बैसाखिन, बंशी और चैनसिंह को सरकारी मदद ने बनाया आमदनी का जरिया
बैसाखिन, बंशी और चैनसिंह को सरकारी मदद ने बनाया आमदनी का जरिया
बैसाखिन ने सुअर पालन, चैन सिंह ने बकरी और बंशी ने मुर्गीपालन कर दिखाया कमाल
कलेक्टर ने बैठक हॉल से सीधे हितग्रहियों से वीडियों कॉलिग से जुड़कर ली जानकारी
कवर्धा, 22 मार्च 2021। कबीरधाम जिले के श्री चैन सिंह गोड़, श्रीमती बैसाखिन बैगा और श्री बंशी लाल निषाद तीन ऐसे पशुपालक है, जिन्होंने अपने कड़ी मेहनत, लगन और ईमानदारी से परिश्रम कर आय का बेहतर जरिया बनाया है। ये तीनो पशुपालन से जुडे है और अलग-अलग व्यवसाय कर रहे है। कलेक्टर श्री रमेश कुमार शर्मा ने समय सीमा की बैठक शुरू करने से पहले आज पशुधन विकास विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के क्रियान्वयन और उन योजनाओं से लाभान्वित हो रहे अलग-अलग पशुपालकों से सीधे बातचित की। कलेक्टर श्री शर्मा सीधे तौर पर वीडियों कॉलिंग के माध्यम से हितग्राहियो से जुड़ कर बात कर रहे है। यह उनकी अभिनव पहल है। इससे पहले उन्होने गौधन योजना, सामुदायिक खेती बाड़ी कार्यक्रम और महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के हितग्राहियों से फिटबैक ले चुके है। कलेक्टर श्री शर्मा अगले सोमवार को जिले के आम ग्रामीणों से सीधे वीडियां कॉलिंग से जरिए जुडे़गे और राज्य सरकार द्वारा संचालित जनकल्याकारी योजनाओं के क्रियान्वयन और योजनाओं के फायदें के बारे में जानकारी लेंगे।
पशुधन विभाग के हितग्राही चैन सिंह गोड़ मूलतः सहसपुर लोहारा के कुटकीपारा के रहने वाले है। उन्होने कलेक्टर से चर्चा करते हुए बताया कि वह बकरी पालन व्यवयाय से कर रहे है। शुरूआत में आठ बकरियो ंसे अपना व्यवसाय शुरू किया था। पशुधन विभाग से उन्हे जमनापारी नस्ल का बकरा मिला था, जिससे बकरियां में नस्ल सुधार हुआ। हर साल उन्हे इस व्यवसाय से अच्छीखासी आमदनी हो रही है। हर साल 60 हजार रूपए असानी से कमा लेते है। वर्तमान में उनके पास 14 बकरियां और एक बकरा है। उन्होने बताया कि यह नगद व्यवयास है और एडवांस में बकरी और बकरे की बुकिंग भी हो जाती है।
श्रीमती बैसाखिन बाई मूलतः बोडला विकासखण्ड के ग्राम मन्नवेदी की रहने वाली है। वह विशेष पिछड़ी बैगा जनजाति से है। वर्ष 2019 से सुकर पालन से जुड़ी हुई है। पशुधन विभाग से उन्हे सुकर का दो मादा और एक नर मिला था। उनके परिवार के अन्य सदस्यों को भी 8 मादा और चार नर मिला था। बैसाखिन बैगा और उनके परिवार के अन्य सदस्यां के द्वारा सामुहिक रूप से शेड बनाकर सुव्यवस्थित तरिके से सुकर पालन कर रही है। देखते ही देखती उनका तबेला आज गुलजार हो गया है। आज उनके पास सुकर के 34 मादा, 15 नर और 49 उनके बच्चे है। उन्होने बताया कि हॉल ही में उन्होने 3 सूकर नर और 6 मादा को बेचकर 27 हजार रूपए की आमदनी की। बैसाखिन बताती है, यह बहुत अच्छा व्यवसाय है। समय समय पर पशु चिकित्सक भी आकर देखते है। उन्होने अपने व्यवसाय के आगे बढ़ाने के लिए कलेक्टर से मदद मांगी है। कलेक्टर ने पशुधन विभाग के अधिकारी को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
बंशीलाल निषाद सरकारी योजना से जुडकर मुर्गीपालन व्यवयास कर रहे है। वह कवर्धा जनपद पंचायत के ग्राम नेवारी के रहन वाले है। वर्ष 2018 में पशुधन विकास विभाग द्वारा सौ नग विभागीय बैकयार्ड जुडे और वर्ष 2019 मं आत्मा योजना के तहत 150 नग कड़कनाथ चूजे मिले थे। उन्होने बताया कि इस योजना से जुड़कर उनकी स्थिति सुधर गई है। हर साल लगभग 50 हजार की शुद्ध आमदनी हो जाती है।