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Face To Face Madhya Pradesh: मऊगंज पर मौन, मंडला पर गर्म.. क्या यही है विपक्ष धर्म? प्रदेश में आदिवासी और सवर्ण को कौन आमने-सामने खड़ा करने की कर रहा कोशिश?

Face To Face Madhya Pradesh| Photo Credit: IBC24

Face To Face Madhya Pradesh: भोपाल। मध्यप्रदेश में मऊगंज हिंसा से उठा विवाद अभी थमा नहीं है की मंडला में कथित फर्जी मुठभेड़ को लेकर कांग्रेस ने हल्ला बोल दिया है। इन दोनों घटनाओं में सीधा कोई संबंध नहीं है पर आदिवासी एंगल दोनों ही जगह है। कांग्रेस ने जिस तरह मंडला के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश की है, जबकि मऊगंज मामले में वो चुप है। उसे देखते हुए बीजेपी ने उसकी नीयत पर सवाल उठाया है। सवाल ये है कि, कब तक हिंसा और मुठभेड़ की आड़ में सियासी दल केवल वही देखना और दिखाना जारी रखेंगे, जो उन्हें और उनकी राजनीति को सूट करता है?

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मंडला के नक्सल एनकाउंटर के जरिए लगी सियासी आग की लपटें अब विधानसभा की दहलीज तक पहुंच चुकी है। कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस ने ये दावा किया है कि, पुलिस ने मेडल पाने के लिए आदिवासी का सीना छलनी कर दिया। कांग्रेस ये भी कह रही है कि, जिस शख्स को पुलिस ने नक्सली बताकर मारा है वो मानसिक तौर पर कमजोर था। कथित एनकाउंटर पर दो दिनों से हो रहे बड़े बवाल के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सदन के भीतर कांग्रेस को बोलने का मौका दिया।

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कांग्रेस विधायकों ने सदन में बीजेपी सरकार को घेरते हुए कहा कि, एमपी में निर्दोष आदिवासियों की हत्या की जा रही है। गांव खाली करने पर मजबूर किया जा रहा है। सदन में चर्चा के दौरान कांग्रेस विधायक विक्रांत भूरिया ने पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। दावा किया है कि ये एनकाउंटर पूरी तरह फर्जी था। विपक्ष की मांग है कि विधायक दल भेजकर जांच कराएं। जाहिर है मंडला में नक्सल एनकाउंटर के शोलों की तपिश अब बीजेपी सरकार भी महसूस कर रही है।

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कांग्रेस विधायकों के सवालों का गृह विभाग की तरफ से जवाब देते हुए मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने कहा कि पूरे मामले की मजिस्ट्रियल जांच हो रही है। यदि साबित हो जाए कि मृतक नक्सली समर्थक नहीं है तो सरकार परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और एक करोड़ सहायता राशि भी देगी। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। इस पूरे एपिसोड में पुलिस महकमा खामोश है। पुलिस महकमे की चुप्पी कांग्रेस के सवालों को बल दे रही है।

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फिलहाल बीजेपी सरकार को ना सिर्फ मंडला का एनकाउंटर परेशान कर रहा है। बल्कि पुलिस के सामने मउगंज की घटना भी चुनौती बनी हुई है। क्योंकि, वहां आरोपी आदिवासी वर्ग से हैं और पीड़ित सामान्य वर्ग से कांग्रेस मंडला के मामले में खुलकर बोल रही है, लेकिन मउगंज पर चुप है। ये पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस ने एनकाउंटर के जरिए बीजेपी सरकार की घेराबंदी की हो। इससे पहले भी विदिशा के लटेरी में आदिवासी आरोपी के एनकाउंटर पर भी कांग्रेस ने बीजेपी सरकार के खिलाफ जमकर माहौल बनाया था। फिलहाल बीजेपी सरकार को उन सवालों के जवाब ज़रुर देने चाहिए जो कांग्रेस और पीड़ित परिवार के लोगों ने खड़े किए हैं।

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