महिलाएं एकजुट होकर कार्य कर रही है! स्व सहायता समूह की महिलाएं महत्वपूर्ण कार्यों को आपस में विभाजित कर जिम्मेदारी पूर्वक कार्य कर रही है! यहां पर गोबर से निर्मित होने वाले विभिन्न उत्पादों का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है! महिलाओं ने हाथ से निर्मित गोबर का कंडा एवं लकड़ी तैयार करना भी प्रारंभ कर दिया है, पूर्व में भी कंडा विक्रय कर महिलाओं ने अपने आय में वृद्धि की है!