प्रधानमंत्री ने तीन हजार करोड़ से अधिक के रेल कॉरिडोर की सौगात
रायगढ़ में किया। SECL के छत्तीसगढ़ ईस्ट रेल कॉरिडोर फेज-1 का लोकार्पण, सालाना 62 मिलियन टन कोयला परिवहन क्षमता
सीएमडी डॉ प्रेम सागर मिश्रा ने रेल कॉरिडोर पर प्रधानमंत्री के समक्ष दी प्रस्तुति।
भूपेंद्र साहू।
ब्यूरो चीफ बिलासपुर।
मो.- 9691444583
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में लगभग 3,055 करोड़ रुपए की लागत से बनी एसईसीएल के छत्तीसगढ़ ईस्ट रेल कॉरिडोर फेस-1 को राष्ट्र को समर्पित किया। खरसिया से धरमजयगढ़ के बीच 124 किलोमीटर लंबी यह लाइन रायगढ़ जिले में फैले मांड-रायगढ़ कोलफील्ड की एसईसीएल की एवं अन्य कोयला खदानों कोयला निकासी को आसान बनाते हुए बिजली उत्पादन परियोजनाओं सहित विभिन्न अंतिम उपयोग परियोजनाओं तक कच्चा माल पहुँचने में मदद करेगी तथा इसकी कोयला ढुलाई की वार्षिक क्षमता 62 मिलियन टन प्रति वर्ष है।
भविष्य में यात्री परिवहन की सुविधाओं के विकसित होने से आदिवासी बहुल इस क्षेत्र के लोग भी देश की मुख्य धारा से जुड़ पाएंगे।
इस अवसर पर अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ हमारे लिए देश के विकास के पावर हाउस की तरह है। और देश को भी आगे बढ़ने की ऊर्जा तभी मिलेगी, जब उसके पावर हाउस अपनी पूरी ताकत से काम करेंगे। एसईसीएल के पर्यावरण संवर्धन के प्रयासों के संदर्भ में उन्होने कहा “हमें देश की ऊर्जा जरूरतों को भी पूरा करना है, और अपने पर्यावरण की भी चिंता करनी है। इसी सोच के साथ सूरजपुर जिले में बंद पड़ी कोयला खदान को Eco-Tourism के रूप में विकसित किया गया है। कोरवा क्षेत्र में भी इसी तरह के Eco-Park विकसित करने का काम किया जा रहा है। आज खदानों से निकले पानी से हजारों लोगों को सिंचाई और पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। इन सभी प्रयासों का सीधा लाभ इस क्षेत्र के जनजातीय समाज के लोगों को होगा।“
कार्यक्रम में जनजातीय कार्य राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरुता ने स्वागत उद्भोधन प्रस्तुत किया एवं कोयला एवं जनजातीय कार्य मंत्रालय के विभिन्न जन-कल्याणकारी प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कोयला मंत्रालय कोयले के वैकल्पिक उपयोगों पर भी काम कर रहा है जिसके अंतर्गत कोल गैसीफिकेशन पर भी जोर दिया जा रहा है।
सीएसआर के अंतर्गत सभी कोल कंपनियों को यह निर्देश है कि कोयला उत्पादन क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, पेयजल एवं रोजगार के अधिक से अधिक अवसर विकसित किया जाए।
उप मुख्य मंत्री छत्तीसगढ़ टी. एस. सिंहदेव ने प्रधानमंत्री का स्वागत करते हुए कहा कि मेरा सौभाग्य है कि छत्तीसगढ़ की धरती पर प्रधानमंत्री की अगवानी करने का अवसर मिला। प्रधानमंत्री द्वारा जो लोकार्पण किया जा रहा है इससे निश्चित ही छत्तीसगढ़ राज्य के विकास को गति मिलेगी। केंद्र के माध्यम से ध्यान आकर्षित कर विविध विकास कार्य हो रहे हैं, आने वाले समय में भी मिलकर शिक्षा, स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में कार्य करते रहेंगे।
छत्तीसगढ़ ईस्ट रेल कॉरिडोर फेस-1 परियोजना का क्रियान्वयन छत्तीसगढ़ ईस्ट रेलवे लिमिटेड (सीईआरएल) द्वारा किया गया है। सीईआरएल, एसईसीएल, इरकॉन और सीएसआईडीसीएल द्वारा संयुक्त रूप से गठित एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) है, जिसमें इन कंपनियों की क्रमशः 64%, 26% और 10% हिस्सेदारी है।
इस अवसर पर मंच पर प्रधानमंत्री के साथ रेणुका सिंह सरुता, जनजाति विकास राज्य मंत्री, भारत-सरकार; रायगढ़ सांसद गोमती साय, उप-मुख्य मंत्री छत्तीसगढ़ टी.एस. सिंहदेव, विधायक जांजगीर-चाम्पा नारायण चंदेल मंचस्थ थे।
इससे पहले कोयला सचिव अमृत लाल मीना द्वारा कार्यक्रम स्थल पर तैयारियों का जायजा लिया गया। कार्यक्रम में कोल इंडिया चेयरमैन पीएम प्रसाद एवं एसईसीएल सीएमडी डॉ प्रेम सागर मिश्रा भी उपस्थित रहे।
छत्तीसगढ़ ईस्ट रेल कॉरिडोर पर प्रधानमंत्री के समक्ष सीएमडी डॉ प्रेम सागर मिश्रा ने दी प्रस्तुति
मुख्य लोकार्पण समारोह मंच पर जाने से पहले प्रधानमंत्री जी द्वारा शुरू की जा रही विभिन्न परियोजनाओं पर एक प्रदर्शनी का अवलोकन किया गया। इस प्रदर्शनी में जिन परियोजनाओं का आज लोकार्पण एवं शिलान्यास किया गया उनके बारे में जानकारी दी गयी। प्रदर्शनी में एसईसीएल के ओर से सीएमडी डॉ प्रेम सागर मिश्रा ने प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्तुति देते हुए छत्तीसगढ़ ईस्ट रेल कॉरिडोर परियोजना फेज-1 के बारे में जानकारी दी और परियोजना के आगामी विस्तार के बारे में बताया।
एसईसीएल बिलासपुर
परियोजना की विस्तृत जानकारी के लिए नीचे अपेंडिक्स देखें –
छत्तीसगढ़ ईस्ट रेल कॉरिडोर चरण – I परियोजना
(खरसिया – धरमजयगढ़)
परियोजना पृष्ठभूमि
कोयला मंत्रालय ने भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मज़बूत करने और आयातित कोयले पर निर्भरता को कम करके आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए वित्त वर्ष 2030 तक देश में 1.5 BT कोयला उत्पादन अनुमानित किया है।
कोयला मंत्रालय, देश में बिजली घरों को कोयला पहुंचाने और कोयला निकासी को आसान बनाने के लिए कोयला क्षेत्रों में रेल नेटवर्क के विकास पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
छत्तीसगढ़ ईस्ट रेलवे लिमिटेड (सीईआरएल) एसईसीएल, इरकॉन और सीएसआईडीसीएल द्वारा संयुक्त रूप से गठित एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) है, जिसके पास कंपनी में क्रमशः 64%, 26% और 10% हिस्सेदारी है।
उद्देश्य
एसईसीएल की खदानों के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के मांड-रायगढ़ कोयला क्षेत्रों की अन्य कोयला खदानों से कोयला निकासी को आसान बनाते हुए बिजली उत्पादन परियोजनाओं सहित विभिन्न अंतिम उपयोग परियोजनाओं तक पहुंचाने के उद्देश्य के साथ, छत्तीसगढ़ ईस्ट रेल कॉरिडोर चरण-I परियोजना परिकल्पित है।
मांड-रायगढ़ कोयला क्षेत्र में वित्त वर्ष 2030 तक कोयला उत्पादन 20 मेट्रिक टन के वर्तमान स्तर से बढ़ाकर 140 मेट्रिक टन करना अनुमानित है। इससे क्षेत्र में तीन-तरफ़ा आर्थिक विकास होने की उम्मीद है: एसईसीएल के लिए कोयला उत्पादक के रूप में, भारतीय रेलवे के लिए ट्रांसपोर्टर के रूप में और छत्तीसगढ़ राज्य के लिए बुनियादी सुविधाओं के विकास के रूप में।
रेल कॉरिडोर के सामाजिक-आर्थिक लाभ:
- छत्तीसगढ़ के प्रमुख शहरों और आगे देश के अन्य हिस्सों को जोड़कर, दूर-दराज के क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों में सहायता के लिए, यात्री और माल हेतु रेल की बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
- रेल नेटवर्क राज्य और देश के अन्य उपयोगकर्ताओं के लिए आवश्यक संवर्धित कोयला उत्पादन की सुविधा प्रदान करेगा। उपरोक्त कनेक्टिविटी छत्तीसगढ़ के अपेक्षाकृत कम विकसित क्षेत्र से होकर गुजर रही है। इससे क्षेत्र का आर्थिक स्तर बढ़ेगा और उसका विकास होगा।
- रेल इंफ्रास्ट्रक्चर की उपलब्धता से आसपास के क्षेत्र में रोजगार के अवसर लाने वाले औद्योगिक विकास में मदद मिलेगी। अनुबंध के माध्यम से रोजगार के अवसर निर्माण के दौरान और आगे संचालन और रखरखाव अवधि के दौरान उपलब्ध होंगे।
- रेल कॉरिडोर के विकास से रॉयल्टी, जीएसटी, सेस आदि के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य की राजस्व हिस्सेदारी में वृद्धि होगी।
रेल कॉरिडोर का पर्यावरणीय प्रभाव - विद्युतीकृत ट्रेन परिचालन, कोयला परिवहन के सबसे पर्यावरण अनुकूल तरीकों में से एक है। इससे उन भारी वाहनों पर निर्भरता काफी कम हो जाएगी जो कोयले को सड़क मार्ग से लाने में बहुत प्रदूषण करते थे।
- परियोजना के लिए आवंटित वन भूमि के लिए दोहरा वनीकरण किया गया है जिससे यहाँ के वन क्षेत्र में काफी सुधार होगा।
- जंगलों से गुजरने वाली रेलवे लाइनों के ऊपर एनिमल क्रॉसिंग का निर्माण किया गया है, जिससे इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में रहने वाले जंगली जानवर, मुख्य रूप से हाथी सुरक्षित रूप से गुजर पाएंगे।
सीईआरएल चरण – I (खरसिया से धरमजयगढ़) परियोजना की मुख्य विशेषताएँ
कार्यान्वयन एजेंसी इरकॉन
रेल कॉरिडोर (लंबाई)
खरसिया से धर्मजयगढ़ 74 कि.मी
फीडर और स्पर लाइनें (छाल, बरौद, दुर्गापुर, पेल्मा और अन्य कोयला खदानों से जुड़ती हुई) 50.80 कि.मी
परियोजना की कुल लंबाई 124.80 कि.मी
मुख्य विशेषताएं यात्री सुविधाओं के साथ विद्युतीकृत ब्रॉड गेज लेवल क्रॉसिंग फ्री पार्ट डबल लाइन
हाथियों और अन्य जंगली जानवरों के सुरक्षित आवाजाही के लिए हाथी पास स्टेशन खरसिया, गुरदा, छाल, घरघोड़ा, कोरीछापर, कुदुमकेला और धरमजयगढ़
फ्रेट टर्मिनल प्रमाणित कोरीछापर, घरघोड़ा, धरमजयगढ़, भालूमुड़ा, छाल फीडर और बरौद फीडर
अधिकतम क्षमता 62 एमटीपीए (प्रति वर्ष मिलियन टन)
कुल परियोजना लागत (आईडीसी सहित) 3,055 करोड़ रुपये
छत्तीसगढ़ ईस्ट रेल कॉरिडोर चरण – II परियोजना
[धरमजयगढ़ – कोरबा(उरगा)]
परियोजना का उद्देश्य सीईआरएल चरण I के मांड-रायगढ़ कोलफील्ड्स को सीईडब्ल्यूआरएल और फिर पेंड्रा में एसईसीआर से जोड़ना।
प्रमुख विशेषताएँ यात्री सुविधाओं के साथ विद्युतीकृत ब्रॉड गेज लेवल क्रॉसिंग फ्री पार्ट सिंगल लाइन
चरण – II की रेल लाइन के बनने से एसईसीआर के रायगढ़-बिलासपुर-अनूपपुर खंड में रेल ट्रैफिक कम करने में मदद मिलेगी।
परियोजना की कुल लंबाई 62.5 किमी
स्टेशन धरमजयगढ़, खड़गांव, हाटी, धस्कामुंडा, दिनारा, डोंगामा, भैसमा, उरगा
अधिकतम क्षमता 25 एमटीपीए (प्रति वर्ष मिलियन टन)
कुल परियोजना लागत (आईडीसी सहित) 1686.22 करोड़ रुपए
छत्तीसगढ़ ईस्ट वेस्ट रेल परियोजना
यह परियोजना गेवरा-रोड से पेन्ड्रा-रोड तक की है, जो कि कोरबा कोलफील्ड में संचालित तथा आने वाली एसईसीएल की खदानों से निकले कोयले की ढुलाई में प्रयुक्त होंगी। यह परियोजना 191 किलोमीटर लम्बी है जिसमें 135.3 किलोमीटर की मेन लाइन का काम शामिल है। परियोजना में गेवरा रोड, सुराकछार, दीपका, कटघोरा रोड, बिजहारा, पुटुआ, मतीन, सेन्दुरगढ़, पुटीपखना, भाडी, धनगवां तथा पेन्ड्रारोड स्टेशन शामिल हैं। पूरे कॉरिडोर में रेलवे लाइन के साथ-साथ स्टेशनों पर पैसेजर सुविधाओं का विकास भी किया जाएगा। सीईडब्ल्यूआरएल परियोजना की कुल लागत लगभग 4970 करोड़ है तथा इसके मेन लाइन हेतु भूमि अधिग्रहण तथा फारेस्ट क्लियरेंस का काम कर लिया गया है। यह परियोजना अगले वर्ष दिसंबर तक पूरी कर लिए जाने की आशा है ।