छत्तीसगढ़

भगवान भरोसे कोरण्टाइन सेंटर, नहीं है सुरक्षा के कोई इंतजाम

भगवान भरोसे कोरण्टाइन सेंटर, नहीं है सुरक्षा के कोई इंतजाम

देवेन्द्र गोरलेसबका संदेस न्यूज़ छत्तीसगढ़-

डोंगरगढ- कोरोना यानी एक ऐसी वैश्विक महामारी जिसका संक्रमण पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहा है। दुनिया के लगभग 200 देश इस कोरोना वायरस की चपेट में आकर देश के हजारों लाखों नागरिकों की जान गंवा चुके हैं वहीं बात करें भारत की तो यहां पर देखते ही देखते दो माह के अंदर कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या लगभग 86 हजार पहुंच गई जिसका कारण है थोड़ी सी लापरवाही। जिस तरह चीन की थोड़ी सी लापरवाही पूरी दुनिया पर भारी पड़ गई वहीं दूसरी तरफ जमातियों की लापरवाही पूरे देश को भारी पड़ गई यदि थोड़ी सी सावधानी बरती जाती तो आज देश में संक्रमितों की संख्या लगभग 86 हजार ना पहुंचती कुछ इसी तरह की लापरवाही छत्तीसगढ़ की आराध्य नगरी डोंगरगढ में बरती जा रही है जहां पर दूसरे प्रदेशों से आने वाले प्रवासी मजदूरों जो छत्तीसगढ़ के निवासी तो है लेकिन रोजी रोटी के जुगाड़ में महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, हैदराबाद

 

जैसे अन्य राज्यों गये थे किन्तु लाकडॉउन् के चलते वे वहाँ फसकर रह गए। अब छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा उन्हें ट्रैन, ट्रक व अन्य माध्यमों से छत्तीसगढ़ में बुलाया जा रहा है और प्रवासी मजदूरों को कोरण्टाइन सेंटर में 14 दिनों के लिए कोरण्टाइन करने के बाद उन्हें उनके घर भेजा जा रहा है। कुछ इसी तरह की व्यवस्था डोंगरगढ नगर पालिका व स्वास्थ्य विभाग के द्वारा की गई है नगर के नेहरू महाविद्यालय, बधियाटोला व कण्डरापारा में कोरण्टाइन सेंटर बनाया गया है जहां पर प्रवासी मजदूरों को 14 दिन के लिए आइसोलेट कर उनके घर भेजने की प्रकिया प्रारंभ की गई है।
भगवान कोरण्टाइन सेंटर- डोंगरगढ में बनाये गए कोरण्टाइन सेंटर भगवान भरोसे संचालित किए जा रहे हैं जिसका खामियाजा पूरे शहर को भुगतना पड़ सकता है। खासतौर पर बधियाटोला स्कूल भवन व नेहरू महाविद्यालय में बनाये गए कोरण्टाइन सेंटर में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किये गए हैं। यहाँ पर चंद्रपुर, नागपुर, हैदराबाद व महाराष्ट्र से आये पुरुष, महिला व बच्चों को आइसोलेट किया गया है लेकिन इनके बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने के लिए कोई भी जिम्मेदार अधिकारी या कर्मचारी ना तो नगर पालिका की ओर से मौजूद हैं और ना ही तहसील प्रशासन की ओर से जिसके चलते यहाँ पर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाते हुए सभी मजदूर आपस मे मिल रहे हैं । यही नहीं इस सेंटर में कोई भी आसानी से प्रवेश कर रहा है और सेंटर में रहने वाले प्रवासी मजदूर भी आसानी से आसपास घूमकर वापस सेंटर में आ रहे हैं। इस सेंटर में जितने भी प्रवासी मजदूर रखे गए हैं यह सभी डोंगरगढ निवासी हैं सभी का घर नगर के विभिन्न वार्डो में है जिसके चलते इनके परिजन कभी भी मजदूरों से मिलने व उन्हें सामान देने बेधड़क सेंटर में बिना मास्क व सेनेटाइजर के घुस रहे हैं और इन्हीं मजदूरों के परिजन शहर में आसानी से घूम रहे हैं और लोगों से मिल रहे हैं। यदि इत्तेफाक से भी इनमें से एक भी मजदूर कोरोना पॉजिटिव निकला तो सेंटर में रहने वाले मजदूर संक्रमित होंगे और उसके बाद इनसे मिलने वाले परिजन तथा परिजनों के बाद इन परिजनों से मिलने वाले शहर के नागरिक और देखते ही देखते पूरा डोंगरगढ कोरोना की चपेट में आ जायेगा जिसकी सम्पूर्ण जवाबदारी नगर पालिका प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग एवं पुलिस प्रशासन की होगी।

इधर कोरण्टाइन सेंटर में रुके हुए मजदूरों ने बताया कि यहाँ पर उन्हें शासन की ओर से ना तो भोजन की व्यवस्था की जा रही है और ना ही सेनेटाइजर की। उनके परिजनों के द्वारा जैसे तैसे एक टाईम के भोजन की व्यवस्था की जा रही है एक टाईम तो उन्हें भूखे ही रहना पड़ रहा है।

 

 

 

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