Panchayat Web Series in Parliament : भाई.. संसद तक पहुंच गई पंचायत वेब सीरीज, यहां के सांसद ने कहा- इससे ज्यादा तो फुलेरा के प्रधान पर भरोसा, ठहाकों से गूंजा सदन
नई दिल्लीः ग्राम पंचायत फुलेरा.. ये नाम सुनते ही आपको मशहूर वेब सीरीज पंचायत की याद आती होगी। हर कोई अपनी बातचीत में या मजाक में फुलेरा गांव का जिक्र जरूर करता है, लेकिन अब इस पंचायत वेब सीरीज की धमक संसद तक पहुंच गई है। बिहार के एक सांसद ने राज्यसभा में इसका जिक्र किया। इसके बाद तो फिर राज्यसभा का माहौल बदल गया और सभी लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ गई। तो चलिए जानते हैं क्या हुआ राज्यसभा में और आखिर इसका जिक्र क्यों किया गया?
दरअसल, राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा हो रही थी। इसी दौरान राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के राज्यसभा सांसद प्रोफेसर मनोज कुमार झा ने अपने संबोधन के दौरान वेब सीरीज पंचायत का जिक्र किया और चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। उन्होंने आगे कहा कि चुनाव में बहुत बुरा हुआ। मुजरा, मंगलसूत्र, टोंटी तोड़ ले जाएगा, ये सब सुनने को मिला। मनोज झा ने कहा कि हमने उसी समय इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की थी लेकिन हमें परसो मेल कर पूछा गया है- मोबाइल नंबर, नाम। आरजेडी सांसद ने एक सर्वे का जिक्र करते हुए कहा कि इस सर्वे में 28 फीसदी लोगों ने ये बताया है कि उन्हें इलेक्शन कमीशन पर भरोसा है। उन्होंने कहा कि इससे ज्यादा भरोसा तो वेब सीरीज पंचायत में फुलेरा के ग्राम प्रधान पर है। इसके बाद राज्यसभा के सांसदों के चेहरे पर अलग मुस्कान आ गई।
Read More : फिर खून से लाल हुई सड़क, बोलरों और ट्रक की जबरदस्त भिंड़त, एक साथ 9 लोगों की मौत, मची अफरातफरी
वर्धा यूनिवर्सिटी में फर्जीवाड़ा
प्रोफेसर मनोज झा ने वर्धा यूनिवर्सिटी का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि वर्धा यूनिवर्सिटी में बहुत बड़ा फर्जीवाड़ा हो रहा है। जांच कराइएगा, आप पावरफुल लोग हैं। आरजेडी के राज्यसभा सांसद ने कहा कि महात्मा गांधी के नाम पर ये विश्वविद्यालय हो रहा था और महात्मा गांधी के लिए जो चीजें त्याज्य थीं, वही सारी चीजें हो रही हैं। उन्होंने उमर खालिद की गिरफ्तारी का जिक्र किया और कहा कि सरकार की आलोचना को देश की आलोचना बना दिया गया। प्रोफेसर झा ने दो किताबें दिखाते हुए कहा कि ये किताबें हमारे पास आ सकती हैं तो नड्डाजी की केबिन में भी होनी चाहिए। उन्होंने मॉब लिंचिंग का जिक्र करते हुए राही मासूम रजा की कविता पढ़ी- ‘मेरा नाम मुसलमानों जैसा है…’ और ‘मत भूलो कि तुम मुसलमान हो…’ कविता भी सदन में सुनाई।