केन्द्र सरकार की कमजोरी से सेल में अधिकारियों की तानाताशाही पूरे चरम पर
भिलाई। एचएमएस से संबद्ध भिलाई श्रमिक सभा के अध्यक्ष एच. एस. मिश्रा ने कहा कि सेल श्रमिकों के साथ 21-22 अक्टूबर को सम्पन्न हुए वेतन समझौते में न्याय नहीं हुआ । सेल महारत्न कंपनी में शामिल है लेकिन विगत कुछ वर्षों से केंद्र सरकार की कमजोरी और ढीलेपन के कारण सेल में अधिकारियों की तानाशाही पूरे चरम पर आ गई है। आज की तारीख में यह एक सार्वजनिक उपक्रम न रह कर अधिकारियों का निजी उपक्रम रह गया है। सेल के महत्वपूर्ण इकाई भिलाई इस्पात संयंत्र में भी प्रबंधन की तानाशाही के चलते वातावरण अशांति पूर्ण बनता जा रहा है.
वरिष्ठ श्रमिक नेता एचएस मिश्रा ने कहा कि सेल चेयरमैन भी केवल अधिकारियों के हित में ही फैसले लेते हैं, उन्हें श्रमिकों से कोई लगाव या लेना-देना नहीं रह गया है । इसके कईं उदाहरण देखने को मिल रहा है. उन्होंने बताया कि पिछले सेल चेयरमैन ने सेल की वित्तीय हालत खऱाब होने के बाद भी सभी अधिकारियों को एक-एक ग्रेड अप कर के प्रमोशन दिया था और सरकार में बैठे मंत्रियों ने भी इस फैसले को अप्रूवल दे दिया या उन्हें पता नहीं चला था । इसी तरह सभी वर्करों की मांग पर युनियनों ने 15 – 35 – 9 की मांग रखी थी, परंतु आपसी एकता न होने के कारण प्रबंधन ने वर्करों व युनियन का मुंह चिढ़ाते हुए 15 – 35 – 9 अपने अधिकारियों को दिया । वर्तमान में भिलाई सहित पूरे सेल के वर्कर आक्रोश में है, और भिलाई में हमारे युनियनों के कई लोग वेतन समझौता एरियर्स व ग्रेच्युटी के सिलिंग को लेकर बयान व हड़ताल आदि की बात कर रहें है ।
मिश्रा ने कहा कि केवल बयान बाजी या एक दिन के हड़ताल से कुछ फर्क नहीं पडऩे वाला है। एक दिन की हड़ताल सफल होने के बाद भी मैनेजमेंट के व्यवहार में अंतर नहीं आया है। उस हड़ताल से चिढ़कर ही हमारे 14 निर्दोष साथियों पर निलंबन की कार्यवाही प्रबंधन ने की और दुर्भाग्य की बात है कि लाठीचार्ज व 14 लोगों पर निलंबन की कार्यवाही पर भिलाई में श्रमिकों की प्रतिक्रिया या आक्रोश प्रबंधन के खिलाफ शून्य रही, जिससे इनका अहंकार और बढ़ा है। उसी का परिणाम है कि वर्करों का 39 माह का एरियर्स एवं सेवानिवृत्त वर्करों का 01/ 01 / 2017 से सेवानिवृत्ति तक एरियर्स विलोपित किया जा रहा है और वर्करों की ग्रेच्युटी पर कानूनन सिलिंग नहीं थी पर इसे जानबूझकर प्रबंधन द्वारा सिलिंग के घेरे में लाया जा रहा है ।
मिश्रा ने कहा कि सभी युनियन व सभी वर्कर बिना डरे प्रबंधन के साथ आर या पार की लड़ाई लड़ेंगे और हड़ताल एक दिन की दिखावटी नहीं बल्कि अनिश्चितकालीन हो एवं हर विभाग में हो जैसे आजादी के पहले सन् 1942 में देश का बच्चा-बच्चा अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा लगाकर करो या मरो वाला कदम उठाए थे तब जीत हुई थी वैसे आंदोलन के लिए हम एच.एम.एस. वाले तैयार है, हम एक दिनी हड़ताल के दिन लाठीचार्ज के बाद भी कैसे मैदान में डटे थे सबने देखा है ।
उन्होंने सभी वर्करों और युनियनों से अपील की है कि, दिखावटी एकता नहीं सच्चे मन से एकजुट होकर कदम उठाएं और प्रबंधन को अपनी बात पूरी तरह से मनवाने तक डटें रहें तभी जीत संभव है । हमारी कमजोरी के कारण ही कोरोना में सैकड़ों की मृत्यु के बाद भी अनुकंपा नियुक्ति की मांग फेल हुई ।
मिश्रा ने कहा कि पूर्व में भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन का रवैया श्रमिकों के हित में कुछ हद तक सकारात्मक था. लेकिन अब ऐसा लगता है कुछ तथाकथित लोगों के साथ मिलकर प्रबंधन कर्मचारी और श्रमिकों को एक साजिश के तहत प्रताडि़त कर रहा है. जिससे श्रमिकों में अंदर ही अंदर सुलग रही नाराजगी के विस्फोटक रुप लेने की संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा है. अगर प्रबंधन का श्रमिकों के हक और अधिकार के प्रति इसी तरह अडिय़ल रवैया बना रहता है तो यूनियन की ओर से मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।