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निर्धन कन्या का विवाह करना पुण्य का काम …….सौरभ सिंह बाबा

जांजगीर -वर्तमान जीवन शैली व महंगाई के इस कठिन दौर मे गरीब परिवारो के लिए विवाह का इंतजाम करना अत्यंत कठिन व संघर्ष भरा होता है कइ परिवार इस कठिन समय मे साहूकारो के चंगुल मे फँसकर अपना घर बार खेत डोली सब बेचकर सडक मे आ जाते है तो कइ आत्मग्लानी वश आत्महत्या जैसे नकारात्मक मार्ग को चुनकर दुनिया को अलविदा कह जाते है लेकिन दुनिया मे कुछ एैसे भी लोग है जिनसे आज मानवता व इँसानियत धरती पर जिन्दा नजर आ रहा है भले ही इनका इन परिवारो से खून का रिश्ता ना रहा हो लेकिन इनके लिए धर्म का रिश्ता व मानवता का रिश्ता किसी सगे से कम भी नही है एैसा ही एक परिवार अकलतरा ब्लाक के नरियरा मे निवासरत सौरभ सिंह बाबा का है जो एक गरीब निर्धन परिवार के लिए किसी फरिश्ते से कम नही है निर्धन कन्या का घर बसाने के लिए आर्थिक व मानसिक रूप से संबल देने वाले सौरभ सिंह का मानस के इस चौपाई पर पूरा भरोसा व्यक्त करते हुए कहते है की परहित सहिस धर्म नही भाई परहित शब्द का अर्थ ही है पर पीडा को समझकर उसके हित साधन का उपाय करना सौरभ बाबा का मानना है की जब मनुष्य के पास दूसरो के हित साधन का संसाधन है तो निज जीवन से परे हटकर दूसरो की पीडा व दर्द को हरने का कार्य करना चाहिए इससे पहले यह कार्य मेरे पिता स्व अरविन्द सिंह जी किया करते थे और उनके बैकुण्ठ गमन के पश्चात मै और मेरा परिवार इस कार्य मे लगा हुआ है निर्धन कन्या का कन्यादान करना जीवन का सबसे बडा पुण्य है और वह कन्या जिसका यह विवाह समपन्न होने जा रहा है उसका पिता भी इस दुनिया मे नही है एैसे कठिन समय मे मुझे धर्म पिता के रूप मे कन्यादान करने का सौभाग्य मिल रहा है जिससे मै अभिभूत हुं इसकी प्रेरणा मुझे मेरे ससुर धुरकोट निवासी ठा. श्रवण सिंह से मिला है जिन्होने सबसे पहले जिले मे निर्धन कन्या का विवाह अपने खुद के पैसे से करके लोगो के लिए एक मिसाल खडा किया है और आज पर्यन्त तक इस पुनीत कार्य को कर रहे है,

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